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Saturday, 23 August, 2025
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जेईआई से जुड़े स्कूलों पर जम्मू-कश्मीर सरकार के आदेश पर विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रिया

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श्रीनगर, 23 अगस्त (भाषा) जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) से संबद्ध 215 स्कूलों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के जम्मू-कश्मीर सरकार के आदेश पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख एवं हंदवाड़ा के विधायक सज्जाद लोन ने कहा, ‘‘इस सरकार में शर्म और बेहयाई की नई परिभाषा बन गई है।’’

लोन ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर सरकार ने 215 स्कूलों को जबरन अपने अधीन ले लिया है। और अनुमान लगाना मुश्किल नहीं कि यह आदेश चुनी हुई सरकार ने ही जारी किया है। शर्म और बेशर्मी ने इस सरकार में नए मायने हासिल कर लिए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वे अब दासता में नए मापदंड स्थापित कर रहे हैं। और याद दिलाना चाहता हूं कि यह वही पार्टी है, जिसने अपने विरोधियों के खिलाफ कई फरमान जारी किए थे।’’

उन्होंने लोगों से कहा कि वे ‘‘किसी भी भ्रम में न रहें,’’ क्योंकि चुनी हुई सरकार ‘‘सभी कामों में शामिल रही है।’’

लोन ने कहा, ‘‘चाहे मेल भेजना हो या कर्मचारियों की बर्खास्तगी, वे समान रूप से भागीदार हैं। वे अतीत में भी समान भागीदार रहे हैं। और भविष्य में भी समान भागीदार रहेंगे। यह ए टीम है। यह हमेशा से ए टीम रही है।’’

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि सत्ता में रहते हुए जमात-ए-इस्लामी हमेशा नेकां का पहला निशाना रही है।

उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘कश्मीर के इतिहास में जब भी नेशनल कॉन्फ्रेंस को भारी बहुमत मिला, उनका पहला निशाना हमेशा जमात रहा है। चाहे 1977 हो या आज, जब उन्होंने हजारों छात्रों के भविष्य को खतरे में डालकर उन्हें परेशानी में छोड़ दिया है।’’

शिक्षा मंत्री सकीना इट्टू ने शनिवार को कहा कि प्रारंभिक प्रस्ताव में यह तय किया गया था कि इन स्कूलों की देखरेख ‘क्लस्टर प्रिंसिपल’ करेंगे, न कि उपायुक्त।

मंत्री ने कहा कि उनके द्वारा अनुमोदित मसौदे में यह स्पष्ट रूप से लिखा था कि इन स्कूलों की देखरेख क्लस्टर प्रिंसिपल करेंगे, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव द्वारा जारी आदेश इससे अलग हैं।

पीडीपी नेता ने कहा कि मंत्री का ‘‘यह स्पष्टीकरण’’ संकट को और बढ़ाता है।’’

उन्होंने पूछा, ‘‘यह स्वीकार क्यों नहीं किया जाता कि दशकों से जमात को दंडित और प्रतिबंधित करना उनकी आधिकारिक नीति रही है?’’

पीडीपी के एक अन्य नेता वहीद पारा ने कहा कि 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद केंद्र की एक बड़ी सफलता जमात-ए-इस्लामी को चुनावी प्रक्रिया में शामिल करना था।

पुलवामा के विधायक ने एक्स पर कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण उपलब्धि गिरफ्तारियों या मुठभेड़ों के जरिए हासिल नहीं की जा सकती थी। यह 2024 के चुनावों के दौरान हासिल हुई, जब जमात के अमीर और जेईआई के सदस्यों ने सक्रिय रूप से उम्मीदवार उतारे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक बड़ा कदम था उन लोगों को बदलने और फिर से समाज की मुख्य धारा में शामिल करने का, जिन्हें 1987 से शुरू हुई दशकों पुरानी दुश्मनी की वजह से भारत-विरोधी समूहों ने इस्तेमाल किया था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जो काम ताकत से नहीं हो सका, उसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया और भागीदारी ने सफलतापूर्वक पूरा किया।’’

हालांकि, उन्होंने कहा कि हाल ही में किताबों पर रोक लगाना और स्कूलों को अधीन करना जैसे कदम सोची-समझी रणनीति के बजाय ‘‘बिना सोचे-समझे उठाए गए कदम’’ प्रतीत होते हैं।

पारा ने आगे कहा, ‘‘ये कदम उन लोगों को दबाते हैं, जो जमात-ए-इस्लामी से जुड़े हैं और उन लोगों के लिए रास्ते बंद कर देते हैं, जो पिछले बीस वर्षों की परेशानी से बाहर निकलना चाहते हैं। भारत सरकार को जगह देनी चाहिए, संवैधानिक गारंटी को बरकरार रखना चाहिए और जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बढ़ावा देना चाहिए।’’

भाषा खारी दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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