नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2020 में महामारी की पहली लहर के दौरान जेलों से रिहा किए गए सभी कैदियों की इमरजेंसी पैरोल को बढ़ाने का आदेश दिया है. लेकिन दिल्ली जेल प्रशासन का डेटा बताता है कि पिछले साल अंतरिम जमानत पर रिहा किए गए 4,684 विचाराधीन और दोषी करार कैदियों में से केवल 2,334 ही वापस आए जबकि 2,350 फरार हो गए.
डेटा बताता है कि विचाराधीन कैदियों, जिनकी संख्या 3,500 थी, में से सिर्फ 1,250 यानि करीब 65 फीसदी ही जेल में लौटे हैं जबकि 2,250 फरार हो गए हैं.
इमरजेंसी पैरोल पर रिहा किए गए दोषी ठहराए जा चुके 1,184 कैदियों में 1,084 वापस आ गए हैं जबकि 100 अभी फरार हैं.
यही नहीं इन कैदियों में से कम से कम 180 ने फिर आपराधिक वारदातों को अंजाम दिया और लूट, स्नैचिंग और चोरी जैसे मामलों में फिर से गिरफ्तार किए गए. फरार कैदियों में से 200 से अधिक अन्य के भी इसी तरह फिर अपराध में लिप्त होने का संदेह है.
ये हाल तब है जबकि एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित की गई थी, जिसने स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के साथ परामर्श के बाद यह निर्णय लिया था कि सात साल तक जेल की सजा वाले अपराधों में आरोपित या दोषी ठहराए गए कैदियों की पैरोल पर विचार किया जाना चाहिए.
दिल्ली में यह फैसला किया गया था कि शुरू में पहली बार अपराध करने वाले ऐसे कैदियों जिनके अपराध की सजा सात साल या उससे कम है और जिन्होंने तीन महीने जेल में बिता लिए हैं, को ही अंतरिम जमानत देने पर विचार किया जाएगा.
रिहाई के लिए विचार किए जाने वाले हर मामले की जांच उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने की और केवल ‘साफ-सुथरे रिकॉर्ड’ वाले कैदियों— जिनके खिलाफ अनुशासनहीनता की कोई शिकायत या जेल अधीक्षकों की तरफ से कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं थी— को ही आखिरकार इस सूची में जगह मिली.
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘इस तरह की जांच-पड़ताल के बावजूद इमरजेंसी पैरोल पर रिहा 150 कैदियों को फिर से स्नैचिंग, डकैती, चोरी आदि अपराधों में लिप्त होने के कारण गिरफ्तार किया गया है.’
अधिकारी ने कहा, ‘हमारे पास तमाम ऐसे लोगों के बारे में खुफिया जानकारी है जो फिर अपने गिरोह में लौट गए हैं. यही नहीं कई मामलों की जांच के दौरान पैरोल पर छूटे कई लोगों के नाम सामने आए हैं. मामलों में उनकी भूमिका संदिग्ध है. हालांकि, वे अभी फरार हैं.’
दिल्ली में तीन जेलें हैं— तिहाड़, मंडोली और रोहिणी— जहां 10,000 की क्षमता के विपरीत 19,500 से अधिक कैदी बंद हैं.
पिछले एक महीने में कोविड से संक्रमित कैदियों और जेल कर्मचारियों की संख्या काफी बढ़ी है. 14 अप्रैल को 70 कैदी और 11 जेल कर्मचारी कोविड पॉजिटिव थे, 7 मई को पॉजिटिव मामलों की संख्या बढ़कर 535 हो गई. इसमें 176 जेल कर्मचारी शामिल थे.
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दिल्ली पुलिस फरार कैदियों का पता लगाने में जुटी
पिछले साल 65 प्रतिशत से अधिक विचाराधीन कैदियों के पैरोल पर बाहर आकर फरार हो जाने के बाद से दिल्ली पुलिस उन्हें तलाशने की कोशिश में जुटी है.
