नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) विपक्षी दलों ने सोमवार को जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा देने पर सवाल उठाया। कांग्रेस ने कहा कि स्पष्ट रूप से, उनके अप्रत्याशित इस्तीफे में जो दिख रहा है, उससे कहीं अधिक है।
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से धनखड़ को अपना मन बदलने के लिए मनाने का आग्रह किया।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे अपने त्यागपत्र में धनखड़ ने कहा कि वह ‘‘स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने’’ के लिए तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति का अचानक इस्तीफा देना जितना चौंकाने वाला है, उतना ही समझ से परे भी। मैं आज शाम लगभग पांच बजे तक कई अन्य सांसदों के साथ उनके साथ था और शाम साढ़े सात बजे उनसे फोन पर बात की थी।’
उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं कि धनखड़ को अपने स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी, लेकिन स्पष्ट रूप से उनके पूरी तरह से अप्रत्याशित इस्तीफे में जो दिख रहा है, उससे कहीं अधिक कुछ है। हालांकि, यह अटकलों का समय नहीं है।’
रमेश ने कहा, ‘धनखड़ ने सरकार और विपक्ष, दोनों को समान रूप से आड़े हाथों लिया। उन्होंने मंगलवार दोपहर एक बजे कार्य मंत्रणा समिति की बैठक तय की थी। वह कल न्यायपालिका से जुड़ी कुछ बड़ी घोषणाएं भी करने वाले थे।’
कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘हम उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं, लेकिन उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का भी अनुरोध करते हैं। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी, धनखड़ को अपना मन बदलने के लिए मनाएंगे। यही देशहित में होगा। विशेषकर कृषक समुदाय को काफी राहत मिलेगी।’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने धनखड़ के अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करते हुए कहा कि उन्होंने ‘चिकित्सीय कारणों’ का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के सांसद पी संदोष कुमार ने कहा कि यह घटनाक्रम बिल्कुल अप्रत्याशित है और ‘हमें नहीं पता कि इसके क्या कारण हैं।’
कुमार ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि राष्ट्रपति इसे स्वीकार करेंगी। यह उनकी (धनखड़ की) ओर से शुरुआती प्रतिक्रिया हो सकती है। हो सकता है कि वह कुछ घटनाक्रम से असंतुष्ट हों।’
राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने धनखड़ को देशभक्त बताते हुए कहा कि चूंकि, उन्होंने (धनखड़ ने) अपने फैसले के लिए स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, इसलिए इसे स्वीकार किया जाना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सिब्बल ने कहा कि धनखड़ ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उन्होंने स्वास्थ्य आधार पर इस्तीफा दिया है और इस पर आगे कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए।
पूर्व केंद्रीय मंत्री सिब्बल ने कहा, ‘‘हमें इसे स्वीकार करना होगा और आगे बढ़ना होगा। निजी तौर पर, मुझे अच्छा नहीं लगा। उनके साथ मेरे बहुत अच्छे संबंध हैं। कोई बुरी भावना नहीं है। वो अपनी बात कह देते थे, दिल में बात नहीं रखते थे। हालांकि, हमारी विचारधाराएं मिलती नहीं थीं, पर वह कभी दिल में बात नहीं रखते थे। जब मैं राज्यसभा में बोलने के लिए अधिक समय चाहता था, तो वह मुझे अधिक समय देते थे।’’
धनखड़ के इस्तीफे पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) नेता वारिस पठान ने कहा, ‘मैंने देखा कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। उन्होंने इसके लिए चिकित्सा कारण बताए हैं। हम केवल प्रार्थना कर सकते हैं कि उनके स्वास्थ्य में जल्दी सुधार हो…।’
शिवसेना (उबाठा) नेता आनंद दुबे ने कहा, ‘उपराष्ट्रपति के स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने की खबर चिंताजनक है। हम उनकी कुशलता की कामना करते हैं। लेकिन, एक सवाल उठता है कि आज मानसून सत्र का पहला दिन था और उसी दिन उनका इस्तीफा देना चिंताजनक है।’
उन्होंने कहा, ‘इस सरकार में क्या चल रहा है? यह फैसला बिना किसी उचित परामर्श या चर्चा के लिया गया। अगर स्वास्थ्य ही चिंता का विषय था, तो इस्तीफा सत्र से कुछ दिन पहले या बाद में भी दिया जा सकता था।’
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे अपने त्यागपत्र में धनखड़ ने कहा कि वह ‘‘स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने’’ के लिए तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं।
धनखड़ (74) ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पदभार संभाला था और उनका कार्यकाल 2027 तक था।
भाषा आशीष पारुल
पारुल
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