नयी दिल्ली, 27 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में प्राधिकारियों से आवारा कुत्तों के पुनर्वास के लिए संस्थागत स्तर पर नीति बनाने को कहा है ताकि उन्हें सार्वजनिक सड़कों और गलियों से ‘‘चरणबद्ध तरीके से हटाया’’ जा सके।
आम जनता के समक्ष ‘समस्या की व्यापकता’ को देखते हुए मामले को दिल्ली के मुख्य सचिव को भेजते हुए न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने कहा कि नीति के निर्माण के लिए दिल्ली सरकार, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) तथा भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) द्वारा समन्वित प्रयास की आवश्यकता है।
न्यायाधीश ने मुख्य सचिव को सभी संबंधित पक्षों की एक बैठक बुलाने को कहा, जिसमें यह चर्चा की जाए कि आवारा कुत्तों को सड़कों से कैसे हटाया जाए तथा उनका पुनर्वास संस्थागत आश्रय में कैसे किया जाए।
न्यायाधीश ने 21 मई को पारित आदेश में कहा, ‘‘अदालत ने पाया है कि आवारा कुत्तों द्वारा काटने के विभिन्न मामले सामने आए हैं, जिनकी खबरें समाचार पत्रों में नियमित रूप से आती रहती हैं। इसके अलावा अदालत के समक्ष कई याचिकाएं भी आई हैं, जिनमें कुत्तों द्वारा काटने के मामले अदालत के संज्ञान में लाए गए हैं।’’
न्यायाधीश ने आदेश दिया, ‘‘अत:, यह निर्देश दिया जाता है कि हितधारकों द्वारा एक नीतिगत निर्णय लिया जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आवारा कुत्तों के संस्थागत स्तर पर पुनर्वास के लिए प्रावधान किए जाएं ताकि आवारा कुत्तों का पुनर्वास किया जा सके और उन्हें सार्वजनिक सड़कों और गलियों से चरणबद्ध तरीके से हटाया जा सके।’
अदालत ने यह आदेश अस्सी वर्षीय एक महिला द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। ‘डॉग अम्मा’ के नाम से जाने वाली उक्त महिला ने याचिका पीवीआर अनुपम कॉम्प्लेक्स के पीछे स्थित अपने अस्थायी आश्रय स्थल को ध्वस्त करने के खिलाफ दायर की थी, जहां 200 से अधिक कुत्तों की भी देखभाल भी की जा रही थी।
याचिकाकर्ता के अनुसार, वह पिछले 30 वर्षों से अपने अस्थायी आश्रय में रह रही थी और कई आवारा कुत्तों की देखभाल करती थी, लेकिन एमसीडी ने 3 जनवरी, 2023 को बिना किसी पूर्व सूचना के इसे ध्वस्त कर दिया।
आदेश में अदालत ने कहा कि प्राधिकारियों ने निर्णय लिया था कि कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें आश्रय स्थल के आसपास ही छोड़ दिया जाएगा।
हालांकि, अदालत ने कहा कि टीकाकरण और नसबंदी के बाद कुत्तों को सड़कों पर छोड़ना उचित समाधान नहीं है।
अदालत ने कहा कि यदि कुत्तों को आसपास या खुले में छोड़ा गया तो इससे बहुत गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है, क्योंकि 200 से अधिक आवारा कुत्तों को सड़कों पर खुला नहीं छोड़ा जा सकता।
अदालत ने कहा कि ऐसा करना विवेकपूर्ण नहीं होगा, क्योंकि इससे निवासियों को परेशानी होगी और कुत्तों पर भी बोझ पड़ेगा।
मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी।
भाषा अमित माधव
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