नई दिल्ली: बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों की तुरंत शिकायत और उसके निपटारे के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने साल 2016 में पॉक्सो ई-बॉक्स लॉन्च किया गया था. दिप्रिंट को आयोग से मिले आंकड़ों के मुताबिक लॉन्च होने के चार साल बाद आयोग को कुल 6964 हिट्स मिले हैं. साल 2016-2019 के बीच पॉक्सो की 228 शिकायतें दर्ज हुई हैं. आयोग हर रोज लगभग 6-7 फोन कॉल्स आयोग रिसीव करता है.
गौरतलब है कि तत्कालीन महिला एवं बाल विकास केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने इसे लॉन्च करते हुए कहा था कि अब बाल्यावस्था में हुए यौन अपराध की शिकायत किसी भी उम्र में की जा सकेगी. इसके बाद करीब एक महीने तक ट्रेनों, एयरपोर्ट, दिल्ली मेट्रो और रेडियो के जरिए इसका प्रचार-प्रसार किया गया, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस पोर्टल का पता चल सके.
पिछले चार साल में लगातार बढ़ीं पॉक्सो के तहत शिकायतें
ऑनलाइन पोर्टल के अलावा एक हेल्प लाइन और मोबाइल ऐप भी शुरू की गई थी. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अधिकारी यशवंत जैन ने दिप्रिंट से बात करते हुए बताया, ‘228 पॉक्सो केसों में से सभी को एड्रेस किया है, जिसमें 103 केसों को बंद कर दिया गया, ज्यादातर शिकायतें यौन उत्पीड़न और यौन शोषण की हैं. इन बच्चों की उम्र 6 से 18 साल की है. इस साल सबसे ज्यादा केस अप्रैल, मई और जून में दर्ज किए गए हैं.’
साल 2016 में 19 शिकायतें दर्ज हुईं, तो 2017 में 44 शिकायत हुई. वहीं, 2018 में 82 और अक्टूबर 2019 तक 83 शिकायत दर्ज हुई.
नाबालिग अपनी शादी रुकवाने के लिए भी करते हैं फोन
हेल्पलाइन पर आने वाले कॉल्स की जानकारी देते हुए जैन बताते हैं, ‘बच्चे फेसुबक पर अपनी तस्वीरों के मिसयूज से लेकर, कम उम्र में शादी को लेकर और कई बार नवोदय के फॉर्म्स भरने की समस्याओं के निपटाने के लिए फोन करते हैं. जिन नाबालिगों का बालविवाह हो रहा होता है, वो खुद ही अपनी शादी की जानकारी आयोग को बताते हैं, लेकिन नाम व जगह छुपा लेते हैं. अगर मामला यौन शोषण का है तो हम बच्चे की काउंसलिंग करते हैं और उसे अपने सबसे करीबी व्यक्ति को इस घटना के बारे में बताने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.’
जैसा कि मेनका गांधी ने लॉन्च के समय कहा था कि कोई भी व्यक्ति किसी भी उम्र में बालपन में हुए यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करा सकता है, वैसा पोर्टल पर हुआ नहीं. आयोग के आंकड़ों के हिसाब से चार साल में केवल इस प्रकार की एक या दो शिकायतें ही दर्ज हुई हैं. इन शिकायतों के बारे में जैन कहते हैं कि कानूनी पेचीदगियों के चलते ऐसे मामलों को लेकर बहुत कम लोग आयोग के पास आए.
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जैन के मुताबिक आयोग सोशल मीडिया की घटनाओं पर भी नजर रखता है. जैसे हाल ही में ट्विटर पर बिहार के मुजफ्फरपुर में एक मौलाना द्वारा बच्ची के साथ बलात्कार की एक न्यूज कटिंग का संज्ञान लेते हुए आयोग ने वहां के एसएसपी को लेटर लिखा है, साथ ही जांच की रिपोर्ट मांगी है. खबर है कि नाबालिग बच्ची बलात्कार के बाद गर्भवती हो गई और अब गांव वालों पर उसके नवजात को बेचने के आरोप लगाए जा रहे हैं.
पहला केस हरियाणा से आया था
जैन पोर्टल की शुरुआत के बारे में बताते हैं, ‘हमारे पास सबसे पहला केस हरियाणा से आया था. वहां एक बच्ची के साथ हॉस्टल में हैरेसमेंट किया जा रहा था. उस मामले में हमने तुरंत संज्ञान लिया और एसपी को पत्र लिखा. बाद में मामले की एफआईआर दर्ज हुई. आयोग ने छात्रा की काउंसलिंग भी की.’
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मोबाइल ऐप को मिला नकारात्मक फीडबैक
आयोग द्वारा लॉन्च की गई पॉक्सो ई-बॉक्स मोबाइल ऐप को कुछ लोग हेल्पफुल बता रहे हैं, तो कुछ लोग ऐप के लिए नकारात्मक फीडबैक लिख रहे हैं. लेकिन आयोग के मुताबिक मोबाइल ऐप के जरिए कम लोगों ने आयोग के अप्रोच किया है. सबसे ज्यादा हेल्पलाइन पर के जरिए लोग पहुंचते हैं.