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Monday, 23 December, 2024
होमदेशउत्तर प्रदेश लौट रहे मजदूरों की सिर्फ थर्मल स्कैनिंग होगी, लक्षण मिलने पर ही होंगे कोरोना के टेस्ट- स्वास्थ्य मंत्री

उत्तर प्रदेश लौट रहे मजदूरों की सिर्फ थर्मल स्कैनिंग होगी, लक्षण मिलने पर ही होंगे कोरोना के टेस्ट- स्वास्थ्य मंत्री

उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह का दावा है कि यूपी में कोरोना से लड़ने के लिए मेडिकल सुविधाओं में कोई कमी नहीं है. अभी 26 सेंटर्स पर जांच चल रही है. इसके अलावा सभी कोविड अस्पतालों को मिलाकर 52 हजार बेड की क्षमता है.

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लखनऊ: लॉकडाउन 4.0 से पहले लाखों श्रमिक उत्तर प्रदेश लौट रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 5 लाख से अधिक मजदूर वापस आ चुके हैं और लगभग इतनी ही संख्या में प्रवासी मजदूरों के और आने की उम्मीद है. ऐसे में कोरोना का खतरा भी यूपी में पहले से अधिक बढ़ गया है. तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण पर यूपी के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने दिप्रिंट से कहा है कि मजदूरों उनके स्वास्थ्य को लेकर सरकार चिंतित है. प्रदेश के बॉर्डर, रेलवे स्टेशन व बस स्टेशनों पर सभी की थर्मल स्कैनिंग की जा रही लेकिन टेस्ट केवल कोरोना के लक्षण वालों के ही किए जाएंगे.

सभी श्रमिकों को क्वारेंटाइन किया जा रहा है

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया, ‘सभी श्रमिकों को क्वारेंटाइन करने की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है. बाहर से आ रहे अधिकतर श्रमिकों को दो तरह से क्वारेंटाइन किया जा रहे है. 10-12 लाख श्रमिकों को शेल्टर होम्स में रखने की व्यवस्था पर जोर है.’

वह आगे कहते हैं, ‘हर जिले में एक दर्जन से अधिक क्वारेंटाइन सेंटर्स बनाए गए हैं. इसके अलावा जिनमें खांसी, बुखार आदि के लक्षण दिख रहे हैं और वो अपने घर में क्वारेंटाइन हो सकते हैं उन्हें घर भेजा जा रहा है.ऐसे लोगों का टेस्ट उनके घरों पर ही कराया जा रहा है. स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक, टेस्ट अभी केवल उनके ही संभव हो पा रहे हैं जिनमें कोरोना के लक्षण हैं जो गाइडलाइन्स भी हैं.’

बेड व पीपीई किट्स की कोई कमी नहीं

मंत्री जय प्रताप सिंह का दावा है कि यूपी में कोरोना से लड़ने के लिए मेडिकल सुविधाओं में कोई कमी नहीं है. मंत्री के मुताबिक, अभी 26 सेंटर्स पर जांच चल रही है. जल्द ही सेंटर्स बढ़ाए जाएंगे. इसके अलावा सभी कोविड अस्पतालों को मिलाकर 52 हजार बेड की क्षमता है.


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फिलहाल कोविड मरीजों के एक्टिव केस की संख्या यूपी में दो हजार से कम है. स्वास्थ्य मंत्री ने ये भी कहा कि प्रदेश में पीपीई किट्स की कोई कमी नहीं है. बीच में तमाम जगहों से शिकायतें आईं थीं लेकिन अब उन्हें सुलझा लिया गया है.

आगरा मॉडल निजी अस्पतालों की वजह से बिगड़ा

जिस आगरा मॉडल की ब्रांडिंग योगी सरकार लॉकडाउन की शुरुआत में कर रही थी वह महज़ कुछ हफ्तों में ही कागजी़ साबित हुआ. इस पर जब दिप्रिंट ने स्वास्थ्य मंत्री से सवाल पूछा तो उनका कहना था कि इसमें गड़बड़ी प्राइवेट अस्पतालों की लापरवाही के कारण हुई.

आगरा में 7 निजी अस्पतालों ने चीफ मेडिकल ऑफिसर की बिना इजाजत के कोविड मरीजों का इलाज करना शुरू कर दिया. इस लापरवाही से आगरा में लगातार केस बढ़ने लगे. यहां तक की अस्पताल के कई डॉक्टर व दूसरा स्टाफ भी इसके चपेट में आ गया. वहीं जो प्रशासनिक लापरवाही वहां हुईं उन पर भी कार्रवाई की गई. सरकार ऐसे समय किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी.

आरोग्य सेतु को लेकर कन्फ्यूज न हों

यूपी में आरोग्य सेतु ऐप को लेकर लोगों में भ्रम है कि क्या इसे डाउनलोड करना जरूरी है. इस पर स्वास्थ्य मंत्री का कहा, ‘डाउनलोड करने की सलाह सबकी बेहतरी के लिए दी जा रही है. जिनके पास एंड्रॉयड फोन नहीं है वो ये ऐप नहीं चला पाएंगे ये बात सरकार भी समझती है लेकिन जिनके पास हैं वो तो डाउनलोड करें.’ उत्तर प्रदेश में 1.60 करोड़ से अधिक लोगों ने ये एप डाउनलोड किया है. हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग इससे जुड़े.

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