डेरा बाबा नानक (गुरदासपुर): पंजाब के गांव और खेत ही नहीं, बल्कि 1988 के बाद की सबसे भीषण बाढ़ ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की चौकियों को भी डुबो दिया है.
सीमा के आगे की 60 से ज्यादा चौकियां पानी में डूब गईं हैं जिससे जवानों को इन्हें खाली छोड़कर डेरा बाबा नानक के श्री दरबार साहिब गुरुद्वारे में जाना पड़ा. यह गुरुद्वारा भारत-पाकिस्तान सीमा से कुछ किलोमीटर ही दूर है.
रावी नदी के पानी ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगे करीब 100 किलोमीटर लंबे डबल कांटेदार तार वाले बाड़ को बहा दिया है, जिससे सुरक्षा में सेंध का खतरा बढ़ गया है.
बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि जवान अब सीमा पर निगरानी के लिए ड्रोन और मोटरबोट का इस्तेमाल कर रहे हैं.
बीएसएफ जवानों ने कहा कि हालात पाकिस्तान की तरफ भी लगभग ऐसे ही हैं. रावी में डूबने के कारण पाकिस्तानी रेंजर्स को भी अपनी चौकियां छोड़नी पड़ीं.

तीन महीने पहले, भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ढांचे पर निशाना साधा था, जिसके बाद पंजाब और जम्मू-कश्मीर में सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी, लेकिन अब उफनती रावी ने पंजाब सीमा पर लगी बाड़ को बहा दिया है.
बाढ़ के कारण पंजाब में सैकड़ों घर और खेत भी डूब गए हैं.
बीएसएफ के एक जवान ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “रात में, अगस्त के आखिरी हफ्ते में पानी चौकियों वाले इलाके में घुस आया. अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कई पोस्ट डूब गए, जिससे भारी नुकसान हुआ है.”
उन्होंने बताया कि वह डूबी चौकी से गुरुद्वारे में शिफ्ट हो गए. “सभी जवान रातों-रात जो भी ज़रूरी सामान था लेकर रातों-रात निकल गए.”
अब जवान गुरुद्वारे में रह रहे हैं.
एक जवान ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा, “कई लोगों का सामान छूट गया और कई भीग गए. सबसे बड़ी प्राथमिकता जान बचाना था और वहां से निकलना था.” उन्होंने बताया कि गुरुद्वारे के लोगों ने उन्हें रातभर के लिए मदद और शरण दी.
इस बीच, करतारपुर कॉरिडोर, जो भारत से पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारे तक जाने का रास्ता है, पानी भरने की वजह से बंद कर दिया गया है.

बीएसएफ जम्मू में 192 किमी और पंजाब में 553 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करती है. पंजाब में यह सीमा गुरदासपुर, अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर, फाजिल्का और पठानकोट जिलों से होकर गुज़रती है.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, “लगभग 80 किमी बाड़ पंजाब में और 30 किमी जम्मू में बह गई है. इसके अलावा जम्मू में करीब 20 चौकियां और पंजाब में करीब 60 चौकियां डूब गईं या खराब हो गईं. प्रकृति ने दोनों देशों के बीच का फासला मिटा दिया है. नदी को नहीं पता कि इधर भारत है और उधर पाकिस्तान. वह तो बस बह रही है.”
उन्होंने कहा, “चारों ओर सिर्फ पानी ही पानी है.”
गुरदासपुर के दिनानगर के एसडीएम जसपिंदर सिंह ने दिप्रिंट को बताया, “कुछ चौकियां ज़रूर प्रभावित हुई हैं, लेकिन हमारी फोर्स अब भी सीमा की सुरक्षा कर रही है. रावी के दोनों ओर, भारत और पाकिस्तान दोनों जगह बाढ़ आई हुई है. पाकिस्तानी फोर्स को भी अपनी चौकियां छोड़नी पड़ीं है.”
कई चौकियों पर, बीएसएफ एयर विंग ने भारतीय वायुसेना और सेना के साथ मिलकर हेलिकॉप्टरों से फंसे जवानों को निकालने के लिए कई उड़ानें भरीं.
बीएसएफ के पंजाब फ्रंटियर के इंस्पेक्टर जनरल अतुल फुलज़ेले ने रविवार को फिरोजपुर जिले में बाढ़ प्रभावित गांवों और चौकियों का दौरा किया और हालात का जायज़ा लिया.
सीमा पर बाड़ को बहाल करना सबसे बड़ी प्राथमिकता
जैसे-जैसे बाढ़ का पानी घट रहा है, बीएसएफ समय से पहले अपनी चौकियों पर लौटने के लिए तेज़ी से काम कर रही है.
पंजाब फ्रंटियर के एक वरिष्ठ बीएसएफ अधिकारी ने कहा, “आईबी (इंटरनेशनल बॉर्डर) बहुत संवेदनशील इलाका है. बाढ़ से हमारे जवानों को हटना पड़ा, लेकिन अब वे अपनी पुरानी चौकियों पर लौटने लगे हैं. बाड़ बह जाने के बाद हमने उसे ठीक करने का काम शुरू कर दिया है, क्योंकि खुली सीमा सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है. हम बिना बाड़ वाली सीमा बर्दाश्त नहीं कर सकते. इसलिए हमारी प्राथमिकता है कि सीमा को उसकी पहले वाली स्थिति में फिर से बनाया जाए.”
उन्होंने माना कि नुकसान बड़ा है, “लेकिन हमारे जवान सक्रिय हैं और सुरक्षा में कोई सेंध नहीं लगी.”
बाढ़ के बावजूद, अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ की गश्त रुकी नहीं है. जवान मोटरबोट और निगरानी ड्रोन से लगातार सीमा की सुरक्षा कर रहे हैं.
जवान सतर्क हैं—गश्त भी कर रहे हैं और राहत कार्यों में भी लगे हुए हैं. गुरुद्वारे में ठहरे गश्ती दल के एक सदस्य ने कहा, “हम सीमा छोड़ नहीं सकते. पानी भरने के बावजूद हम ड्रोन, बड़े सर्चलाइट और नावों से सीमा पर गश्त कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि पहले चौकियों पर जवानों की संख्या ज्यादा थी, लेकिन अब कम हो गई है.
उन्होंने कहा, “पानी अब उतर रहा है और हम सीमा पर भारी नुकसान देख रहे हैं. पहले जैसी स्थिति लौटाने में कई दिन लगेंगे. पानी उतर रहा है, लेकिन इलाका कीचड़ से भरा है. जवान लगातार हालात पर नज़र रख रहे हैं.”
इस बीच, बीएसएफ ने बाड़ और चौकियों को बहाल करने का काम शुरू कर दिया है, ताकि जवान जल्द से जल्द अपनी पोजीशन पर लौट सकें.
यह पहली बार नहीं है कि बीएसएफ चौकियां पानी में डूबी हों. 2023 की पंजाब बाढ़ में सतलुज के जलस्तर बढ़ने से फिरोज़पुर जिले की कई चौकियां और कांटेदार तार की बाड़ डूब गई थी और खराब हो गई थी.
करतारपुर कॉरिडोर पर तैनात एक जवान ने कहा, “लेकिन इस साल बाढ़ का स्तर पहले से अलग है. सीमा पर नुकसान बहुत बड़ा है. मरम्मत का काम शुरू हो चुका है.”
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