scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमदेशONGC, बार्ज कांट्रैक्टर का चक्रवात की चेतावनियां ‘नजरअंदाज’ करना लगभग 50 कर्मचारियों की मौत की वजह बना

ONGC, बार्ज कांट्रैक्टर का चक्रवात की चेतावनियां ‘नजरअंदाज’ करना लगभग 50 कर्मचारियों की मौत की वजह बना

चक्रवात ताउते ने 17 मई को मुंबई हाई पर ओएनजीसी की प्रमुख उत्पादन ठिकानों और ड्रिलिंग रिग को ध्वस्त कर दिया. इसमें कम से कम 49 श्रमिकों की मौत हुई है और कई अन्य लापता हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक सरकार संचालित तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और उसके कांट्रैक्टर एफकॉन्स ने मौसम विभाग और भारतीय तटरक्षक बल की तरफ से जारी तमाम चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया था, जिसका नतीजा देश के भारत के पश्चिमी तट पर चक्रवात ताउते के कारण कम से कम 49 श्रमिकों की मौत के रूप में सामने आया है.

चक्रवात ने सोमवार को प्रमुख उत्पादन ठिकानों और ड्रिलिंग रिग को ध्वस्त कर दिया जिसमें एफकॉन्स का बार्ज पपा-305, बार्ज सपोर्ट स्टेशन-3 और बार्ज जीएएल कंस्ट्रक्टर, और ओएनजीसी के लिए खनन करने वाला जहाज सागर भूषण शामिल है. ओएनसीजी के उत्पादन से जुड़े इन सभी इंस्टॉलेशन ने महाराष्ट्र की राजधानी से लगभग 70 किमी दूर मुंबई हाई के हीरा ऑयल फील्ड के पास लंगर डाल रखे थे.

भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल ने अब तक मुंबई तट के पास चार जहाजों से 600 से अधिक कर्मियों को बचाया है. वे अब भी समुद्री और हवाई उपकरणों के जरिये लापता लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने चक्रवात की पूर्व चेतावनियों के बावजूद इतने सारे लोगों के समुद्र में बने रहने पर हैरानी जताई है.

रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘तटरक्षक बल की तरफ से चक्रवात की आशंका को लेकर करीब हफ्तेभर पहले से ही लगातार चेतावनियां जारी की जा रही थीं. चक्रवात की प्रकृति ऐसी होती है कि उसकी गति और दिशा कभी भी बदल सकती है. ऐसे में यह बात चौंकने वाली ही है कि इतनी चेतावनियों के बावजूद इतने सारे लोग समुद्र में थे.’

सूत्र ने कहा, ‘सोचिए, अगर नौसेना और तटरक्षक बल के जहाज समय पर नहीं पहुंचते और भी ज्यादा लोगों की मौत हो जाती.’

एक दूसरे सूत्र ने बताया कि तटरक्षक बल ने अपनी मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार लिखित रूप में मौसम की चेतावनी जारी करने के साथ-साथ अपने जहाजों और विमानों के जरिये भी इसे प्रसारित किया था.

चक्रवात ताउते 17 मई को तड़के मुंबई में अरब सागर के तट पर टकराया, जिससे ओएनजीसी के प्रमुख उत्पादन ठिकाने और वहां स्थित ड्रिलिंग रिग इसकी चपेट में आए. बताया जाता है कि हवा की गति लगभग 150-180 किमी प्रति घंटे तक बढ़ गई थी और छह से आठ मीटर की ऊंची लहरें उठ रही थीं.

दिप्रिंट ने ईमेल के जरिये एक टिप्पणी के लिए ओएनजीसी से संपर्क साधा लेकिन यह रिपोर्ट प्रकाशित होने तक कोई जवाब नहीं मिला था.

हालांकि, एफकॉन्स ने इस मामले में पल्ला झाड़ते हुए कहा कि चेतावनियों पर ध्यान दिया गया था लेकिन चक्रवात इन पूर् अनुमानों से कहीं ज्यादा तेज हो गया. इसने यह भी कहा कि बार्ज पी-305 की जिम्मेदारी जहाज के मालिक दूरमास्ट और बजरा मालिक की थी.

विशेषज्ञों ने मानव निर्मित आपदा बताया

एक पूर्व नौसेना कमांडर, जो मर्चेंट नेवी के साथ काम कर चुके हैं और तेल उद्योग से भी जुड़े रहे हैं, ने कहा कि यह चौंकाने वाली बात है कि चेतावनी के बावजूद कर्मचारी समुद्र में थे.

उन्होंने कहा, ‘इस मामले में गहराई से जांच और जवाबदेही तय किए जाने की जरूरत है.’

