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Sunday, 22 December, 2024
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ED के नोटिस के खिलाफ झारखंड के CM सोरेन की याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 18 सितम्बर तक टाली

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सोरेन ने एक अपील के जरिए सुनवाई 18 सितम्बर तक टालने की मांग की थी. उन्होंंने सरकार के पर दुर्भावना के साथ काम करने का आरोप लगाया है.

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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समन के खिलाफ झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की याचिका को 18 सितम्बर तक के लिए टाल दिया है.

सोरेन के वकील ने जस्टिस अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी की खंडपीठ से मामले को सोमवार तक टालने की गुजारिश की.

हेमंत सोरेन अपने खिलाफ समन को चुनौती के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिक दायर की है और कहा है कि यह मामला साफ तौर से उनके नेतृत्व वाली लोकतांत्रिक ढंग से चुनी सरकार को अस्थिर करने की केंद्र सरकार द्वारा ‘कानून का दुरुपयोग’ है और केंद्रीय एजेंसियों का ‘गलत इस्तेमाल’ है.

ईडी ने 24 अगस्त को कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सोरेन को जांच में शामिल होने को कहा था.

सोरेन को मध्य अगस्त में कथित भूमि घोटाला से जुड़े मामले में ईडी द्वारा समन दिया गया था. हालांकि, सोरेन केंद्रीय एजेंसी की जांच में शामिल नहीं हुए, यह कहते हुए कि वह राज्य में स्वतंत्रता दिवस समारोह की तैयारी में व्यस्त हैं. उन्हें दोबारा 24 अगस्त को और 9 सितम्बर को पेश होने को कहा गया था, लेकिन वह जांच एजेंसी के समक्ष प्रस्तुत नहीं हुए.

अपनी याचिका में, सोरेन ने शीर्ष अदालत से मनी लॉन्ड्रिंग प्रिवेंशन एक्ट, 2002 की धारा 50 और धारा 63 को भारत के संविधान के दायरे से बाहर घोषित करने की अपील की और उनके खिलाफ समन को अवैध घोषित करने के लिए उचित निर्देश जारी करने की मांग की है.

याचिका में कहा गया है, “एक प्रहरी तौर पर, इस न्यायालय के पास केंद्र सरकार के किसी भी एक्ट को रद्द करने का संवैधानिक अधिकार है जो द्वेष से प्रेरित हो और झारखंड के लोगों द्वारा इस्तेमाल किए गए मताधिकार में दखल देने के  लिए बनाया गया हो. अगले 7-8 महीनों में आम चुनाव होने जा रहा है, सत्तारूढ़ सरकार ने देश का राजनीतिक माहौल खराब कर दिया है और राज नेताओं को धमकाने, अपमानित करने और भयभीत करने के सभी प्रयास किए गए हैं व खासकर तब, जब विपक्ष इंडिया गुट बनाने के लिए एकजुट हुआ है, जिसमें याचिकाकर्ता और उनकी पार्टी मुखर भागीदार और गठबंधन का अभिन्न अंग है और जो एनडीए के साथ नहीं जा रहा है.”

इसमें कहा गया है कि समन जारी करना दुर्भावना से प्रेरित है और याचिकाकर्ता के खिलाफ “राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता और अशांति पैदा करने के एकमात्र उद्देश्य से” “झूठा आरोप” लगाया गया है.

याचिका में कहा गया है कि ईडी ने पहले भी याचिकाकर्ता को झारखंड में स्टोन चिप्स के कथित अवैध खनन से जोड़ा था और समन जारी किया था.

सोरेन ने अदालत को बताया कि उन्होंने प्रमाणित प्रतियों के साथ अपने और अपने परिवार के स्वामित्व वाली सभी चल और अचल संपत्तियों का विवरण प्रदान किया है.

मुख्यमंत्री ने जांच एजेंसी से कहा था कि वह उनके खिलाफ समन वापस ले या वह कानूनी कार्रवाई करेंगे. इससे पहले लिखे अपने पत्र में सोरेन ने कहा था कि उन्होंने सभी जरूरी दस्तावेज और जानकारी मुहैया करा दी है.

उन्होंने आरोप लगाया कि अपने राजनीतिक आकाओं के निर्देश पर ईडी ने उन्हें 14 अगस्त को समन किया था.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पत्र में लिखा है, “आपकी 14 अगस्त की तारीख का चयन हेमंत सोरेन के लिए कोई आश्चर्य की बात नहीं है. आप और आपके राजनीतिक आका पूरी तरह जानते हैं कि झारखंड का मुख्यमंत्री होने के नाते 15 अगस्त 2023 को भारत गणराज्य के 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उनके द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने का कार्यक्रम है.”


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