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नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा) केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने इस तथ्य को उजागर कर दिया है कि भारत में आतंकवाद पूरी तरह से पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित है।
शाह ने यह भी कहा कि यह ‘ऑपरेशन’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘दृढ़’ राजनीतिक इच्छाशक्ति, एजेंसियों से प्राप्त ‘सटीक’ खुफिया जानकारी और सशस्त्र बलों की ‘घातक’ क्षमताओं को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में नौ आतंकवादी शिविर नष्ट कर दिए गए और उसके बाद जब पाकिस्तान ने कुछ भारतीय नागरिक और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने का दुस्साहस किया तो भारत ने पाकिस्तान के अंदर ‘100 किलोमीटर’ तक हमला किया।
शाह ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के 22वें अलंकरण समारोह के अवसर पर आयोजित वार्षिक रुस्तमजी स्मृति व्याख्यान में ये टिप्पणियां कीं।
बीएसएफ की स्थापना 1965 में हुई थी। वह भारत और बांग्लादेश से सटे 6000 किलोमीटर लंबी भारतीय सीमा की रक्षा करता है। के. एफ. रुस्तमजी बीएसएफ के संस्थापक और पहले महानिदेशक थे।
शाह ने कहा, ‘‘आतंकवादियों ने पहलगाम में एक भीषण हमला किया, उन्होंने निर्दोष लोगों को चुना, उनका धर्म पूछा और महिलाओं एवं बच्चों समेत उनके परिवारों के सामने उन्हें बेरहमी से मार डाला।’’
उन्होंने कहा कि यह ‘पाप’ पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों द्वारा किया गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत का जवाब अलग था।’’
शाह ने कहा कि पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी शिविरों को कुछ ही मिनटों में ‘नष्ट’ कर दिया गया, जिनमें से दो आतंकवादी संगठनों के मुख्यालय थे।
शाह ने कहा, ‘‘हमने उसके सैन्य प्रतिष्ठानों या हवाई ठिकानों पर हमला नहीं किया। हमने केवल पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर हमला किया। जिन लोगों ने हमारी जमीन पर आपराधिक कृत्य किया – जैश-ए-मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा – उनके ठिकानों, घरों, प्रशिक्षण शिविरों और भारत के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने वाले लॉन्चपैड को नष्ट कर दिया गया।’’
गृहमंत्री ने कहा, ‘‘हमने सोचा कि हमने आतंकवादियों पर हमला किया, इतना ही काफी है, लेकिन पाकिस्तान ने साबित कर दिया कि वह आतंकवाद को प्रायोजित कर रहा है, क्योंकि उसने भारतीय हमलों को खुद पर हमले के रूप में ले लिया और भारत में नागरिक एवं सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया।’’
शाह ने कहा कि भारतीय वायु रक्षा ने ‘‘अद्भुत शक्ति’’ दिखाई, क्योंकि पाकिस्तान भारत के किसी भी प्रतिष्ठान को छू नहीं सका।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद, हमने उसके हवाई ठिकानों पर हमला किया और उसे अपनी मारक क्षमता से परिचित कराकर तथा उसकी खोखली हवाई सुरक्षा को उजागर करके कड़ा जवाब दिया।’’
शाह ने कहा, ‘‘हमने (पाकिस्तान के) नागरिक प्रतिष्ठानों पर हमला नहीं किया। ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद की घटनाओं ने इस तथ्य को पूरी तरह उजागर कर दिया है कि पाकिस्तान भारत में आतंकवाद को प्रायोजित कर रहा है, क्योंकि जब हमने उसके आतंकी ठिकानों पर हमला किया तो पाकिस्तानी सेना ने जवाब दिया।’’
गृहमंत्री ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने इस तथ्य को उजागर कर दिया, क्योंकि पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों को नमाज अदा करते और मारे गए आतंकवादियों के ताबूतों को कंधा देते देखा गया।
शाह ने कहा कि यह ‘ऑपरेशन’ सफल रहा, क्योंकि इसमें निशाना बनाने की सही ताकत/मारक क्षमता का इस्तेमाल किया गया और अपने लक्ष्य हासिल करने के साथ ही पाकिस्तान को ‘वास्तविकता’ भी दिखाई गई।
गृहमंत्री ने यह भी कहा कि दुनिया और वैश्विक विशेषज्ञ भारतीय सशस्त्र बलों की बहादुरी और मारक क्षमता की ‘प्रशंसा’ कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस ‘ऑपरेशन’ ने यह तथ्य भी सामने लाया कि रक्षा उत्पादन में भारत द्वारा हासिल की गई ‘आत्मनिर्भरता’ सफल रही।
शाह ने ‘ऑपरेशन’ के दौरान अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए बीएसएफ की सराहना करते हुए कहा कि बल ने पाकिस्तानी सेना को एक इंच भी आगे नहीं बढ़ने देकर ‘अपना साहस साबित किया।’
गृहमंत्री ने जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान शहीद हुए बीएसएफ के दो जवानों की शहादत के प्रति भी संवेदना व्यक्त की।
शाह ने याद दिलाया कि भारत कई दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का सामना कर रहा है, लेकिन (2014 में) मोदी सरकार के सत्ता में आने तक ‘करारा जवाब नहीं दिया गया।’
उन्होंने कहा, ‘‘हम रक्षात्मक थे… हमारे पुलिस बल और बीएसएफ ने लोगों की रक्षा करने की पूरी कोशिश की, लेकिन करारा जवाब नहीं दिया गया। वर्ष 2014 के बाद, जब प्रधानमंत्री मोदी ने पदभार संभाला, तो सबसे बड़ा हमला उरी (2016) में हुआ, जहां हमारे जवानों को जिंदा जला दिया गया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक की और पहली बार आतंकवादियों के ठिकानों पर हमला किया। हमें लगा कि आतंकवाद रुक जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और पुलवामा हमला (2019 में) हो गया।’’
शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने उरी से भी ‘कड़ा’ जवाब दिया, क्योंकि उसने सीमा पार आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया।
बीएसएफ की सराहना करते हुए शाह ने कहा, ‘‘वर्ष 1971 के युद्ध में बीएसएफ द्वारा दिखाई गई बहादुरी और बल द्वारा (बांग्लादेश की स्थापना में) किये गये योगदान को भारत कभी नहीं भूल सकता और न ही बांग्लादेश को इसे कभी भूलना चाहिए।’’
शाह ने याद दिलाया कि बीएसएफ ने बांग्लादेश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और अन्याय के खिलाफ लड़ाई में सशस्त्र बलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बहादुरी का अनुकरणीय मानक स्थापित किया था।
गृहमंत्री ने कहा कि 2.75 लाख कर्मियों वाला बीएसएफ दो सीमाओं (पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ) पर भौगोलिक चुनौतियों वाली कुछ सबसे कठिन परिस्थितियों में काम कर रहा है।
शाह ने कहा, ‘‘मैं आपको बताना चाहता हूं कि मोदी सरकार आपके पीछे चट्टान की तरह खड़ी है और गृह मंत्रालय जल्द ही उन क्षेत्रों में सीमा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कुछ प्रौद्योगिकी समाधान और मॉडल लागू करेगा, जहां बाड़ लगाना संभव नहीं है।’’
गृहमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान बीएसएफ कर्मियों को वीरता और अन्य सेवा पदक भी प्रदान किए। इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन कुमार डेका और बीएसएफ के महानिदेशक दलजीत सिंह चौधरी भी मौजूद थे।
भाषा राजकुमार सुरेश
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