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Tuesday, 1 October, 2024
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विपक्षी दलों ने असम-मेघालय सीमा विवाद के हल के फार्मूले का विरोध किया

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गुवाहाटी, 20 जनवरी (भाषा) विपक्षी रायजर दल और असम जातीय परिषद ने मेघालय के साथ छह स्थानों पर सीमा विवाद के निपटारे के लिए असम सरकार के रुख का विरोध किया जिसमें दोनों राज्यों द्वारा दावा की जा रही जमीन का लगभग आधा हिस्सा देने का प्रस्ताव है।

रायजर दल अध्यक्ष अखिल गोगोई ने असम के लोगों के नाम एक खुले पत्र में सवाल किया कि क्या कोई राज्य सरकार अपनी वैध भूमि दूसरे राज्य के पक्ष में छोड़ सकती है। वहीं असम जातीय परिषद के प्रमुख लुरिनज्योति गोगोई ने इस निर्णय को ‘जनविरोधी’ कहा क्योंकि इसमें जनमत की ‘उपेक्षा’ की गयी है।

विपक्षी दलों ने कहा कि संविधान के तहत केवल संसद को ही किसी राज्य की सीमाओं को बदलने का अधिकार है और असम सरकार खुद जमीन कैसे दे सकती है जो आधिकारिक तौर पर राज्य की है।

रायजर दल अध्यक्ष ने कहा, ‘असम ने पड़ोसी राज्यों की किसी भूमि पर कब्जा नहीं किया है और हर मामले में अन्य राज्यों ने हमारी भूमि पर कब्जा किया है। और अब, हम अपनी संवैधानिक भूमि छोड़ने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। यह कितना उचित है?’

लुरिनज्योति गोगोई ने मेघालय को जमीन देने के असम सरकार के कदम को मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का ”एकतरफा महत्वाकांक्षी फैसला” बताया। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘सीमा विवाद सुलझाने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन यह संवैधानिक मानदंडों को तोड़कर नहीं किया जाना चाहिए। विवादित स्थानों के लोगों की सहमति के बिना ऐसा अहम फैसला नहीं किया जा सकता है।’

उन्होंने दावा किया कि हिमंत सरमा सरकार ‘केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राजनीतिक निर्देशों के अनुसार जल्दबाजी में’ मेघालय को जमीन देने का फैसला कर रही है।

इससे पहले राज्य के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मामले पर अधिक चर्चा, खासकर विधानसभा में, कराने पर जोर दिया था।

भाषा अविनाश नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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