चेन्नई, पांच अप्रैल (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि देश में स्थापित विभिन्न न्यायाधिकरण में केवल सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और बार के सदस्यों को ही न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।
मुख्य न्यायाधीश एम.एन. भंडारी और न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती की पीठ ने हाल में एक जनहित याचिका को मंजूर करते हुए यह व्यवस्था दी।
पीठ ने केंद्र सरकार को भारत संघ बनाम गांधी मामले में उच्च्तम न्यायालय के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए प्रावधान बनाने और प्रावधानों को तत्काल संशोधित करने का निर्देश दिया।
मामले में पेश याचिकाकर्ता ने बेनामी संपत्ति खरीद-फरोख्त रोकथाम अधिनियम, 1988 की धारा 32 (2)(ए) को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध अदालत से किया।
याचिकाकर्ता के मुताबिक, यह धारा भारत संघ बनाम आर गांधी, मद्रास बार एसोसिएशन के अध्यक्ष (2010) मामले में शीर्ष अदालत के फैसले से प्रभावित होती है।
याचिका के मुताबिक, अधिनियम 1988 के अंतर्गत अपीलीय न्यायाधिकरण में न्यायिक सदस्य के पद पर भारतीय विधिक सेवा का सदस्य रहा ऐसा व्यक्ति योग्य है जोकि अतिरिक्त सचिव अथवा समान पद पर रहा हो। जबकि, शीर्ष अदालत के फैसले के मुताबिक, इस पद पर केवल उसी व्यक्ति की नियुक्ति की जा सकती है जोकि न्यायाधीश रहा हो या बार बार का सदस्य रहा हो। यह भी कहा गया कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के मुताबिक, भारतीय विधिक सेवा के सदस्य की नियुक्ति इस पद पर नहीं की जा सकती।
भाषा शफीक दिलीप
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