नई दिल्ली: भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते न्यायिक प्रणाली ने न्याय प्रदान करने के लिए आधुनिक तरीके अपनाए तथा किसी और महामारी के आने से पहले न्यायिक संस्थानों को विकसित करना व सक्रिय रूप से निर्णय लेना अब हमारा लक्ष्य होना चाहिए.
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में शामिल देशों के उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीशों की 18वें सम्मेलन के दौरान चंद्रचूड़ ने महामारी की शुरुआत होने पर भारतीय न्यायपालिका द्वारा उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला.
उन्होंने कहा कि महामारी के बाद से, भारत में जिला अदालतों ने वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से 16 करोड़ 50 लाख, उच्च न्यायालयों ने सात करोड़ 58 लाख जबकि उच्चतम न्यायालय ने 3,79,954 मामलों की सुनवाई की.
सीजेआई ने कहा, “इसका निष्कर्ष है कि महामारी के कारण न्यायिक प्रणाली को न्याय प्रदान करने के लिए आधुनिक तरीके अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा. लेकिन हमारा लक्ष्य किसी और महामारी के आने से पहले न्यायिक संस्थानों को विकसित करना तथा किसी सक्रिय रूप से निर्णय लेना होना चाहिए.”
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों ने महामारी के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों की सक्रिय रूप से निगरानी की. उच्चतम न्यायालय 10 से 12 मार्च तक के बीच आयोजित सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. इसका उद्देश्य एससीओ सदस्य देशों के उच्चतम न्यायालयों के बीच सहयोग विकसित करना है.
एससीओ के सदस्यों में चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया एससीओ के पर्यवेक्षक जबकि आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया और नेपाल संवाद भागीदार हैं.
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
यह भी पढ़ें: ED को 17 मार्च तक मिली मनीष सिसोदिया की रिमांड, जमानत पर सुनवाई 21 मार्च तक टली