मुंबई, 15 फरवरी (भाषा) ‘चुनावी बॉन्ड’ को रद्द करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए महाराष्ट्र में विपक्षी दलों ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस योजना से केवल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को फायदा हुआ है।
राकांपा-शरदचंद्र पवार के प्रवक्ता क्लाइड क्रास्टो ने दावा किया कि गुमनाम दानदाताओं के जरिए सत्तारूढ़ भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए चुनावी बॉन्ड योजना शुरू की गई थी।
उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत, राजनीतिक दलों को किसी व्यक्ति से मिलने वाले चंदे के बदले में फायदे पहुंचाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता और इसलिए भाजपा को प्राप्त हुए चुनावी बॉन्ड की मात्रा को देखते हुए इसकी संभावना है।
क्रास्टो ने कहा, ‘‘चुनावी बॉन्ड योजना को ‘असंवैधानिक’ बताते हुए इसे रद्द करने का उच्चतम न्यायालय का फैसला एक बहुत ही स्वागत योग्य कदम है। राजनीतिक दल को मिलने वाले हर चंदे में पारदर्शिता और जवाबदेही होनी चाहिए।’’
उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि शीर्ष न्यायालय ने चुनावी बॉंड पर एक ऐतिहासिक फैसला दिया है लेकिन जैसा मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के मामले में देखने को मिला, वैसा इसमें नहीं होना चाहिए।
शिवसेना (यूबीटी) सांसद विनायक राउत ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को दरकिनार कर दिया और एक कानून पारित किया, जिसके तहत प्रधानमंत्री, एक कैबिनेट मंत्री और विपक्ष के नेता मुख्य निर्वाचन आयुक्त का चयन करेंगे। इस विषय में भी ऐसा नहीं होना चाहिए।’’
शिवसेना (यूबीटी) न केवल न्यायालय के फैसले का स्वागत करती है बल्कि यह भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और सरकार पर लोगों के साथ सूचना (चुनावी बॉन्ड के बारे में) साझा करने के लिए भी दबाव डालेगी।
इस बीच, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने भी न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह एक अनुचित योजना थी जिसे सत्तारूढ़ दल को मदद पहुंचाने के लिए तैयार किया गया था और अब राजनीतिक एवं चुनावी वित्तपोषण के लिए सुधारों की जरूरत है।
पार्टी ने एक बयान में कहा कि पार्टी ने शुरूआत में ही कहा था कि वह इस योजना को स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि यह भ्रष्टाचार को कानूनी रूप देती है। इसमें कहा गया है कि माकपा ने चुनावी बॉन्ड योजना को उच्चतम न्यायालय में अन्य याचिकाओं के साथ चुनौती दी थी।
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि न्यायालय के फैसले में पार्टी की दलील को बरकरार रखा गया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे वकील शदान फरासत और अन्य को बधाई, जिन्होंने मामले में प्रभावकारी दलील पेश की।’’
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करते हुए कहा कि यह ‘सूचना का अधिकार’ और संविधान के तहत प्रदत्त ‘वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ का हनन करता है।
न्यायालय ने एसबीआई को छह वर्ष पुरानी योजना के तहत दान देने वालों के नामों की जानकारी निर्वाचन आयोग को देने का भी निर्देश दिया।
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