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सोमवार, 12 मई, 2025
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विपक्ष ने कश्मीर पर अमेरिकी मध्यस्थता पर उठाए सवाल, संसद के विशेष सत्र की मांग की

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नयी दिल्ली, 11 मई (भाषा) कुछ विपक्षी दलों ने रविवार को पहलगाम हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की और सरकार से सवाल किया कि क्या वह कश्मीर पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए तैयार है।

कांग्रेस, राजद, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और वाम दलों ने पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के मद्देनज़र सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की।

कुछ दलों ने सैन्य गतिरोध समाप्त करने की घोषणा में अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठाया।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सरकार से कई सवाल पूछे। उन्होंने सवाल किए कि क्या नयी दिल्ली ने भारत एवं पाकिस्तान के बीच तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के लिए दरवाजे खोले हैं और क्या पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक माध्यम खोले गए हैं।

रमेश की यह टिप्पणी भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक सीमा पार से जारी रहे ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद शनिवार को तत्काल प्रभाव से जमीन, हवा और समुद्र पर सभी गोलेबारी और सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमति बनने के आई।

रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एक बार फिर यह मांग करती है कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए तथा पहलगाम, ऑपरेशन सिंदूर और पहले वॉशिंगटन डीसी (अमेरिका) एवं उसके बाद भारत एवं पाकिस्तान की सरकारों द्वारा घोषित किए गए संघर्षविराम के विषय पर संसद का विशेष सत्र आयोजित किया जाए ताकि इन सभी मुद्दों पर व्यापक चर्चा हो सके।’’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद के लिए ‘‘तटस्थ मंच’’ का उल्लेख अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा किया जाना कई सवाल खड़े करता है।

रमेश ने कहा, ‘‘क्या हमने शिमला समझौते को छोड़ दिया है? क्या हमने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए दरवाजे खोल दिए हैं?’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस यह पूछना चाहती है कि क्या भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक चैनल दोबारा खोले जा रहे हैं? हमने पाकिस्तान से कौन सी प्रतिबद्धताएं मांगी हैं और हमें क्या मिला है?’’

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच ‘‘संघर्षविराम’’ की घोषणा करने का अमेरिका का कदम ‘‘अभूतपूर्व’’ है और इससे कई सवाल उठते हैं।

पायलट ने कहा, ‘‘भारत और पाकिस्तान के बीच मुद्दों का अंतरराष्ट्रीयकरण करने का प्रयास किया गया। ऐसा पहली बार हुआ है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार को राष्ट्र और सभी पक्षों को विश्वास में लेते हुए स्पष्टीकरण देना चाहिए।

रविवार को सरकारी सूत्रों ने कहा कि भारत कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता कभी स्वीकार नहीं करेगा और चर्चा का एकमात्र मुद्दा पाकिस्तान द्वारा उसके अवैध कब्जे वाले क्षेत्र को वापस करना है।

पायलट ने कहा कि पीओके भारत का हिस्सा है और देश ने 1994 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को वापस लेने का संकल्प लिया था।

उन्होंने कहा, ‘‘क्या उस रुख में कोई बदलाव आया है? क्या शर्तें हैं, क्या हालात हैं, क्या मुद्दे हैं जिन पर वे बात करेंगे और तीसरा देश कौन है जो भारत को निर्देश देगा कि हमें कहां और कब, कैसे बैठक करनी चाहिए। यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब दिया जाना चाहिए।’’

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने दावा किया कि ट्रंप ने भारत पर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई रोकने का दबाव बनाया।

उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी दूसरा राष्ट्रपति हमारे देश के मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। यह हमारी संप्रभुता पर हमला है और यह हमारी सरकार की कमज़ोरी को दर्शाता है।’’

उन्होंने सरकार पर ऐसे समय में पाकिस्तान के साथ सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जताने के लिए निशाना साधा जब पड़ोसी देश को सबक सिखाने का मौका था।

हालांकि, द्रमुक नेता टीकेएस एलंगोवन ने सैन्य कार्रवाई रोकने का स्वागत किया।

उन्होंने कहा, ‘यह दोनों देशों द्वारा उठाया गया एक स्वागत योग्य कदम है… 21वीं सदी में युद्ध की कोई जरूरत नहीं है, लोगों को सद्भावना से रहना चाहिए, उन्हें नफरत नहीं करनी चाहिए… आपको एक-दूसरे से क्यों लड़ना चाहिए? ट्रंप ने भी संघर्षविराम की मांग की थी, यह एक अच्छा कदम है।’’

समझौते के बावजूद सीमा पर गोलीबारी जारी रहने की खबरों पर राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने संघर्ष पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की।

उन्होंने कहा, ‘‘हम रक्षा बलों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सलाम करते हैं, लोग इसकी मांग कर रहे थे… लोग उनके साथ हैं। मैंने संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी… हमें जवाब नहीं मिला। चूंकि संघर्षविराम हो चुका है, इसलिए हम फिर से मांग करेंगे। हम मानसून सत्र तक इंतजार नहीं कर सकते। अगर हमें जवाब नहीं मिला, तो कटुता होगी…।’’

राजद के राज्यसभा सदस्य मनोज कुमार झा ने पूछा कि ट्रंप को कश्मीर के बारे में बात करने का अधिकार किसने दिया?

उन्होंने कहा, ‘‘यह घोषणा हमारी तरफ से होनी थी… लेकिन एक नए ‘सरपंच’, ‘चौधरी साहब’ (ट्रंप) ने संघर्षविराम की घोषणा की। उन्होंने कश्मीर और उसके इतिहास के बारे में बात की। जब आपके पास इस बारे में बात करने का अधिकार नहीं है तो आप कौन होते हैं? यह शिमला समझौते की भावना के खिलाफ है। देश का मूड 1971 जैसा ही है, इसे ऐसा ही रहना चाहिए।’’

राजद नेता तेजस्वी यादव ने केंद्र से आग्रह किया कि वह बहादुर सैनिकों के सम्मान में संसद का विशेष सत्र बुलाए। उन्होंने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की।

हालाँकि, उन्होंने शत्रुता समाप्त करने में ट्रंप प्रशासन के हस्तक्षेप के बारे में पूछे गए प्रश्नों को टाल दिया।

भाकपा ने भारत और पाकिस्तान के बीच समझौते को सुगम बनाने में अमेरिका की कथित भागीदारी पर गंभीर चिंता व्यक्त की, हालांकि उसने इस सहमति का स्वागत भी किया।

भाषा योगेश नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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