अपना नाम न छापने की शर्त पर एक दूसरे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘हमने जेल प्रशासन से उन कैदियों की सूची हासिल की जो पैरोल अवधि पूरी होने के बाद जेल नहीं लौटे और अब फरार हो चुके हैं. सूची सभी जिलों के डीसीपी (पुलिस उपायुक्तों) के साथ साझा की गई है. इन विचाराधीन और दोषी करार कैदियों के घरों पर दबिश दी गई है और उनके दोस्तों और परिजनों से भी पूछताछ की गई है. इसके अलावा, मुखबिरों की मदद से खुफिया तौर पर नज़र भी रखी गई.’
हालांकि, दूसरी लहर और संक्रमण के मामलों में तेजी के बाद इस सबसे ध्यान भटक गया और पुलिस भी कोविड से जुड़ी ड्यूटी में व्यस्त हो गई.
अधिकारी ने कहा, ‘हम यह नहीं कहेंगे कि जो लोग फरार हैं, उन्हें पकड़ने की कोशिशें बंद कर दी गई हैं लेकिन यह बात जरूर है कि कोविड केस बढ़ने के कारण इससे ध्यान थोड़ा बंट जरूर गया है. अभी जरूरत इस बात की है कि इस महामारी को रोकने के लिए हम क्या मदद कर सकते हैं.’
अधिकारी ने कहा, ‘इसके अलावा, शीर्ष अदालत के आदेश भी हैं कि जेलों में भीड़ घटाने के लिए सात साल से कम सजा वाले अपराधों या जब तक बिल्कुल आवश्यक न हो, किसी की गिरफ्तारी नहीं की जाना चाहिए. हिरासत में पूछताछ की गुंजाइश भी बहुत कम है. हालांकि, हमें उम्मीद है कि कोविड की लहर थमने के बाद हम इन सबका पता लगा लेंगे. हमारी कुछ टीमें इस दिशा में अब भी काम कर रही हैं.’
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‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बढ़ सकते हैं अपराध’
पिछले हफ्ते जारी सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश– आरोपियों को तब तक गिरफ्तार नहीं किया जाए जब तक एकदम आवश्यक न हो और कैदियों की पैरोल बढ़ाने पर विचार किया जाए, कई वरिष्ठ अधिकारियों को लगता है कि इससे आपराधिक मामले बढ़ सकते हैं.
एक तीसरे वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमें अपराधियों को कोविड से बचाने के लिए कुछ अपराधों का सामना करने को तैयार रहना चाहिए. अपराध की स्थिति अब तक नियंत्रण में रही है. लेकिन कई अपराधी फरार हो चुके हैं और कोई गिरफ्तारी नहीं हुई, इससे स्थितियां बिगड़ सकती है. हालांकि, यह सुनिश्चित करने के लिए खास कदम उठाए जाएंगे कि स्थितियां नियंत्रण में ही रहें. फिर भी आने वाले दिनों में अपराध के आंकड़ें बढ़ने पर लोगों को ज्यादा हैरत नहीं होनी चाहिए.’
अधिकारी ने आगे कहा, ‘डेटा दर्शाता है कि पिछले डेढ़ साल में रिहा 1,316 कैदियों ने फिर से अपराध किया. कोविड के कारण इमरजेंसी पैरोल पर रिहा किए गए कई लोग भी फिर अपनी दुनिया में लौट गए और अपराध करने लगे. इसलिए, यह ऐसे अपराधियों को फिर से आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने के लिए प्रेरित कर सकता है.’
हालांकि, एक तीसरे अधिकारी ने कहा कि यह जेलों में भीड़ घटाने और लोगों की जान बचाने की दिशा में एक अहम कदम है क्योंकि गिरफ्तारियां तो बाद में भी की जा सकती हैं.
अधिकारी ने कहा, ‘और अधिक जेलों और सुधार गृहों की जरूरत है क्योंकि जेल में क्षमता से ज्यादा कैदी हैं. मौजूदा स्थिति में हम कोविड के कारण और ज्यादा मामले और मौतें झेल नहीं कर सकते, इसलिए कैदियों को रिहा करना ही एक बेहतर समाधान लगता है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘जब तक लॉकडाउन लगा है, आमतौर पर सड़कों पर होने वाले अपराध कम ही रहेंगे. हालांकि, बाद में इनमें वृद्धि हो सकती है लेकिन पुलिस इससे निपटने के लिए अच्छी तरह तैयार है. जो लोग फरार हो गए हैं, उन्हें ढूंढ़कर निकाला जाएगा और जेलों में डाला जाएगा.’
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