नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) टीकाकरण प्रबंधन के लिए इस महीने के अंत तक ‘यू-विन’ नाम से पोर्टल की शुरुआत की जाएगी जिसके माध्यम से तीन करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं और सालाना जन्म लेने वाले लगभग 2.7 करोड़ बच्चों के टीकाकरण और दवाओं का स्थायी डिजिटल रिकॉर्ड रखा जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के मुताबिक ‘यू-विन’ मंच कोरोना वायरस महामारी के दौरान कोविड-19 टीका प्रबंधन के लिए शुरू ‘को-विन’ की तरह होगा। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इसे प्रायोगिक तौर पर चलाया जा रहा है और यह सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के तहत सभी गर्भवती महिलाओं और बच्चों के प्रत्येक टीकाकरण कार्यक्रम को कवर करता है।
‘स्वास्थ्य सेवा तक सार्वभौमिक पहुंच: डिजिटल समाधान’ विषय पर यहां आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए चंद्रा ने कहा कि राष्ट्रीय डिजिटल मिशन का एक लक्ष्य स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाना और ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच असमानता को कम करना है।
स्वास्थ्य सचिव ने देश भर में कोविड-19 टीके की 220 करोड़ से अधिक खुराक देने में मददगार ‘को-विन’ और ‘आरोग्य सेतु’ ऐप की सफलता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपनी प्रमुख योजना आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के माध्यम से उसी मॉडल को दोहराना चाहती है।
चंद्रा ने यह भी बताया कि विभिन्न क्षेत्रों में पहले से ही कई पोर्टल संचालित हैं, जैसे टेलीमेडिसिन, टेलीमानस और ई-रक्तकोष, और प्रयास है कि इन्हें एक ही पोर्टल में एकीकृत किया जाए।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र में परिवर्तनकारी बदलाव हो रहे हैं।
पॉल ने कहा कि ‘‘एक मजबूत प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली, बाद की उम्र में स्वास्थ्य सेवा के बोझ को कम करने के लिए एक उच्च प्राथमिकता है।’’ उन्होंने इस नेटवर्क को विशेष रूप से मजबूत करने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर जोर दिया।
डॉ. पॉल ने डिजिटल स्वास्थ्य समाधान के लिए पांच प्रमुख सिद्धांतों को रेखांकित किया, जिनमें डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग और उनका विस्तार, रोबोटिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आदि जैसी नयी प्रौद्योगिकियों का निर्माण करना शामिल है। उन्होंने कहा कि लेकिन इनकी वजह से डिजिटल विभाजन में वृद्धि न हो, और जो लोग डिजिटल रूप से साक्षर नहीं हैं, वे भी आसानी से इसका उपयोग कर सकें।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के महासचिव भरत लाल ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य सेवा बुनियादी मानव अधिकार है और अच्छे स्वास्थ्य के बिना, मनुष्य की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं किया जा सकता है।’’
भाषा धीरज अविनाश
अविनाश
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