यह पूछे जाने पर कि सुरक्षा लिहाज से कर्मचारियों को न हटाने की क्या वजह हो सकती है, उन्होंने कहा, ‘मैं दावे के साथ तो कुछ कह पाऊंगा लेकिन इसमें लागत एक अहम पहलू हैं और कंपनियां तब तक ऐसा कुछ करना पसंद नहीं करती हैं जब तक कि नितांत जरूरी न हो जाए.’

अब डूब चुके बजरे पी-305 से नौसेना द्वारा बचाए गए 186 लोगों में शामिल इंजीनियर रहमान शेख ने कहा कि उनके कप्तान ने चक्रवात की चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया. उन्होंने बताया कि कई लाइफ राफ्ट पंक्चर भी थे.

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने ‘चक्रवात में ओएनजीसी के जहाजों के फंसे होने की घटनाओं की वजह की जांच’ के लिए बुधवार को एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है.

नौसेना के एक पूर्व टेस्ट पायलट और भारतीय वायु सेना टेस्ट पायलट स्कूल के छात्र रहे कमांडर के.पी. संजीव कुमार, जो 2014-2019 के बीच पायलट के तौर पर तेल और गैस क्षेत्र में काम कर चुके हैं, ने कहा कि पी-305 के साथ जो हुआ वह ‘एक मानव निर्मित आपदा थी, न कि एक चक्रवाती आपदा.’

उनके मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत कर्मियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाना चाहिए था.

बार्ज क्या होता है?

बार्ज या बजरा एक नीचे शोल लगी चपटे तल वाली नाव होती है जिसे नदी और नहर के जरिये ज्यादा मात्रा में माल ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. बजरा स्वचालित या टग के इस्तेमाल के साथ चलने वाली दोनों ही तरह का हो सकता है.

एफकॉन्स ओएनजीसी परियोजना पर काम कर रहे श्रमिकों को रखने के लिए तीन प्रभावित नौकाओं का उपयोग कर रहा था.


यह भी पढ़ें : चार बातें, जो तय करेंगी कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड की दूसरी लहर के झटके से कैसे उबरेगी


किसी भी अपतटीय तेल क्षेत्र में कुएं के आसपास कई जहाजों की जरूरत पड़ती है, जिसमें ऑफशोर सपोर्ट वेसल, ऑयल रिग (ड्रिलर), टग, भूकंपीय सर्वेक्षण जहाज, फ्लोटर्स, सामान्य नौकाएं और रिहायशी नौकाएं शामिल हैं.

कमांडर कुमार ने बताया कि पी-305 रहने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला एक बजरा (एडब्ल्यूबी) था और स्वचालित नहीं था. उन्होंने कहा, ‘हम इसे गूंगा बजरा कहते हैं क्योंकि इसमें खुद से चलने की कोई क्षमता नहीं है. अगर किसी मदद से इसे चलाया न जाए तो यह तूफान में फंसा रहेगा और यहां तक कि गिर भी जाएगा.’

पी-305 के मामले में एंकर ने रास्ता छोड़ा दिया और बजरा बहने लगा. यह एक और ऑयल इंस्टॉलेशन से जा टकराया और आखिरकर 261 कर्मचारियों के साथ डूब गया.

कुमार ने बताया कि ऐसे बार्ज अपतटीय क्षेत्रों में तैनात कर दिया जाता और ये यहीं खड़े रहते हैं और जब किसी अस्थायी प्रोजेक्ट के लिए अतिरिक्त आवास, इंजीनियरिंग सहायता या भंडारण क्षमता करने की आवश्यकता होती है तो इनका इस्तेमाल किया जाता है.

‘इस तरह के विशाल बजरों का डिजाइन (लार्ज सेल एरिया, कैटामरन स्ट्रक्चर, कुछ मामलों में सपाट तल) उन्हें गहरे समुद्र में तेज हवाओं और आंधी आदि से बचाता है, खासकर अगर वे स्थिर यानी गूंगा बजरा हैं. मानसून से पहले या चक्रवात की चेतावनी के दौरान, उन्हें या तो तूफान से बचाने के इंतजाम किए जाते हैं या फिर सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जाता है.

एफकॉन्स बोला कि उसने मौसम के पूर्वानुमान पर ध्यान दिया

दिप्रिंट को दिए एक बयान में एफकॉन्स ने कहा कि उसने 14 मई को मिली सभी चेतावनियों पर ध्यान दिया और जहाज के मालिक ने जहाज को 200 मीटर हटाने पर अमल किया, जो उसके लिहाज से सुरक्षित स्थिति थी.

