नई दिल्ली: ओडिशा कैडर की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुजाता आर. कार्तिकेयन, जो कभी बीजू जनता दल (बीजेडी) के शक्तिशाली नेता और नवीन पटनायक के करीबी सहयोगी वी. के. पांडियन की पत्नी थीं, उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है. दिप्रिंट को इस बारे में जानकारी मिली है.
कार्तिकेयन ने करीब दो हफ्ते पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया था. केंद्र सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के एक सूत्र ने दिप्रिंट को पुष्टि की कि उनका आवेदन स्वीकार कर लिया गया है.
2000 कैडर की आईएएस अधिकारी कार्तिकेयन को पिछले साल के विधानसभा चुनावों में बीजेडी की हार से पहले राज्य के सबसे शक्तिशाली सिविल सेवकों में से एक माना जाता था. वे स्वयं सहायता समूहों के नेटवर्क के माध्यम से राज्य में लाखों महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए तत्कालीन नवीन पटनायक सरकार की हस्ताक्षर योजना ‘मिशन शक्ति’ का चेहरा बन गईं.
पिछले साल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उनके लिए मुश्किलें तब शुरू हुईं, जब भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) ने मई में महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत मिशन शक्ति कार्यक्रम से उनका तबादला करने का आदेश दिया था, जहां वे आयुक्त सह सचिव थीं.
तबादला आदेश भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा ईसीआई से मुलाकात करने और “सार्वजनिक पद के दुरुपयोग” के लिए कार्तिकेयन के तबादले की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपने के तुरंत बाद आया. भाजपा ने आरोप लगाया था कि वे मिशन शक्ति प्रमुख के रूप में अपने पद का इस्तेमाल महिला स्वयं सहायता समूहों को बीजद के पक्ष में वोट देने के लिए प्रभावित करने के लिए कर रही थीं.
पिछले साल मई में बीजद के सत्ता से बाहर होने और मोहन मांझी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के सत्ता में आने के तुरंत बाद, वित्त विभाग में विशेष सचिव कार्तिकेयन छह महीने की चाइल्डकैअर लीव पर चली गईं. माझी सरकार द्वारा छह महीने की छुट्टी बढ़ाने की उनकी अर्ज़ी खारिज किए जाने के बाद उन्होंने नवंबर में अपना काम फिर से शुरू किया.
अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि कार्तिकेयन ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति क्यों ली है, जबकि अभी उनकी सेवा के आठ साल बाकी हैं. दिप्रिंट ने उनसे फोन कॉल के ज़रिए संपर्क की कोशिश की है, उनकी ओर से जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
जेएनयू से अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में पोस्ट ग्रेजुएट, कार्तिकेयन ने नबरंगपुर के उप-कलेक्टर के पद से अपना करियर शुरू किया. वे कटक जिले की पहली महिला कलेक्टर भी थीं. नक्सल प्रभावित सुंदरगढ़ की कलेक्टर रहते हुए, उन्होंने जिले के सभी सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील योजना में अंडे शामिल किए.
एक कुशल अधिकारी के रूप में जानी जाने वाली, उन्हें राज्य में स्वयं सहायता समूहों का एक विशाल नेटवर्क बनाने का क्रेडिट दिया जाता है, जिसने लाखों ग्रामीण महिलाओं की ज़िंदगी बदल दी. उन्हें पूर्व सीएम पटनायक का सपोर्ट था, जिसने उन्हें सफल बनाने में मदद की.
49-वर्षीय कार्तिकेयन ओडिशा मिलेट्स मिशन और मिशन शक्ति के तहत महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने और स्वयं सहायता समूहों के ज़रिए बाजरा की खपत को बढ़ावा देने के लिए एक संयुक्त पहल मिलेट शक्ति के पीछे प्रेरक शक्तियों में से एक थीं. ओडिशा में महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित बाजरा कैफे की भरमार हो गई है, जिसमें कालाहांडी जैसे दूरदराज के जिले भी शामिल हैं.
कार्तिकेयन और पांडियन को अक्सर बीजद के शासन के दौरान ओडिशा के पावर कपल के रूप में जाना जाता था. कार्तिकेयन जहां ओडिया हैं, वहीं उनके पति तमिलनाडु से हैं.
2000 कैडर के आईएएस पांडियन ने भी राज्य में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले सितंबर 2023 में वीआरएस ले लिया और औपचारिक रूप से बीजद में शामिल हो गए.
ओडिशा की नौकरशाही में चर्चा बढ़ रही है कि पांडियन जल्द ही किसी अंतर्राष्ट्रीय संगठन से जुड़ सकते है.
पांडियन चुनाव प्रक्रिया के सभी पहलुओं में शामिल थे, उम्मीदवारों के चयन से लेकर पटनायक के छठे कार्यकाल के लिए मुद्दों को उठाने तक. दरसअल, बीजद ने उन्हें अपने स्टार प्रचारकों में से एक नामित किया था.
पार्टी हलकों में कहा जाता है कि वे एक तरह से छाया मुख्यमंत्री बन गए थे, जो पार्टी और नौकरशाही दोनों में काफी पावरफुल थे, लेकिन नाम न बताने की शर्त पर बीजेडी के एक नेता ने कहा कि उनकी बेलगाम ताकत ने न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं को बल्कि ज़मीनी स्तर पर लोगों को भी अलग-थलग कर दिया, जिसके कारण बीजेडी को अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा.
चुनावों से पहले विपक्षी भाजपा ने पांडियन को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया. उन्होंने पटनायक के नेतृत्व वाली बीजेडी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उसने तमिलनाडु के एक पूर्व आईएएस को बेलगाम ताकत देकर ओडिशा की ‘अस्मिता’ से समझौता किया है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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