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शुक्रवार, 23 मई, 2025
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ओडिशा सरकार जरुरतमंद आदिवासियों, दलितों से जमीन खरीदेगी

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भुवनेश्वर, 23 मई (भाषा) राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी ने कहा कि ओडिशा सरकार अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों की जमीन को गैर-आदिवासियों और गैर-दलितों द्वारा हड़पे जाने से रोकने के लिए जरूरतमंद लोगों से सीधे भूमि खरीद की योजना बना रही है और इसके लिए एक विशिष्ट कोष बनाया जाएगा।

पुजारी ने बृहस्पतिवार को कहा कि अभी तक ऐसी कोई नीति नहीं है।

उन्होंने कहा कि यह पहल अभी योजना के स्तर पर है और इसे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों सहित सभी हितधारकों से उचित परामर्श के बाद ही लागू किया जाएगा।

मंत्री ने कहा कि हालांकि गैर-आदिवासी या गैर-दलितों द्वारा आदिवासियों और अनुसूचित जातियों से जमीन खरीदने पर प्रतिबंध है, लेकिन यह देखा गया है कि वे अलग-अलग तरीकों से जमीन हासिल कर लेते हैं। ओडिशा भूमि सुधार (ओएलआर) अधिनियम, 1960 के प्रावधानों के अनुसार, अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों की भूमि गैर-आदिवासियों और गैर-अनुसूचित जातियों द्वारा उप-कलेक्टर की मंजूरी के बिना नहीं खरीदी जा सकती।

पुजारी ने कहा कि यह पाया गया है कि कई बार गरीब आदिवासी और दलित लोग इलाज, बेटी की शादी या बच्चों की पढ़ाई जैसी आपात स्थितियों में अपनी जमीन बेच देते हैं। हालांकि, सरकार का प्रयास है कि जरूरतमंदों को वैकल्पिक साधन प्रदान किए जाएं ताकि वे अपनी जमीन न बेचें।

उन्होंने कहा, “अब चूंकि सभी गरीबों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा मिल रही है, तो इस कारण की कोई वैधता नहीं रह गई है। इसके अलावा एससी/एसटी समुदाय के बच्चों को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता भी मिलती है और जल्द ही राज्य सरकार गरीब परिवारों की बेटियों की शादी के लिए ‘मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना’ शुरू करेगी।”

मंत्री ने कहा कि राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे यह जांच करें कि जमीन बेचने के लिए दायर आवेदन वास्तव में सही हैं या नहीं।

उन्होंने कहा, “हमारी जानकारी के अनुसार केवल 10-15 प्रतिशत आवेदन ही वास्तविक होते हैं, बाकी मामलों में लोग बहकावे या लालच में आकर आवेदन देते हैं। इसे रोका जाना चाहिए।”

पुजारी ने कहा, “सरकार का प्रयास है कि आदिवासी और दलित अपनी जमीन को सुरक्षित रखें। हालांकि, यदि उन्हें किसी कारणवश धन की आवश्यकता हो और वे अपनी जमीन बेचना ही चाहें, तो सरकार उस जमीन को खरीदकर 2-3 वर्षों तक सुरक्षित रखेगी। इस दौरान यदि वे चाहें तो उसी कीमत पर जमीन वापस खरीद सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि अगर विक्रेता निर्धारित समयावधि के भीतर जमीन वापस नहीं ले पाते हैं, तो वह जमीन उनकी ही जाति या समुदाय के लोगों के बीच नीलामी के माध्यम से बेची जाएगी।

वर्ष 2023 में तत्कालीन बीजू जनता दल (बीजेडी) सरकार ने कुछ शर्तों के तहत आदिवासियों को गैर-आदिवासियों को जमीन बेचने की अनुमति देने के लिए कानून में संशोधन की योजना को मंजूरी दी थी, लेकिन राज्यव्यापी विरोध के चलते उसे लागू नहीं किया जा सका।

भाषा

राखी पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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