नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्ष के नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर जामिया मिल्लिया इस्लामिया में छात्रों पर हुई पुलिस ज़्यादती का मुद्दा उठाया. साथ ही नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में उठ रही आवाज़ों को सरकार को सुनने की बात कही. विपक्ष ने राष्ट्रपति से अपील की कि वे इस ‘जन विरोधी’ कानून को वापस लेने की बात सरकार को कहें क्योंकि देशभर की जनता ने बता दिया है कि वो इसके खिलाफ है.
राष्ट्रपति कोविंद से मुलाकात के बाद सोनिया गांधी ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत की स्थिति बहुत गंभीर है और ‘अब जनाक्रोश पूरे देश में, यहां तक की राजधानी दिल्ली में भी फैल गया है और हमें आशंका है कि ये और भी फैल सकता है. हमें पुलिस के रवैये से बहुत दुख पहुंचा है कि एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन से निपटने के लिए उन्होंने इतना बल प्रयोग किया.’
सोनिया गांधी ने साथ ही कहा कि दिल्ली में पुलिस जामिया में लड़कियों के हॉस्टल में घुस आई और लड़कियों को वहां से खींच कर ले आई और उन्होंने छात्रों की बरबरतापूर्वक पिटाई की. ‘आपने देखा ही है कि मोदी सरकार लोगों की आवाज दबा रही है और ऐसे कानून ला रही है जो उन्हें स्वीकार्य नहीं है.’
मायावती ने कहा कानून वापस हो
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को कहा कि नए नागरिकता कानून में मुस्लिम समाज की पूरी तरह उपेक्षा की गयी है और केन्द्र सरकार को इसे वापस लेना चाहिए.
उन्होंने यहां जारी एक बयान में कहा, ‘नागरिकता संशोधन विधेयक के पास हो जाने के बाद से ही देशभर में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. ऐसा प्राय: तभी होता है जब सरकार अपने स्वार्थ में, देश के संविधान को भी ताक पर रखकर किसी खास समुदाय और धर्म के लोगों की उपेक्षा करती है. नए नागरिकता कानून में मुस्लिम समाज की पूरे तरह उपेक्षा की गई है जिससे हमारी पार्टी बिलकुल सहमत नहीं है.’
मायावती ने मांग की कि कि केन्द्र सरकार को इस कानून को देश हित में वापस लेना चाहिए.
बसपा प्रमुख ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तान में हिन्दुओं के साथ जो ज्यादती हुई, उसका बदला भाजपा नीत वर्तमान केन्द्र सरकार भारत के मुसलमानों से लेना चाहती है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली में जामिया और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पुलिसिया कार्रवाई निन्दनीय है जिसका हर ओर विरोध हो रहा है.
मायावती ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय भारतीय संविधान की गरिमा को किसी भी कीमत पर नहीं गिरने देगा.
(न्यूज एजेंसी भाषा के इनपुट्स के साथ)