scorecardresearch
Thursday, 2 May, 2024
होमदेशकश्मीर में नागरिक हत्या के पीछे है '10-15 दिन पहले ऑनलाइन आतंकवादी बने' स्थानीय युवकों का हाथ

कश्मीर में नागरिक हत्या के पीछे है ’10-15 दिन पहले ऑनलाइन आतंकवादी बने’ स्थानीय युवकों का हाथ

कश्मीर के आईजी (इंस्पेक्टर जनरल) विजय कुमार का कहना है कि पुलिस और अधिक मुठभेड़ों तथा तेजी से की जा रही गिरफ्तारी के माध्यम से अपनी पूरी ताकत के साथ जवाबी कार्रवाई कर रही है. अकेले मई माह में ही 27 आतंकवादी विभिन्न 'मुठभेड़ों में मारे गए हैं और 22 गिरफ्तार कर लिए गए हैं'.

Text Size:

नई दिल्ली: कश्मीर घाटी में पिछले एक महीने में चार आम नागरिकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक इनमें से तीन की हत्याओं में मुश्किल से 10-15 दिन पहले लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) द्वारा भर्ती किए गए स्थानीय लोगों का हाथ था.

जम्मू-कश्मीर पुलिस के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि हालांकि पिछले साल की तुलना में आतंकी संगठनों द्वारा भर्ती किए जाने वाले घाटी के निवासियों की संख्या में कोई खास बदलाव नहीं आया है, लेकिन इन समूहों ने अब स्थानीय युवाओं से ऑनलाइन संपर्क करना शुरू कर दिया है.

एक पुलिस सूत्र ने कहा, ‘हमारे पास आतंकी संगठनों द्वारा इंटरनेट पर युवाओं को लुभाये जाने के बारे में जानकारी और कई सारे इंटरसेप्ट हैं.’

मंगलवार को सांबा जिले की एक शिक्षिका रजनी बाला की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब वह कुलगाम के एक स्कूल में काम करने जा रही थीं. जम्मू-कश्मीर पुलिस के सूत्रों के अनुसार, ये हमलावार, जिन्होंने पिस्तौल का उपयोग करके उन्हें काफी करीब से गोली मारी थी, लश्कर के हाइब्रिड आतंकवादी थे.

इससे पहले, एक टेलीविजन अभिनेत्री अमरीना भट की 25 मई को कथित तौर पर लश्कर-ए-तैयबा के दो स्थानीय आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी. सूत्रों का कहना था कि उनमें से एक को ‘वर्गीकृत’ किया गया है, जबकि दूसरा एक ‘हाइब्रिड’ आतंकवादी था, जिसे हमले से ठीक 10 दिन पहले लश्कर-ए-तैयबा ने भर्ती किया था, और जो अभी भी पिस्टल दागने का प्रशिक्षण ले रहा था.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

उन्होंने बताया कि 17 मई को एक शराब की दुकान के कर्मचारी रंजीत सिंह ने लश्कर-ए-तैयबा के एक और नए-नए भर्ती किए गए हाइब्रिड आतंकवादी द्वारा किये गए ग्रेनेड हमले में दम तोड़ दिया था.

जहां, ‘वर्गीकृत’ आतंकवादी वे होते हैं जिनके पिछले आपराधिक रिकॉर्ड होते हैं, वहीं ‘हाइब्रिड’ आतंकवादी वे होते हैं जिनका अपराध करने का कोई पूर्व इतिहास नहीं होता है, जिससे उनका पता-ठिकाना मालूम करना कठिन हो जाता है. सूत्रों ने कहा, बाद वाली श्रेणी के आतंकवादी पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए हैं, और ज्यादातर मामलों में वे स्थानीय निवासी ही होते हैं.

अकेले मई महीने में ही इस इलाके के कम-से-कम 12 युवक आंतकवादी समूह में शामिल हो गए हैं. जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, भर्ती होने के कुछ दिनों के भीतर ही उनमें से चार विभिन्न मुठभेड़ों में मारे गए हैं.

Credit: Ramandeep Kaur | ThePrint
क्रेडिटः रमनदीप कौर

साल 2021 में, मई महीने तक घाटी में 61 से अधिक लोग आतंकी संगठनों में शामिल हो गए थे. इस साल यह संख्या 52 है.

कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) विजय कुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘पिछले महीने हुई चार में से तीन हत्याएं हाइब्रिड उग्रवादियों द्वारा की गईं थी, जो हाल ही में शामिल किये गए रंगरूट थे और हत्याओं से महज 10-15 दिन पहले आतंकवादी हरकतों में शामिल हुए थे.‘

उन्होंने आगे कहा, ‘आतंकवादी संगठन और लोगों को भर्ती करने के लिए बेताब हैं, और इसीलिए वे इन हाइब्रिड आतंकवादियों या पार्ट-टाइमर्स (थोड़े समय के लिए यह काम करने वाले), जो सभी स्थानीय निवासी हैं, को अपना आधार बढ़ाने के लिए चुन रहे हैं. वे इंटरनेट के जरिए बहुत सारे युवाओं तक पहुंच रहे हैं.’

