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Monday, 23 December, 2024
होमदेशUP में कोविड किट घोटाले में घिरी योगी सरकार- विपक्ष ने SIT पर सवाल उठाया, की CBI जांच की मांग

UP में कोविड किट घोटाले में घिरी योगी सरकार- विपक्ष ने SIT पर सवाल उठाया, की CBI जांच की मांग

सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मुख्य सचिव (राजस्व) रेणुका कुमारी की अध्यक्षता में एसआईटी टीम गठित की गई है. एसआईटी को पूरे प्रकरण की जांच कर 10 दिनों में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में ऑक्सीमीटर, थर्मल स्कैनर, एनालाइजर समेत कोविड किट खरीदने में हुई हेराफेरी के मामले में योगी सरकार घिरती नज़र आ रही है. सुल्तानपुर से बीजेपी विधायक देवमणि द्विवेदी द्वारा उठाए इस मामले ने विपक्ष को योगी सरकार के खिलाफ अहम मुद्दा दे दिया है. विपक्ष का आरोप है कि 65 जिलों में ये घोटाला हुआ लेकिन अभी तक कार्रवाई केवल 2 जिलों में हुई जो कि नाकाफी है.

कांग्रेस, सपा और आम आदमी पार्टी ने इस मामले में सरकार द्वारा गठित की गई एसआईटी टीम पर सवाल खड़े करते हुए सीबीआई या हाईकोर्ट के सिटिंग जज से जांच कराने की मांग की है. साथ ही मामले में तमाम जिलों के डीएम व पंचायती राज अधिकारियों पर एफआईआर करने की भी मांग की है.

बता दें कि यूपी में घर-घर, गांव-गांव में कोरोना के सर्वे के लिए स्वास्थ्य कर्मचारियों को थर्मल स्कैनर से बुखार और पल्स ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन लेवल और नब्ज़ चेक करने के लिए ये कोविड किट दिए गए जिसकी खरीद में घोटाले की बात सामने आई है.

यूपी कोरोना के मामले में टाॅप 5 राज्यों में से है. फिलहाल राज्य में 67 हजार 955 सक्रिय मामले हैं जिनका इलाज चल रहा है. वहीं 4,349 लोगों की मौत हो चुकी है.


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बीजेपी विधायक ने उठाया था मुद्दा

सुल्तानपुर से बीजेपी विधायक देवमणि द्विवेदी ने बीते 4 सितंबर को सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कहा कि जिले में कोविड सर्वे के दौरान खरीदी जाने वाली 2800 की किट 9950 रुपए में खरीदी गई है.

उन्होंने आरोप लगाया कि ग्राम पंचायतों में शासनादेश है कि 2800 रुपये में किट खरीदी जाए लेकिन इसके बजाए डीएम ने 9950 रुपये में यह किट खरीदने के लिए गांव की पंचायतों पर दबाव बनाया. ये पत्र मीडिया में वायरल होते ही विपक्ष ने इसे मुद्दा बना दिया.

गाजीपुर, बिजनौर समेत तमाम जिलों में स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स ऐसे घपले की आने लगी जिसके बाद योगी सरकार ने जांच बैठा दी.

सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मुख्य सचिव (राजस्व) रेणुका कुमारी की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की गई है. एसआईटी को पूरे प्रकरण की जांच कर 10 दिनों में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है.

इसके अलावा मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर सुल्तानपुर और गाजीपुर जिला पंचायत राज अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है. इसके अलावा शनिवार को दोनों जिलों के डीएम का भी ट्रांसफर कर दिया गया.


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आप, कांग्रेस ने पूरे प्रदेश स्तर का बताया घोटाला

इस मामले को उठाते हुए आम आदमी पार्टी ने कहा कि यूपी में ऐसी हेराफेरी केवल सुल्तानपुर, गाजीपुर नहीं बल्कि 65 जिलों में हुई है.

आप सांसद संजय सिंह का कहना है है कि, ‘ऑक्सीमीटर की कीमत 800 रुपये, थर्मोमीटर की कीमत 1800 रुपये है, जो मिला कर हो गया 2600 रुपये तो सुल्तानपुर के डीएम ने 9950 रुपये में कोविड किट क्यों खरीदी? आखिर इतना बड़ा भ्रष्टाचार किसके इशारे पर हुआ है और किन-किन अधिकारियों ने दलाली खाई है?’

बिजनौर, झांसी और बाराबंकी के उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कई जिलों में ऐसी हेराफेरी हुई है. ऑक्सीमीटर व थर्मामीटर में 20 से ज्यादा, तो एनालाइजर खरीद में 65 से ज्यादा जिले में भ्रष्टाचार हुआ है. 10 दिन में कहां-कहां एसआईटी जांच करने जा पाएगी.

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू ने रविवार को बयान जारी करते हुए कहा कि सरकार द्वारा गठित की गई एसआईटी केवल खानापूर्ति है. अपने ही अधिकारियों की ये एसआईटी बनाई गई जबकि इसमें योगी के करीबी अधिकारी शामिल हैं लेकिन ये एसआईटी छोटे अधिकारी या कर्मचारियों के अलावा किसी पर कोई आंच नहीं आने देगी इसलिए मामले की सीबीआई जांच हो.

दिप्रिंट से बातचीत में समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह ने कहा, ‘इस मामले में ब्यूरोक्रेट ही ब्यूरोक्रेट की जांच कर रहे हैं. ये तो ‘आईवाश’ की तरह है. ऐसे में किसी बड़े अधिकारी पर तो कार्रवाई होनी नहीं है. ऐसे में उच्चस्तरीय जांच जरूरी है.’

आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर सबसे अधिक मुखर है. पार्टी के सांसद व यूपी प्रभारी संजय सिंह का कहना है कि इस मामले में सबसे पहले एफआईआर दर्ज होनी चाहिए और हाई कोर्ट के सिटिंग जज द्वारा इसकी जांच होनी चाहिए.

फिलहाल योगी सरकार की ओर से कोई भी इस मुद्दे पर बात करने को तैयार नहीं है. सरकार के दोनों प्रवक्ता उपलब्ध नहीं हैं.

दिप्रिंट ने सरकार के दोनों प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा व सिद्धार्थ नाथ सिंह से बात करने का प्रयास किया लेकिन वे इस मुद्दे पर बात करने को उपलब्ध नहीं थे. श्रीकांत शर्मा की ओर से कहा गया कि वह फिलहाल किसी मुद्दे पर बयान नहीं दे रहे तो वहीं सिद्धार्थ नाथ सिंह कोरोना का इलाज कराने के कारण उपलब्ध नहीं थे.

वहीं यूपी बीजेपी के प्रवक्ता हरीश श्रीवास्तव का इस मुद्दे पर कहना है, ‘दोषियों पर कार्रवाई जरूर की जाएगी. फिलहाल योगी सरकार ने दो अधिकारियों पर कार्रवाई की है. अब एसआईटी की रिपोर्ट का इंतजार है. कोई भी दोषी नहीं बचेगा. सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टाॅलरेंस की नीति बरकरार है.’


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