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Wednesday, 20 November, 2024
होमदेशओडिशा ट्रेन दुर्घटना: अधिकारी ने फरवरी में ही बताई थीं सिग्नल सिस्टम में हैं खामियां

ओडिशा ट्रेन दुर्घटना: अधिकारी ने फरवरी में ही बताई थीं सिग्नल सिस्टम में हैं खामियां

दक्षिण पश्चिम रेलवे जोन के प्रिंसिपल चीफ ऑपरेटिंग मैनेजर ने एक पत्र में एक एक्सप्रेस ट्रेन के सिग्नल फेल होने को लेकर चिंता जताई है.

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नई दिल्ली: जहां भारतीय रेलवे की एक प्रारंभिक आंतरिक जांच में पाया गया है कि शुक्रवार की ओडिशा ट्रेन दुर्घटना संभवतः सिग्नलिंग सिस्टम के फेल होने के कारण हुई थी, वही दिप्रिंट द्वारा देखे गए एक पत्र के अनुसार, रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने “प्रणाली में गंभीर खामियों” के बारे में पहले ही चेतावनी दी थी और फरवरी में इंटरलॉकिंग के फेल होने पर चिंता जताई थी और इस पर तत्काल कार्रवाई करने की मांग की गई थी.

ओडिशा के बालासोर जिले में तीन ट्रेनों की टक्कर में कम से कम 288 लोग मारे गए और लगभग 900 घायल हो गए, जो 1995 की फिरोजाबाद रेल त्रासदी के बाद से भारत की सबसे खराब रेल दुर्घटना है, जिसमें 350 से अधिक लोग मारे गए थे.

दुर्घटना में शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस और एसएमवीबी-एचडब्ल्यूएच सुपरफास्ट एक्सप्रेस शामिल थे, जो दोनों ओडिशा के बालासोर जिले में बहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के पास शाम करीब 6 बजकर 55 मिनट पर पटरी से उतर गईं. दुर्घटना में एक मालगाड़ी भी शामिल थी क्योंकि कोरोमंडल एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे, जो चेन्नई जा रहे थे, पटरी से उतरने के बाद उसके वैगनों से टकरा गए.

दिप्रिंट द्वारा रिव्यू किए गए 9 फरवरी के एक पत्र में, दक्षिण पश्चिम रेलवे ज़ोन के चीफ ऑपरेटिंग मैनेजर ने एक एक्सप्रेस ट्रेन के सिग्नल फेल होने की चिंता जताई, जिसका विषय था “मैसूर डिवीजन के बिरूर-चिकजाजुर सेक्शन के होसदुर्गा रोड स्टेशन पर 08.02.2023 को ट्रेन सं. 12649 संपर्क क्रांति एक्सप्रेस की एक मालगाड़ी के साथ आमने-सामने की टक्कर की एक गंभीर असुरक्षित घटना हुई.

उन्होंने लिखा, “…यह अजीब था कि डिस्पैच का रूट निर्धारित किया गया था और स्टार्टर को हटा दिया गया था, पीएलसीटी दे दिया गया था, लेकिन बिंदु संख्या: 65A को ऑटोमेटिक तरीके से गलत दिशा में (डाउन डायरेक्शन) में सेट हो गया.” पीएलसीटी का अर्थ होता है पेपर लाइन क्लियर टिकट जिसका उपयोग विशिष्ट परिस्थितियों में किया जाता है और ट्रेन को ब्लॉक सेक्शन में प्रवेश करने की अनुमति देता है.

उन्होंने कहा, “लोको पायलट की सतर्कता के कारण ट्रेन को गलत लाइन (डाउन लाइन) में प्रवेश करने से पहले ही रोक दिया गया और एक बड़ी दुर्घटना टल गई …”

उन्होंने कहा कि घटना से संकेत मिलता है कि “सिस्टम में गंभीर खामियां हैं जहां एसएमएस पैनल में रूट के सही दिखने के साथ सिग्नल पर ट्रेन चालू होने के बाद डिस्पैच का मार्ग बदल जाता है. यह इंटरलॉकिंग के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करता है.”

उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर सिग्नल रख-रखाव प्रणाली की निगरानी नहीं की गई और इसे तुरंत ठीक नहीं किया गया, तो इससे “ऐसी घटनाएं फिर से हो सकती हैं और गंभीर दुर्घटनाएं” हो सकती हैं.

नाम न छापने की शर्त पर रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “एक जोन में इस तरह की कोई भी घटना सभी को आश्चर्य में डालती है.”

व्हाट्सएप के माध्यम से दिप्रिंट को जवाब देते हुए, मंत्रालय ने शनिवार को कहा, “कल की दुर्घटना का कारण अभी भी ठीक से पता लगना बाकी है.”

रेल सुरक्षा की उपेक्षा, गंभीर मुद्दे उठाए गए

दुर्घटना से कुछ घंटे पहले शुक्रवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की अध्यक्षता में हुए ‘चिंतन शिविर’ या विचार-मंथन सत्र में मौजूद कई अधिकारियों के अनुसार, रेलवे सुरक्षा पर विभिन्न क्षेत्रों की प्रस्तुतियों को छोड़ दिया गया था.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, “केवल एक ज़ोन को सुरक्षा पर प्रेजेंटेशन देने की अनुमति दी गई थी … जबकि वंदे भारत ट्रेनों की शुरुआत और राजस्व बढ़ाने पर चर्चा की अनुमति दी गई थी.”

एक अन्य अधिकारी के मुताबिक, बैठक में हाल ही में मालगाड़ियों के पटरी से उतर जाने को लेकर भी चिंता जताई गई. दूसरे अधिकारी ने कहा, “हाल के महीनों में मालगाड़ियों के पटरी से उतरने की खतरनाक घटनाएं हुई हैं जहां लोको पायलटों की मौत हो गई और वैगन पूरी तरह से नष्ट हो गए. इससे अलार्म बजना चाहिए था.”

मैनपावर की कमी, बीमार बुनियादी ढांचा

हर दिन पटरियों का निरीक्षण करने वाले और भारतीय रेलवे के सैनिक माने जाने वाले गैंगमैन की भारी कमी है, जबकि स्टेशन मास्टर ओवरटाइम काम कर रहे हैं.

रेलवे सुरक्षा को बनाए रखने के लिए स्टेशन मास्टर का पद काफी महत्वपूर्ण होता है. “उन्हें 12 घंटे की शिफ्ट में काम करने के लिए बनाया जा रहा है. सुरक्षा बनाए रखने में उनकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है. रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, स्टेशन मास्टर को किसी भी अनियमितता का पता लगाने के लिए पहियों से लेकर ट्रेन के गुजरने तक की आवाज तक हर चीज पर नजर रखनी होती है.

रेल मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि कम लागत वाली टक्कर-रोधी प्रणाली (anti-collision system) कवच को भी अभी तक सभी क्षेत्रों में लागू नहीं किया गया है.

इस अप्रैल में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में, मंत्रालय ने कहा कि 39 रेलवे जोन और उत्पादन इकाइयों में से अधिकांश के पास आवश्यक मानव संसाधन की कमी है.

14,75,623 ग्रुप सी पदों (यातायात सहायक, गुड्स गार्ड, जूनियर और सीनियर टाइमकीपर, जूनियर और सीनियर क्लर्क-कम-टाइपिस्ट, और स्टेशन मास्टर) में से 3.11 लाख से अधिक पद और स्वीकृत 18,881 राजपत्रित कैडर पदों (सीनियर) में से 3,018 पद अधिकारी) भारतीय रेलवे के विभिन्न विभागों में रिक्त हैं.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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