नई दिल्ली: देशभर के प्रमुख थोक बाजारों में थोक और खुदरा प्याज की कीमतें काफी नीचे आने के आसार हैं क्योंकि किसान अब प्याज की नई फसल को बाजार में डंप कर रहे हैं जबकि खरीफ की पुरानी फसल का स्टॉक अभी खत्म नहीं हुआ है.
किसान हर दिन बड़ी मात्रा में प्याज लेकर बाजार पहुंच रहे हैं क्योंकि मानसून के बाद भंडारण से इसकी गुणवत्ता में कमी आने लगी है. इस वजह से थोक कीमतों में खासी गिरावट दर्ज की जा रही है.
महाराष्ट्र के लासलगांव थोक बाजार में पिछले पांच हफ्तों के दौरान थोक प्याज की दर में 65 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. लासलगांव बाजार में भंडारण कर रखे गए पुरानी फसल के प्याज की औसत थोक दर 9 दिसंबर को घटकर 18 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है, जबकि 10 नवंबर को यह 54 रुपये प्रति किलोग्राम थी.
इसी तरह, कर्नाटक के बेलगावी में एक अन्य प्रमुख थोक बाजार में 10 दिसंबर को प्याज का कारोबार 20-38 रुपये प्रति किलोग्राम के थोक मूल्य पर हो रहा था, जबकि पिछले महीने इसी तारीख यह 70 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा था.
मध्य प्रदेश की मनासा मंडी में थोक व्यापारी राधेश्याम सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘हर बीतते दिन के साथ मौसम ठंडा हो रहा है. अभी तापमान 12-14 डिग्री सेल्सियस के आसपास है. इस कारण प्याज में अंकुरण नियंत्रण से बाहर हो रहा है, और जितना ज्यादा अंकुरण होगा इसकी कीमत उतनी ही कम हो जाएगी.
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राधेश्याम ने कहा, ‘महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और अलवर (राजस्थान) से हर दिन करीब 8,000 मीट्रिक टन (एमटी) तक नई प्याज की आवक बाजार में इसके कीमतें गिरा रही है क्योंकि 4,500 मीट्रिक टन का पुराना प्याज स्टॉक अभी बाजार में ही पड़ा है और तेजी से खराब हो रहा है. इसके अलावा, बाजार में कमी की आस लगाए व्यापारी भी अब काफी मात्रा में प्याज का स्टॉक निकाल रहे हैं.’
हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा कि थोक मूल्य में आ रही गिरावट के कारण देशभर के शहरों में खुदरा कीमतें नीचे आने में अभी थोड़ा समय लगेगा.
कीमतें अभी और गिरने के आसार हैं
महाराष्ट्र में नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नाफेड) के निदेशक नाना साहेब पाटिल ने दिप्रिंट को बताया, ‘चूंकि प्याज अब खराब होने की कगार पर पहुंचने लगा है इसलिए अगले एक पखवाड़े में इसके दाम 1,500 से 2,000 रुपये प्रति 100 किलोग्राम तक गिरने के आसार हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हालांकि, थोक बाजार में कीमतें गिरने का असर खुदरा बाजार में नजर आने में अभी कुछ समय लगेगा क्योंकि व्यापारी पहले ज्यादा कीमत पर खरीदे गए प्याज के स्टॉक को निकालेंगे.’
पाटिल ने आगे कहा, ‘अभी नासिक, सोलापुर और जुन्नार क्षेत्रों में काफी ज्यादा पुराना स्टॉक है, जबकि सरकार ने भी बड़ी मात्रा में प्याज का आयात किया था, जिसकी वजह से भी कीमतों में कमी आई है.’
व्यापारी, निर्यातक निर्यात प्रतिबंध हटाने पर जोर दे रहे
प्याज के थोक मूल्य तेजी से नीचे आने पर बड़े किसानों और व्यापारियों ने खरीफ फसल की पैदावार बढ़ने की स्थिति को देखते हुए निर्यात पर लगी रोक हटाने पर जोर देना शुरू कर दिया है.
नासिक की कृषि उपज मंडी समितियों (एपीएमसी) के अधिकारियों के साथ-साथ महराष्ट्र बागवानी उत्पादन निर्यातक संघ जैसे अन्य हितधारकों ने पिछले हफ्ते केंद्र सरकार से संपर्क साधा और प्याज का निर्यात तत्काल शुरू करने की मांग रखी.
हॉर्टिकल्चर उत्पाद निर्यातक संघ के सदस्य दीपक रॉय ने दिप्रिंट को बताया, ‘जनवरी के दौरान शुरुआती खरीफ, जिसमें थोड़ी देरी हुई थी, के साथ-साथ खरीफ की आवक भी हो जाएगी और यह आवक काफी बंपर होगी. बड़े पैमाने पर बुआई के कारण पिछले साल की तुलना में खरीफ फसल का उत्पादन 150 फीसदी होने की उम्मीद है. इससे कीमतों को लेकर दबाव और ज्यादा बढ़ेगा और नतीजतन उत्पादन लागत भी न निकल पाने के आसार हैं.
रॉय ने कहा, ‘उपरोक्त बातें ध्यान में रखते हुए हमारा सुझाव है कि अगले कुछ हफ्तों में उचित समय पर निर्यात शुरू कर दिया जाना चाहिए. यह लेटर ऑफ क्रेडिट और न्यूनतम निर्यात मूल्य के साथ किया जाना चाहिए ताकि बाजार में अचानक ही कोई उछाल न आ जाए और घरेलू बाजार के स्तर और अतिरिक्त आपूर्ति दबाव दोनों के बीच संतुलन बना रहे.’
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