नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को एक संसदीय समिति को बताया कि डीजीएमओ ने पाकिस्तान को उसके क्षेत्र में आतंकी शिविरों पर भारत की ओर से हमला किए जाने के बारे में जानकारी हमलों को अंजाम दिए जाने के बाद बाद दी थी। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
जयशंकर ने यह भी कहा कि उन्होंने पाकिस्तान से कभी बात नहीं की और कथित अमेरिकी ‘हस्तक्षेप’ के बारे में स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि सैन्य अभियान को रोकने का निर्णय पाकिस्तान के अनुरोध के बाद द्विपक्षीय रूप से लिया गया था।
मंत्री ने विदेश मामलों की सलाहकार समिति के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को तभी रोका गया जब पाकिस्तान के डीजीएमओ ने इसे रोकने के लिए कहा।
उन्होंने कहा कि दोनों के बीच अमेरिकी मध्यस्थता का कोई सवाल ही नहीं है।
कांग्रेस और राहुल गांधी, जयशंकर पर निशाना साधते हुए आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने आतंकी शिविरों पर भारतीय हमलों के बारे में पाकिस्तान को पहले ही सूचित कर दिया था।
कांग्रेस द्वारा की गई आलोचना का जिक्र करते हुए जयशंकर ने सांसदों से कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ नेता उनके बयान को गलत तरीके से पेश करके राजनीति कर रहे हैं।
विदेश मंत्री ने इस दावे को भी सिरे से खारिज कर दिया कि उन्होंने पाकिस्तानी पक्ष से बात की है।
सूत्रों ने बताया कि मंत्री ने बैठक में सांसदों को बताया कि केवल दोनों देशों के डीजीएमओ ने एक-दूसरे से बात की और किसी अन्य भारतीय अधिकारी ने पाकिस्तानी पक्ष से बात नहीं की।
मंत्री ने सांसदों को यह भी बताया कि पाकिस्तान ने भारत की कार्रवाई रूकवाने के लिए अमेरिका से मदद मांगी, वहीं अमेरिकी पक्ष को स्पष्ट रूप से बता दिया गया था कि पाकिस्तान को भारत से सीधे बात करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत से पाकिस्तान से बात करने का आग्रह कर रहा था और उसे बताया दिया गया कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते।
विदेश मंत्री ने बैठक के दौरान सांसदों द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को रोकने और अमेरिकी ‘हस्तक्षेप’ के बारे में पूछे गए कई सवालों के जवाब में बताया कि डीजीएमओ ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष को सूचित किया था कि अगर वे गोलीबारी करेंगे, तो भारत जवाबी गोलीबारी करेगा।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आतंकी शिविरों पर लक्षित हमलों ने पाकिस्तानी सेना के मनोबल को भी चोट पहुंचाई है। सूत्रों ने बताया कि मंत्री ने दुनिया भर में पाकिस्तान को ‘बेनकाब’ करने में सभी सांसदों से सहयोग मांगा।
मंत्री ने सांसदों से पाकिस्तान के दुष्प्रचार में न आने और पड़ोसी देश द्वारा फैलाई गई अफवाहों पर विश्वास न करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जहां कई देशों ने आतंकी शिविरों पर हमला करने में भारत की भूमिका का समर्थन किया है, वहीं चीन, अजरबैजान और तुर्किए जैसे बहुत कम देशों ने पाकिस्तान का साथ दिया है।
उन्होंने कहा कि यही कारण है कि सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के एकजुट संदेश को दुनिया के सामने रखने के लिए सांसदों के बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों को विभिन्न देशों में भेजा है।
भाषा शोभना वैभव
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