अगरतला, 17 मार्च (भाषा) त्रिपुरा के राज्यपाल सत्यदेव एन आर्य ने राज्य में मौजूदा कानून-व्यवस्था की स्थिति पर बृहस्पतिवार को संतोष व्यक्त किया। वहीं विपक्षी माकपा विधायकों ने उनके अभिभाषण का बहिष्कार किया और बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल का ध्यान कथित तौर पर बिगड़ी कानून-व्यवस्था की ओर आकर्षित करने में विफल रहने के बाद सदन से बहिर्गमन किया।
राज्यपाल ने अपने भाषण में गंभीर अपराधों और महिलाओं के खिलाफ हिंसा के प्रतिशत में कमी के अलावा दोषसिद्धि दर में वृद्धि का हवाला देते हुए भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में कानून और व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण सुधार पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य की कानून व्यवस्था में उल्लेखनीय रूप से सुधार हुआ है और यह अच्छी तरह से नियंत्रण में है जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि 2019 की तुलना में गंभीर अपराधों के प्रतिशत में 26 प्रतिशत की कमी आई है।’’
राज्यपाल ने कहा कि 2019 की तुलना में 2020 में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 19.60 प्रतिशत की कमी आयी है। राज्यपाल ने बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य देखभाल और किसानों के कल्याण के क्षेत्रों में बिप्लब कुमार देब सरकार की उपलब्धियों की भी सराहना की।
इससे पहले, जब राज्यपाल ने अपना प्रथागत भाषण देना शुरू किया, तो विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति के बारे में उनका ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की। हालांकि, माइक्रोफोन बंद होने के कारण वह कुछ नहीं कह सके।
चूंकि माणिक सरकार राज्यपाल का ध्यान आकर्षित करने में विफल रहे, विपक्षी नेता के नेतृत्व में माकपा विधायकों ने सदन से बहिर्गमन किया। माणिक सरकार ने बाद में कहा, ‘‘राज्यपाल के भाषण को सुनने की हमारी एक लंबी परंपरा है। लेकिन इस बार वाम मोर्चा के विधायकों को दूर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा।’’
माकपा नेता ने आरोप लगाया, ‘‘त्रिपुरा में जंगल राज है जहां विपक्षी दलों को अपने कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं है। लोग डरे हुए हैं। राज्य के प्रमुख के रूप में, राज्यपाल मुख्य सचिव और डीजीपी को कानून और व्यवस्था में सुधार के लिए सलाह देने के लिए बुला सकते हैं।’’
पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि जब भी कोई राज्यपाल से संपर्क करने की कोशिश करता है तो उनके अस्वस्थ होने की सूचना मिलती है।
भाषा अमित उमा
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