नयी दिल्ली, 16 अगस्त (भाषा) पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने शुक्रवार को कहा कि पिछले 75 वर्षों से भारत ‘समान धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता’ के लिए प्रतीरक्षारत है, लेकिन हर बार यह समावेशी सुधार सांप्रदायिक वार का शिकार होता रहा।
उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में यह भी कहा कि ‘सेकुलर सिविल कोड’’ पर ‘‘कम्युनल कन्फ्यूजन’’ की साजिश से सावधान रहने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘75 वर्षों से भारत समान धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता के संवैधानिक दिशानिर्देश के साकार होने के लिए प्रतीक्षारत है। लेकिन हर बार समावेशी सुधार सांप्रदायिक वार का शिकार होता रहा।’’
नकवी का कहना था कि संविधान सभा में बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर समेत अन्य महापुरुष समान धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता के पक्षधर थे, पर कुछ लोगों के सांप्रदायिक वार ने समावेशी संवैधानिक सुधार को संविधान का हिस्सा बनने के बजाय दिशानिर्देश का किस्सा बना दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता (एससीसी) की जोरदार पैरवी करते हुए भारत को ‘विकसित राष्ट्र’ बनाने का संकल्प व ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का सपना साकार करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, ‘‘देश का एक बहुत बड़ा वर्ग मानता है कि जिस नागरिक संहिता को लेकर हम लोग जी रहे हैं, वह सचमुच में साम्प्रदायिक और भेदभाव करने वाली संहिता है। मैं चाहता हूं कि इस पर देश में गंभीर चर्चा हो और हर कोई अपने विचार लेकर आए।’’
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अविनाश
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