बहराइच: उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़ियों के हमले में 10 लोगों की मौत और 34 से अधिक लोगों के घायल होने के बाद राज्य सरकार ने आदमखोर भेड़ियों को देखते ही गोली मारने की अनुमति दे दी है.
बहराइच की महसी तहसील में मार्च से आदमखोर भेड़ियों के कई हमले हो चुके हैं. मंगलवार को महसी पहुंचे वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने पुष्टि की कि अगर अगले एक-दो दिनों में भेड़ियों को नहीं पकड़ा गया तो वो उन्हें गोली मार सकते हैं.
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, अब तक चार भेड़ियों को पकड़ा गया है, जबकि दो और भेड़ियों के पकड़े जाने की संभावना है. हालांकि, अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि हमलों के पीछे एक ही भेड़िया है या एक से अधिक.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को मानव-पशु संघर्ष से ग्रस्त 11 जिलों- बहराइच, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, श्रावस्ती, मुरादाबाद, हापुड़, सीतापुर, गोंडा, मेरठ, बिजनौर और बरेली के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की.
सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने आदमखोर भेड़ियों का शिकार करने और हमलों पर अंकुश लगाने के लिए शुरू किए गए ‘ऑपरेशन भेड़िया’ का जायज़ा लिया. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि “अगर उसे पकड़ा नहीं गया तो उसे देखते ही गोली मार दें.”
हालांकि, सूत्रों ने बताया कि गोली केवल आखिरी उपाय की तरह ही चलाई जाएगी.
बैठक में वन मंत्री, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह), अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन), सभी जोन के अतिरिक्त महानिदेशक, मंडलायुक्त और जिला मजिस्ट्रेट मौजूद थे.
जहां बहराइच में बच्चों और महिलाओं पर भेड़ियों के हमलों की बाढ़ आ गई है, वहीं लखीमपुर खीरी और बिजनौर में तेंदुओं के हमले देखे गए हैं.
सीतापुर में भी ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि बच्चों पर भेड़ियों ने हमला किया है, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि हमलों के पीछे भेड़ियों का नहीं बल्कि सियारों का हाथ हो सकता है.
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हमलों के पीछे अकेला भेड़िया?
मुख्य वन संरक्षक (गोंडा) ए.पी. सिन्हा, जो दो बचे हुए भेड़ियों को पकड़ने के लिए महसी भेजे गए दस वरिष्ठ वन विभाग अधिकारियों में से एक हैं, ने कहा कि देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए गए हैं और वे “उस दिशा में काम कर रहे हैं”.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “हमने पहले भी उन्हें ट्रैक करने और शांत करने की कोशिश की है. हमने ड्रोन कैमरों के जरिए भी उनका पता लगाया है. सभी संसाधनों का इस्तेमाल किया और चार भेड़ियों को पकड़ा, लेकिन ऐसी घटनाएं अभी भी हो रही हैं. इसलिए देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए गए हैं.”
“इसके लिए हमने पूरे क्षेत्र को तीन सेक्टरों में विभाजित किया है और प्रत्येक सेक्टर में दो-तीन टीमें तैनात की हैं. हर एक टीम पूरी तरह से तैयार है.”
सिन्हा ने कहा कि वन विभाग यह जांच करने की प्रक्रिया में है कि क्या हमले एक अकेले भेड़िये का काम हैं, जिसे संभवतः उसके झुंड से अलग कर दिया गया है.
उन्होंने कहा, “हम एक से अधिक भेड़ियों के शामिल होने की संभावना को खारिज नहीं कर सकते क्योंकि उन्हें कैमरे की निगरानी में एक समूह में देखा गया है, लेकिन ज़्यादा संभावना यह है कि यह एक भेड़िया है जिसे उसके समूह से अलग कर दिया गया है. इंसानवी बच्चों को उठाने का मतलब है कि यह भेड़िये के स्वाभाविक व्यवहार के खिलाफ जा रहा है क्योंकि मनुष्य उसके शिकार के आधार का हिस्सा नहीं हैं.”
सिन्हा को लगा कि भेड़िये को अलग किए जाने का एक और कारण यह था कि उसका प्रभाव क्षेत्र अन्य चार भेड़ियों के पकड़े जाने के क्षेत्र से अलग है.
उन्होंने कहा, “यह घाघरा नदी के पूर्वी किनारे पर पांच किलोमीटर के दायरे में घूम रहा है और इसका कुल प्रभाव क्षेत्र लगभग 75 वर्ग किलोमीटर है. इसकी वर्तमान गति दक्षिण से उत्तर की ओर है. चार भेड़ियों को सफलतापूर्वक ट्रैक किया गया था जिन्हें दक्षिण से पकड़ा गया था और चिड़ियाघर भेजा गया. संभव है कि इसे झुंड से अलग कर दिया गया हो और इस वजह से यह उत्तर की ओर बढ़ रहा हो.”
उन्होंने आगे कहा कि भेड़ियों ने उन घरों पर हमला किया जिनमें दरवाजे नहीं थे.
वन विभाग ने अन्य चार भेड़ियों के मल के नमूने भी डीएनए जांच के लिए भेजे थे ताकि यह पुष्टि हो सके कि इनमें से किसी ने इंसानों के शवों के अंग खाए थे या नहीं.
यह पूछे जाने पर कि क्या डीएनए जांच की रिपोर्ट प्राप्त हुई है, सिन्हा ने कहा, “भौतिक और रासायनिक विश्लेषण सहित सभी संभावनाओं की जांच की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वो बच्चों का शिकार करने वाले समूह का हिस्सा थे या नहीं.”
वन विभाग ने भेड़ियों के सक्रिय क्षेत्र में निगरानी बढ़ा दी है. अधिकारियों ने निष्कर्ष निकाला है कि नरभक्षी सफल हमले के बाद अपने सक्रिय क्षेत्र को बदल देता है, लेकिन असफल प्रयास के बाद फिर से उसी क्षेत्र में हमला करता है.
सिन्हा ने बताया, “जबकि दो घटनाओं के बीच पांच-छह दिनों का अंतर रहा है, कभी-कभी 12 दिन और कभी-कभी 15 दिन का अंतर रहा है, जहां भी भेड़िया असफल रहता है, वहां दूसरी बार हमला करने के लिए जाता है. सोमवार और मंगलवार को उसने दो अलग-अलग जगहों पर हमला किया. दो सितंबर को उसने एक इंसान पर हमला किया, लेकिन बच्चे को नहीं ले जा सका. जब वो सफल हो जाता है, तो दूसरी जगह चला जाता है.”
2004 के भेड़ियों के हमलों को याद करते हुए उन्होंने बताया कि उस समय बहराइच और श्रावस्ती में भेड़ियों के दो अलग-अलग झुंड सक्रिय थे.
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