नई दिल्ली : मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा की शर्तों और कार्यकाल को रेग्युलेट करने वाला विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया जाने वाला है. इस बिल का विपक्ष ने तीखा विरोध किया है और इसे चुनाव आयोग को ‘प्रधानमंत्री के हाथ की कठपुतली बनाने’ की कोशिश बताया है.
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि इस बिल का मकसद चुनाव आयोग को ‘प्रधानमंत्री के हाथ की कठपुतलनी बनाना’ है. वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री द्वारा एक-एक करके लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश बताया है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट में कहा है कि प्रधानमंत्री को सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला पसंद नहीं आएगा, उसे संसद में बिल लाकर बदल देंगे.
केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा की नियुक्ति शर्तें और कार्यकाल) विधेयक, 2023 पेश करेंगे.
विधेयक चुनाव आयोग द्वारा लेन-देन की प्रक्रिया से भी संबंधित है.
बिल में प्रस्ताव है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता व पीएम द्वारा नामित केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के परामर्श वाला पैनल करे. प्रधानमंत्री इस पैनल की अध्यक्षता करेंगे.
गौरतलब है कि यह बिल, अगर प्रभाव में आता है तो यह मार्च 2023 के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को खिलाफ होगा जिसमें चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायधीश के पैनल से परामर्श करके करने की बा कही गई थी. हालांकि, शीर्ष अदालत ने अपने इस फैसले में, कहा था कि उसके द्वारा रेखांकित प्रक्रिया संसद द्वारा कानून बनाये जाने तक लागू रहेगी.
Blatant attempt at making the Election Commission a total puppet in the hands of the PM.
What about the Supreme Court’s existing ruling which requires an impartial panel?
Why does the PM feel the need to appoint a biased Election Commissioner?
This is an unconstitutional,… https://t.co/injuEBXdQx
— K C Venugopal (@kcvenugopalmp) August 10, 2023
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “चुनाव आयोग को पूरी तरह से प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने का एक खुल्लम खुल्ला प्रयास है.”
प्रधान मंत्री जी द्वारा प्रस्तावित चुनाव आयुक्तों की चयन कमेटी में दो बीजेपी के सदस्य होंगे और एक कांग्रेस का। ज़ाहिर है कि जो चुनाव आयुक्त चुने जायेंगे, वो बीजेपी के वफ़ादार होंगे https://t.co/Pfwj6gR9A7
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 10, 2023
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस फैसले को लेकर प्रधानमंत्री की आलोचना की है.
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री जी द्वारा प्रस्तावित चुनाव आयुक्तों की चयन कमेटी में दो बीजेपी के सदस्य होंगे और एक कांग्रेस का. ज़ाहिर है कि जो चुनाव आयुक्त चुने जाएंगे, वो बीजेपी के वफ़ादार होंगे. मैंने पहले ही कहा था – प्रधानमंत्री जी देश के सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते. उनका संदेश साफ़ है – जो सुप्रीम कोर्ट का आदेश उन्हें पसंद नहीं आएगा, वो संसद में क़ानून लाकर उसे पलट देंगे. यदि PM खुलेआम सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते तो ये बेहद ख़तरनाक स्थिति है.”
केजरीवाल ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने एक निष्पक्ष कमेटी बनायी थी, जो निष्पक्ष चुनाव आयुक्तों का चयन करेगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटकर मोदी जी ने ऐसी कमेटी बना दी जो उनके कंट्रोल में होगी और जिससे वो अपने मन पसंद व्यक्ति को चुनाव आयुक्त बना सकेंगे. इससे चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित होगी. एक के बाद एक निर्णयों से प्रधानमंत्री जी भारतीय जनतंत्र को कमज़ोर करते जा रहे हैं.”
अरविंद केजरीवाल को जवाब देते हुए बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा कि सरकार के पास बिल लाने का अधिकार है.
Read the Supreme Court judgment. It had suggested a transient method for appointment of the CEC. in absence of a statutory mechanism. The government is well within its right to bring in a bill for the same.
Now sit down. https://t.co/2FeTDBxtcX pic.twitter.com/NqqvaZqXlt
— Amit Malviya (@amitmalviya) August 10, 2023
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “वैधानिक तंत्र के अभाव में एससी ने सीईसी की नियुक्ति के लिए एक अस्थायी तरीका सुझाया था. सरकार के पास इसके लिए विधेयक लाने का अधिकार है.”
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