नयी दिल्ली: कांग्रेस ने कहा कि वह यूनिफॉर्म सिविल कोड(यूसीसी) को लेकर अपने रुख पर कायम है और इसे देश स्तर पर लागू करना ठीक नहीं है.
पार्टी ने कहा कि अगर इस मुद्दे पर कोई मसौदा विधेयक या रिपोर्ट आती है, तो फिर वह कोई टिप्पणी करेगी.
बीते शनिवार को कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने संसदीय रणनीति समूह की बैठक की, जिसमें उसने 20 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र के दौरान उठाए जाने वाले विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की.
मणिपुर हिंसा, पहलवानों का विरोध, मुद्रास्फीति, बढ़ती बेरोजगारी और राज्यपालों से राज्य सरकार के टकराव को लेकर कांग्रेस केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी में है.
बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी यूनिफॉर्म सिविल कोड पर 15 जून को पहले ही अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है और यूसीसी को लेकर कांग्रेस के रुख में कोई परिवर्तन नहीं आया है.
उन्होंने कहा कि पिछले 15 दिनों के दौरान इस मामले में कुछ अतिरिक्त नहीं हुआ है, इसलिए पार्टी के पास अभी इस पर कहने के लिए कुछ नहीं है.
जयराम रमेश ने कहा, ‘‘जब कोई मसौदा आएगा और चर्चा होगी, तो हम हिस्सा लेंगे और जो प्रस्तावित होगा, उसकी समीक्षा करेंगे. फिलहाल, हमारे पास प्रतिक्रिया के लिए केवल विधि आयोग का सार्वजनिक नोटिस है. कांग्रेस अपने बयान पर कायम है, क्योंकि कुछ भी नया नहीं हुआ है.’’
कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि यूसीसी पर नये सिरे से जनता की राय लेने का विधि आयोग का नवीनतम प्रयास अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने और ध्रुवीकरण के एजेंडे को जारी रखने के मोदी सरकार के उतावलेपन को दर्शाता है.
दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण से जुड़े अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस ने कहा था कि वह विधेयक आने के बाद इस पर गौर करेगी. इस अध्यादेश को संसद में पारित होने से रोकने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) विपक्षी दलों का समर्थन जुटाने की कोशिशों में जुटी है.
रमेश ने कहा, ‘‘हम सत्र चलाना चाहते हैं. हम महत्वपूर्ण मुद्दे उठाना चाहते हैं. हम चर्चा चाहते हैं. उम्मीद है कि जब भी कानून आएगा, तो हमें अपने मुद्दे उठाने और उस पर अपना रुख स्पष्ट करने का पूरा मौका मिलेगा.’’
उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल कोई जानकारी नहीं है कि कौन से विधेयक आएंगे, लेकिन हम एक सार्थक सत्र चाहते हैं.’’
बैठक में अन्य लोगों के अलावा कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी शामिल हुए.
रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो महीने बाद भी मणिपुर हिंसा पर अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है.
उन्होंने मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे की अपनी पार्टी की मांग दोहराई. रमेश ने यह भी कहा कि पार्टी को लगता है कि गृह मंत्री अमित शाह की मणिपुर यात्रा से कुछ हासिल नहीं हुआ, क्योंकि अशांत राज्य में हिंसा जारी है.
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री चुप हैं और हम उनसे इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ने के लिए कह रहे हैं. प्रधानमंत्री को तुरंत मणिपुर के मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगना चाहिए.’’
रमेश ने कहा कि पार्टी मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की मांग करेगी.
उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान सांसद के रूप में राहुल गांधी की अयोग्यता पर भी चर्चा हुई.
रमेश के मुताबिक, मामला अदालत में विचाराधीन है और पार्टी को उम्मीद है कि न्याय होगा तथा राहुल गांधी सत्र में हिस्सा ले सकेंगे.
उन्होंने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष ने सांसदों को पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक के बारे में भी जानकारी दी.
रमेश ने कहा कि पार्टी आगामी मानसून सत्र में दिल्ली पुलिस द्वारा पहलवानों, विशेषकर महिला पहलवानों के साथ दुर्व्यवहार के मुद्दे के अलावा रेलवे सुरक्षा का मुद्दा भी उठाएगी.
उन्होंने कहा कि पार्टी नये संसद भवन के उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित नहीं किए जाने का मुद्दा भी उठाएगी.
रमेश ने कहा कि यह आदिवासियों और अन्य दबे-कुचले लोगों का अपमान है.
उन्होंने अडाणी समूह द्वारा शेयर की कीमतों में हेरफेर के आरोपों की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की पार्टी की मांग भी दोहराई.
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