कंपनी के अनुसार, मौसम संबंधी रिपोर्टों में चक्रवात को लेकर अलर्ट के बाबत जानकारियां जनरल ऑपरेशन रीजन पर होती हैं और सटीक तरह से किसी क्षेत्र विशेष पर केंद्रित नहीं होती हैं.

ओएनजीसी कांट्रेक्टर ने कहा कि ऑफशोर कांट्रेक्टर की तरफ से प्रमुख मौसम पूर्वानुमानकर्ताओं से अपने कार्यक्षेत्र के संबंध में मौसम पूर्वानुमान हासिल करने की सामान्य प्रक्रिया अपनाई जाती है, जो आम तौर पर दिन में दो बार जारी होते हैं, और अगले सात दिनों का पूर्वानुमान बताते हैं.

कंपनी ने आगे कहा, ‘समुद्री और कंस्ट्रक्टशन संबंधी ऑपरेशन की योजना इन्हीं पूर्वानुमानों को ध्यान में रखकर बनाई जाती है. एफकॉन्स भी यही तरीका अपनाती है. सेवा प्रदाता से 14 मई 2021 को मिले मौसम पूर्वानुमानों में कहा गया था कि हमारे कार्य क्षेत्र के आसपास 16 मई की देर रात या 17 मई को तड़के अधिकतम 40 समुद्री मील (सेवा प्रदाता की तरफ से ‘ट्रॉपिकल तूफान’ के तौर पर वर्गीकृत) की गति से हवाएं चल सकती हैं.’

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि इस बयान से पता चलता है कि चक्रवात की तीव्रता लगातार बढ़ने के बीच भी एफकॉन्स 14 मई के पूर्वानुमान पर ही टिका हुआ था. एक सूत्र ने कहा, ‘भारी बारिश होने पर भी 40 समुद्री मील की गति होती है. इसलिए यह काफी आश्चर्यजनक है कि कंपनी ने सोचा कि चक्रवात की गति 40 समुद्री मील होगी.

‘मालिक दूरमास्ट की जिम्मेदारी’

यह पूछे जाने पर कि एहतियाती कदम क्यों नहीं उठाए गए, एफकॉन्स ने कहा कि उसके सभी जहाजों को 14 मई को अपने संबंधित कार्य क्षेत्रों को सुरक्षित करने और जल्द से जल्द सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई थी. इसके तहत ही पी-305 सहित सभी जहाजों और बजरों ने 14-15 मई को अपनी जगह से हटना शुरू कर दिया.

कंपनी ने कहा, ‘यद्यपि अन्य बजरे मुंबई पोर्ट/मुंबई आउटर एंकरेज रेवंडांडा के पास लंगर डालने के लिए चले गए, लेकिन पी-305 के मालिक ने एचटी प्लेटफॉर्म से मात्र 200 मीटर दूर ही जाने का फैसला किया जहां बजरा पी-305 काम कर रहा था. इस अनुमान के साथ कि हवा की अधिकतम अनुमानित गति केवल 40 समुद्री मील थी और यह जगह ट्रॉपिकल स्टोर्म से 120 नॉटिकल माइल दूर है, उसे यह जगह सुरक्षित लग रही थी.’

इसमें आगे कहा गया है कि 16 मई की शाम मौसम की स्थिति तेजी से बिगड़ी, जो 17 मई के पूर्वानुमान से कहीं अधिक खराब स्तर पर पहुंच गई. मौसम में अचानक बदलाव ने जहाज मालिक को आगे किसी कार्रवाई की स्थिति में नहीं छोड़ा.

कंपनी का कहना है कि सामान्य समुद्री प्रोटोकॉल के साथ-साथ पी-305 के लिए विशिष्ट चार्टर एग्रीमेंट के तहत जहाज की सुरक्षा संबंधित मालिक/बजरा मालिक की जिम्मेदारी होती है क्योंकि वही जहाज की सुरक्षा के बाबत सबसे उपयुक्त कदम उठाने की स्थिति में होता है.

कंपनी ने इस बात को भी रेखांकित करने की कोशिश की कि उसने यह जहाज दूरमास्ट कंपनी से किराये पर लिया था और ‘समुद्री अभियानों की जिम्मेदारी जहाज मालिक और जहाज पर तैनात उसके समुद्री चालक दल के पास है.’

साथ ही जोड़ा, ‘एफकॉन्स करार के तहत अपने निर्माण श्रमिकों और पर्यवेक्षकों को इस पर तैनात करता है, जो बजरे पर रहते हैं और प्लेटफॉर्म पर निर्माण आदि कार्य करते रहते हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments