नई दिल्ली: 2019 नवंबर से जनवरी के बीच आयात किए गए प्याज को अब 6 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा जा रहा है. नवंबर से जनवरी के दौरान प्याज़ की बढ़ती कीमतों को कंट्रोल करने के लिए इसे आयात किया गया था. यह जानकारी दिप्रिंट को मिली है.
सरकारी पैनल की बैठक के अनुसार मुख्य कारण यह है कि राज्यों द्वारा अस्वीकार किए जाने और मदर डेयरी की एजेंसी सफल को वितरित करने के बाद से आपूर्ति की गई प्याज सड़ रही है.
पिछले साल 30-40 प्रतिशत कम उत्पादन होने के कारण मंडियों में प्याज़ की कीमत 100 रुपये किलो तक पहुंच गई थी, जिसका मुख्य कारण महाराष्ट्र और कर्नाटक में अधिक वर्षा थी, यह दोनों राज्य प्याज के प्रमुख उत्पादक हैं.
हालांकि, आयात में देरी हुई और स्थानीय किस्मों की बढ़ती उपलब्धता के बाद कीमतें सामान्य हो गई हैं, केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात प्रतिबंधों को 15 मार्च से हटा दिया है.
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परिणामस्वरूप, 33,600 मीट्रिक टन आयातित प्याज को लेने वाले कुछ ही लोग हैं. प्याज़ को 50-58 किग्रा पर खरीदा गया था, जिससे सरकार को 200 करोड़ रुपये का नुकसान होने की उम्मीद है.
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, मेटल्स एंड मिनरल्स ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एमएमटीसी) सार्वजनिक क्षेत्र की एक व्यापारिक कंपनी है जो कृषि उत्पादों का कारोबार भी करती है. आयात पर 226 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, लेकिन केवल 3079.5 मीट्रिक टन प्याज बेची गई है, जिसकी कीमत 17-19 करोड़ रुपये है.
मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, अभी तक मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट (जेएनपीटी) में स्टॉक खत्म किए जा रहे हैं. अधिकारी ने कहा, ‘अधिकांश आयातित प्याज मुंबई बंदरगाह पर खुले में पड़े हुए हैं और अधिक नमी के कारण तेजी से सड़ रहे हैं.’
एमएमटीसी ने एनइएमएल (जो कई वस्तुओं के लिए एक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करता है) और एग्रीबाज़ार (एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस) पर आयातित प्याज की बिक्री के लिए ई-नीलामी का आयोजन किया, लेकिन इसमें भी बोली 11 रुपये प्रति किलोग्राम से कम थी.’
अलग स्वाद
आयात किए गए मुख्य रूप से तुर्की की पीली प्याज शामिल है. बैठक के अनुसार, आंध्र प्रदेश जो कि पहले से ही आयातित प्याज की सबसे ज्यादा स्टॉक 893 मीट्रिक टन खरीद चुका है. उसने बाजार दरों पर 1,000 मीट्रिक टन तुर्की प्याज की खरीद में रुचि दिखाई, लेकिन स्टॉक को वापस कर दिया क्योंकि यह सड़ा हुआ था.
प्याज की खराबी के साथ और उसके ‘अलग स्वाद’ की वजह से उन्हें खरीदने से इंकार करने वाले राज्यों, एमएमटीसी और नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (नफेड) को निर्देशित किया गया था कि वे मौजूदा बाजार दरों पर प्याज को जहां हैं वहीं से निपटाएं.
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6 रुपए किलो में बिकने वाले प्याज को पहले सफल को दिया गया था, जिसे उसने लेने से मना कर दिया. बाद में इसे दिल्ली में मंडियों में बेच दिया गया. सरकार ने बांग्लादेश और मालदीव को प्याज की पेशकश भारत की तुलना में कम दरों पर की थी, पर मालदीव ने कोई जवाब नहीं दिया. बांग्लादेश ने कहा कि वह स्वदेशी उत्पादन चाहता है.
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