हालांकि, आईजी कुमार का यह भी कहना था कि जम्मू-कश्मीर पुलिस मुठभेड़ अभियानों की संख्या बढ़ाकर और तेजी से गिरफ्तारी करके अपने पूरी ताकत के साथ जवाबी कार्रवाई कर रही है.


यह भी पढ़ेंः मोहाली विस्फोट जांच का फोकस ‘पुराने रूसी निर्मित’ रॉकेट से चलने वाले ग्रेनेड और ‘खालिस्तानी आतंकवादी’ पर


अकेले मई महीने में 27 आतंकवादी मारे गए और 22 गिरफ्तार किये गए

कुमार ने आगे बताया कि अकेले मई महीने में घाटी में हुई मुठभेड़ों में कुल 27 आतंकवादी मारे गए, जिनमें से 17 स्थानीय निवासी थे और 10 पाकिस्तानी थे.

उन्होंने कहा कि इसी महीने में 22 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया और पुलिस ने आतंकवादियों के पांच मॉड्यूल का भी भंडाफोड़ किया था, जिसमें एक बार तो 15 से भी अधिक पिस्तौलें बरामद की गई थीं.

आईजी ने दिप्रिंट को बताया, ‘निश्चित रूप से यह एक चुनौती है, लेकिन हम पूरी ताकत से जवाब दे रहे हैं. मई में हुई आम नागरिकों की हत्याओं के चार मामलों में से तीन मामलों में हमने या तो इसमें शामिल आतंकवादियों को मार गिराया है या उन्हें गिरफ्तार कर लिया है.’

उन्होंने कहा, ‘घाटी में हाल फिलहाल में भर्ती किए गए 12 नए आतंकवादियों में से चार मारे गए हैं और आठ अभी भी सक्रिय हैं.’

कुमार के अनुसार, ‘एक पाकिस्तानी आतंकवादी, जो बडगाम में 12 मई को राजस्व विभाग के एक कर्मचारी कश्मीरी पंडित राहुल भट की हत्या में शामिल था, मारा गया है; जबकि अभिनेता अमरीना भट की हत्या के लिए जिम्मेदार आतंकवादी भी एक मुठभेड़ में मारे गए हैं.‘

उन्होंने आगे कहा कि शराब की दुकान में काम करने वाले कर्मचारी रंजीत सिंह की हत्या करने वाले आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनके पास से 23 ग्रेनेड सहित कई पिस्तौल बरामद किए गए हैं.

दिप्रिंट द्वारा प्राप्त किए गए जम्मू-कश्मीर पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल अक्टूबर से अब तक कश्मीर घाटी में 27 आम नागरिक मारे गए हैं.

इन आंकड़ों से पता चलता है कि इन 27 में से 21 लोग सरपंचों सहित स्थानीय निवासी थे, और छह ‘बाहरी’ या देश के अन्य हिस्सों के वे लोग थे जो या तो कृषि क्षेत्र में या निर्माण स्थलों में मजदूरों के रूप में या फिर दुकानों में सहायकों के रूप में काम करते थे.

पुलिस सूत्रों ने बताया कि इनमें से ज्यादातर हत्याएं लश्कर-ए-तैयबा की एक शाखा ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ ने की हैं.

‘पिस्तौल बन गया है पसंदीदा हथियार’, आतंकवादी केस-टू-केस बेसिस पर काम करते हैं’

पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर से अब तक हुई इन 27 हत्याओं में से 11 को हाइब्रिड आतंकवादियों ने अंजाम दिया है.

कुमार ने कहा, ‘पिस्तौल एक नया लोकप्रिय हथियार बन गया है और इन लोगों को सारा प्रशिक्षण ऑनलाइन दिया जाता है. वे कभी अपने आकाओं से भी नहीं मिलते. यहां तक कि निशाना बनाये जा रहे लोगों के बारे में भी पाकिस्तान से ही ऑनलाइन निर्देशों के माध्यम से बताया जाता है.’

उन्होंने कहा, ‘वे (स्थानीय आतंकी रंगरूट) केस-टू-केस बेसिस (मामला-दर-मामला आधार) पर काम कर रहे हैं. उनके माता-पिता से लेकर पड़ोसियों तक किसी को पता नहीं होता कि वे किसी आतंकी समूह से जुड़े हैं. उन्हें ऑनलाइन भर्ती किया जाता है, ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जाता है और यहां तक कि उनके निशाने (टारगेट) के बारे में भी ऑनलाइन ही बताया जाता है. किसी दूसरे व्यक्ति के माध्यम से उन्हें हथियार भेजा जाता है. वे हत्या को अंजाम देते हैं और फिर पिस्तौल वापस कर देते हैं. इसके बाद वे फिर से अपनी दैनिक दिनचर्या में वापस चले जाते हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः फेक इनवॉयस, जालसाजी, हवाला के जरिए रिश्वत: अधिकारियों और NGO की ‘सांठगांठ’ से कैसे हुआ FCRA घोटाला


 

share & View comments