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Friday, 19 April, 2024
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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने राम मंदिर भूमि पूजन को लेकर कहा- बाबरी मस्जिद थी, मस्जिद ही रहेगी

एआईएमपीएलबी के महासचिव ने कहा, ‘जैसा कि सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च है, हमारे पास फैसले को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. पर यह एक अन्यायपूर्ण और अनुचित था.’

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नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एआईएमपीएलबी (AIMPLB) ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शाम को अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखने जाने को लेकर कहा कि नवंबर 2019 का सर्वोच्च न्यायालय का फैसला, जिसमें अयोध्या में विवादित स्थल की 2.77 एकड़ जमीन हिंदू पक्षकारों को दे दी गई थी, ‘हथियाने (ग़ासिबाना फैसला)’ और भूमि का कब्जा ‘अवैध जब्ती’ जैसा है.

ट्विटर पर, बोर्ड ने तुर्की की हागिया सोफिया मस्जिद के जरिए कहा कि एक मस्जिद ‘अनंत काल तक’ बनी रहती है.

एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने एक बयान में कहा, ‘जैसा कि सुप्रीम कोर्ट हमारे देश में न्याय का सर्वोच्च पैलेडियम है, हमारे पास फैसले को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. हालांकि, हम निश्चित रूप से कहेंगे कि यह एक अन्यायपूर्ण और अनुचित निर्णय था.’

उन्होंने कहा, ‘भारतीय मुसलमानों और विभिन्न अन्य संगठनों के प्रतिनिधि और सार्वजनिक मंच के रूप में एआईएमपीएलबी ने बाबरी मस्जिद के लिए लड़ाई में कोई कोशिश नहीं की.’ उन्होंने कहा कि ‘यह बताना ज़रूरी है कि हिंदुत्व के तत्वों का यह पूरा आंदोलन उत्पीड़न, जोर ज़बर्दस्ती, डराने-धमकाने, गबन करने, हथियाने और झूठे आरोप पर आधारित था. यह एक विशुद्ध रूप से राजनीतिक आंदोलन था जिसका धर्म या धार्मिक शिक्षाओं से कोई संबंध नहीं था.’

एआईएमपीएलबी राम जन्मभूमि मामले में याचिकाकर्ताओं में से नहीं था, लेकिन उसने मुस्लिम पक्ष के कानूनी प्रयासों को किया.

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सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल नवंबर में फैसला सुनाते हुए कहा था कि 1949 में इस स्थल पर मूर्तियों को रखने का कार्य ‘अपवित्रत’ करने का था और यह भी कहा कि हिंदू मंदिरों को नष्ट करने के बाद मस्जिद बनाए जाने का कोई सबूत नहीं है जैसा कि सदियों पहले वजूद में आने वाली मस्जिद के लिए खुदाई में मिले अवशेष से पता चलता है. यह भी माना गया कि 1993 में कारसेवकों द्वारा मस्जिद को ध्वस्त करना एक ऐसा कार्य था, जिससे कानून के शासन का उल्लंघन हुआ.

जो मस्जिद है वो हमेशा मस्जिद रहेगी

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जोर देकर कहा कि जो मस्जिद है वो हमेशा मस्जिद रहेगी चाहे उसके साथ कुछ भी हो जाये.
‘आज बाबरी मस्जिद की जगह मंदिर की आधारशिला रखी जा रही है, एआईएमपीएलबी का मानना है कि ‘शरीयत के अनुसार, जहां एक बार मस्जिद होती है वो अनंतकाल तक मस्जिद ही रहती है.’ ‘इसलिए बाबरी मस्जिद कल एक मस्जिद थी, आज भी है और भगवान की इच्छा रही तो मस्जिद ही बनी रहेगी.’ मस्जिद में मूर्ति लगाकर, वहां पूजा करने और नमाज रुकवाने, जो कि वहां लंबे समय से चल रही थी, वो मस्जिद के होने को बदल नहीं सकता.’

ट्विटर पर अपने वक्तव्य में कहा गया ‘#babrimasjid मस्जिद थी और रहेगी. हमारे लिए #HagiaSophia एक अच्छा उदाहरण है. भूमि का एक अन्यायपूर्ण, दमनकारी, शर्मनाक और बहुमत को खुश करने वाले फैसले से कुछ नहीं बदलता. दिल तोड़ने की जरूरत नहीं. स्थितियां हमेशा एक समान नहीं रहती. #.ItsPolitics’

हैदराबाद के सांसद असद्दुदीन औवेसी जो कि बोर्ड के सदस्य है ने एक पुराना फोटो जिसमें कार सेवक बाबरी मस्जिद के पास उल्लास मनाते हुए दिखाई दे रहे हैं, ट्वीट करते हुए कहा #babnrimasjid थी, है और रहेगी इंशाअल्लाह. #babrizindahai.’

सर्वोच्च न्यायालय में कई रिव्यु पेटिशन दाखिल की गईं थी पर आपसी मतभेद बने रहे थे. अंत में एआईएमपीएलबी की वर्किंग कमीटी ने फैसला दिया. सभी 29 रिव्यु पेटिशन को अस्वीकार कर दिया गया था.

बोर्ड ने भारतीय मुसलमानों को निराश न होने को कहा. और अपने पापों का प्रायश्चित करने को कहा.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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1 टिप्पणी

  1. Hagia Sofiya, was a Christian Church, place of worship. Built by Christians before 7th century CE, AD. Forcefully occupy and use muscle power and military, police power cannot justify religious ideology.

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