मुंबई, 23 मई (भाषा) शिवसेना (उबाठा) के नेता संजय राउत ने शुक्रवार को पूछा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने धुले में हाल में हुई नकदी बरामदगी से संबंधित मामला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को क्यों नहीं सौंपा?
उन्होंने मांग की कि महाराष्ट्र सरकार इस मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के लिए समय सीमा तय करे।
विपक्ष ने आरोप लगाया है कि हाल में धुले में प्राक्कलन समिति के दौरे से पहले अतिथि गृह के एक कमरे में पांच करोड़ रुपए मिले थे जो रिश्वत के लिए थे। इस आरोप के बाद मुख्यमंत्री ने एसआईटी जांच के आदेश दिए।
राउत ने यहां संवाददाताओं से कहा कि एसआईटी की घोषणा करने के बजाय मुख्यमंत्री को प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष अर्जुन खोतकर के निजी सहायक (पीए) और विधानसभा के अनुभाग अधिकारी किशोर पाटिल के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश देना चाहिए था।
खोतकर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के विधायक हैं।
राउत ने पूछा, ‘‘अगर खोतकर का कहना है कि पूरी घटना समिति को बदनाम करने के लिए रची गई है, तो विधानपरिषद के सभापति राम शिंदे ने (किशोर) पाटिल को निलंबित क्यों किया है?’’
राम शिंदे ने बृहस्पतिवार को कहा था कि किशोर पाटिल को इसलिए निलंबित कर दिया गया क्योंकि कमरा उनके नाम पर बुक किया गया था।
राउत ने सवाल उठाया कि एसआईटी से संबंधित समय-सीमा और अन्य विवरण सार्वजनिक क्यों नहीं किए गए।
उन्होंने कहा,‘‘फडणवीस को यह मामला ईडी को सौंप देना चाहिए था।’’
शिवसना के राज्यसभा सदस्य राउत से जब उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रवर्तन निदेशालय को ‘सभी सीमाएं पार करने’ के लिए फटकार लगाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह एजेंसी की शक्तियों के ‘दुरुपयोग’ पर अदालतों की आलोचनात्मक टिप्पणियों की संख्या में इजाफा है।
राउत ने कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पिछले 10 वर्षों में राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए एजेंसी का दुरुपयोग किया है और “शीर्ष अदालत ने भी इसी ओर ध्यान दिलाया है।”
शीर्ष अदालत ने बृहस्पतिवार को तमिलनाडु में शराब की दुकानों के लाइसेंस कथित तौर पर अवैध रूप से दिए जाने के मामले में शराब की खुदरा बिक्री करने वाली कंपनी टीएएसएमएसी के खिलाफ धनशोधन जांच पर रोक लगा दी। सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई ने कहा था, ‘‘आपका ईडी सारी हदें पार कर रहा है।’’
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राजकुमार नरेश
नरेश
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