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Saturday, 2 November, 2024
होमदेशआरजी कर मामले में बंगाल की दुर्गा पूजा समितियों का विरोध आया सामने, ममता सरकार के अनुदान को लेने से किया मना

आरजी कर मामले में बंगाल की दुर्गा पूजा समितियों का विरोध आया सामने, ममता सरकार के अनुदान को लेने से किया मना

टीएमसी के कुणाल घोष ने कहा कि 'आरजी कर मुद्दे को पूजा से जोड़ने वालों को पहले दिए गए अनुदान भी लौटा देने चाहिए'.

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कोलकाता: कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला रेजिडेंट डॉक्टर के साथ हुए क्रूर बलात्कार और हत्या के बाद, कई दुर्गा पूजा समितियों ने विरोध के तौर पर पश्चिम बंगाल सरकार के त्योहार मानदेय को अस्वीकार करने का फैसला किया है.

पिछले महीने, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस साल के समारोहों के लिए पूजा समितियों के लिए 60,000 रुपये से लेकर 85,000 रुपये तक की सहायता और अन्य रियायतें जुटाई थीं.

हुगली के अपानादर दुर्गा पूजा समिति के सचिव ने जिला मजिस्ट्रेट को लिखे पत्र में कहा, “आरजी कर घटना के साथ एकजुटता दिखाते हुए, निवासियों/शुभचिंतकों/हमारे संगठन के सदस्यों ने कम से कम इस साल 85,000 रुपये का सरकारी अनुदान स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है.”

एक अन्य पैनल, कोन्नगर मास्टरपारा सर्बोजनिन दुर्गा पूजा समिति ने भी इस साल सरकारी सहायता स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है. समिति की सदस्य सोमा चक्रवर्ती ने निवासियों को इस फैसले के बारे में बताते हुए कहा, “सबसे पहले महिलाओं का सम्मान किया जाना चाहिए, तभी हम जश्न मना सकते हैं और खुशियां फैला सकते हैं.”

बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के कृष्णपुर संन्यासी दुर्गोत्सव समिति की सभी महिलाओं ने स्थानीय पुलिस थाने को पत्र लिखकर अनुदान देने से मना करने के अपने फैसले के बारे में प्रभारी अधिकारी को सूचित किया. समिति की सचिव कल्पना घोष ने कहा, “एक महिला के साथ क्रूरतापूर्वक बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई. हम सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और रैलियों में शामिल हो रहे हैं, फिर हम मुख्यमंत्री से पैसे लेकर इस पूजा का जश्न कैसे मना सकते हैं? यह अमानवीय है.”

दक्षिण 24 परगना जिले के जयनगर, उत्तर 24 परगना के बारासात और कोलकाता के हिलैंड पार्क से भी पूजा समितियों द्वारा अनुदान के बहिष्कार का आह्वान किया गया है.

पश्चिम बंगाल में करीब 43,000 मान्यता प्राप्त पूजा समितियां हैं, जिनमें से करीब 3,000 कोलकाता में स्थित हैं. हर साल, दस दिवसीय उत्सव का उत्साह राज्य में छा जाता है, क्योंकि सभी क्षेत्रों के लोग देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए एक साथ आते हैं.

राज्य सरकार ने इस वर्ष अनुदान में वृद्धि की है. यह त्यौहार यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल है.

पूजा अनुदान की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री बनर्जी ने समितियों को यह भी आश्वासन दिया था कि अगले साल वह उत्सव के आयोजन के लिए प्रत्येक पैनल को एक लाख रुपये वितरित करेंगी.

इस बीच, कोलकाता में सामुदायिक पूजा का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था फोरम ऑफ दुर्गोत्सव ने पूजा आयोजकों से आरजी कर की घटना को उत्सव के साथ न मिलाने का आग्रह किया.

संगठन के बयान में कहा गया है, “फोरम फॉर दुर्गोत्सव आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुए जघन्य अपराध की निंदा करता है और पीड़ित के लिए न्याय की मांग करता है, लेकिन हम पूजा समितियों से अपील करते हैं कि वे उत्सव को अपने हिसाब से चलने दें और बंगालियों की भावनाओं को इस जघन्य अपराध के साथ न मिलाएं.”

वहीं तृणमूल कांग्रेस ने समितियों को चुनौती दी कि वे पहले आयोजित पूजाओं के लिए इस्तेमाल किए गए अनुदान को वापस करें. टीएमसी नेता कुणाल घोष ने एक्स पर पोस्ट किया: “वे पूजा समितियां, जो आरजी कर मुद्दे को पूजाओं के साथ जोड़कर अनुदान स्वीकार नहीं कर रही हैं, उन्हें पहले दिए गए अनुदान भी वापस कर देने चाहिए. जो लोग इन पूजा समितियों का हिस्सा हैं, उन्हें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि वे राज्य सरकार की योजनाओं का कोई लाभ नहीं लेंगे.”

भारतीय जनता पार्टी के नेता सजल घोष, जो कोलकाता के लोकप्रिय संतोष मित्रा स्क्वायर दुर्गा पूजा के आयोजक सदस्य हैं, ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो बयान पोस्ट किया, जिसमें समितियों से बहिष्कार में शामिल होने का आग्रह किया गया.

उन्होंने कहा, “जो लोग जीवित दुर्गा की रक्षा नहीं कर सकते, वे दुर्गा की मूर्तियों का सम्मान कैसे कर सकते हैं? इसलिए मैं लोगों से आग्रह करता हूँ कि वे इस खून से लथपथ पैसे को स्वीकार न करें. मुझे यकीन है कि जिन समितियों ने इस अनुदान को स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है, वे पाएंगे कि जनता उनके साथ खड़ी है और पूजा के लिए दान करेगी.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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