नयी दिल्ली, 27 जुलाई (भाषा) मणिपुर के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के बीच विपक्षी दलों ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक का बहिष्कार किया।
विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने यह जानकारी दी।
कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित रही है।
राज्यसभा की बीएसी में सदन के सभापति सहित 11 सदस्य होते हैं। 26 दलों वाले विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के तीन सांसद जयराम रमेश (कांग्रेस), मीसा भारती (राजद) और डेरेक ओब्रायन (टीएमसी) बीएसी समिति में हैं।
इन तीनों के अलावा भारत राष्ट्र समिति के केशव राव भी बैठक में शामिल नहीं हुए।
इससे पहले, बुधवार को विपक्षी सदस्यों ने सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसद की स्थायी समिति की बैठक से नए निजी डेटा संरक्षण विधेयक पर रिपोर्ट स्वीकार किए जाने का विरोध करते हुए बहिर्गमन किया था। शिवसेना सांसद प्रताव राव जाधव इस समिति के प्रमुख हैं।
विपक्षी सदस्यों का कहनाा था कि यह विधेयक समिति के पास कभी औपचारिक रूप से नहीं भेजा गया और अनौपचारिक चर्चा के आधार पर यह रिपोर्ट तय कर ली गई है।
गत 20 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मणिपुर मुद्दे पर संसद में बयान नहीं दिए जाने और दिल्ली के सेवा मामले पर अध्यादेश के अदालत के विचाराधीन होने के बावजूद सरकार द्वारा इसके स्थान पर विधेयक लाए जाने के विरोध में विपक्षी दलों के कई नेताओं ने राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक का बहिष्कार किया था।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा लिखित में विपक्षी नेताओं का विरोध दर्ज नहीं किए जाने के बाद कांग्रेस, वाम दलों, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, राजद, राकांपा और आप सहित अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने बीएसी की बैठक से बहिर्गमन किया था।
कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के बीच बुधवार को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जिस पर सदन में चर्चा के लिए मंजूरी दे दी गई।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करने के बाद इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तिथि तय करेंगे।
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