नई दिल्ली: एम्स का नर्स संघ अपनी मांगों को लेकर सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चला गया, जबकि एम्स के निदेशक ने उनसे आंदोलन वापस लेने और काम पर लौटने की अपील की है. उनकी मांगों में छठे केंद्रीय वेतन आयोग की अनुशंसा को लागू करना और अनुबंध पर भर्ती खत्म करना भी शामिल है.
हालांकि एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने एक वीडियो संदेश में महामारी के समय में हड़ताल को ‘अनुपयुक्त एवं दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया. उन्होंने एक भावुक संदेश में कहा, ‘मैं सभी नर्सों और नर्सिंग अधिकारियों से अपील करता हूं कि वे हड़ताल पर नहीं जाएं और जहां तक नर्सों की बात है उनके संदर्भ में हमारी गरिमा को शर्मिंदा नहीं करें.’
उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैं आप सभी से अपील करता हूं कि वापस आएं और काम करें और इस महामारी से निपटने में हमारा सहयोग करें.’
एम्स नर्स यूनियन के अध्यक्ष ने कहा, ‘हमारा संघ प्रशासन के साथ बातचीत के लिए तैयार है. हम मरीजों के लिए बुरा महसूस कर रहे हैं लेकिन हम असहाय हैं क्योंकि हमारी मांग पूरी नहीं हुई है. हमने एक महीने पहले हड़ताल का नोटिस दिया था, लेकिन तब भी प्रशासन ने हमारी मांगों को नहीं सुना.’
Our Union is ready for talks with the administration. We are feeling bad for patients but we're helpless as our demands haven't been met. We had given notice for strike a month ago but even then the administration didn't listen to our demands: President, AIIMS Nurses Union, Delhi https://t.co/aEjKJO4VWV pic.twitter.com/LpT06KjPLN
— ANI (@ANI) December 15, 2020
करीब पांच हजार नर्स सोमवार दोपहर से हड़ताल पर चले गए जिससे इस प्रतिष्ठित अस्पताल में रोगी देखभाल सेवाएं बाधित हुईं. मंगलवार सुबह से ही मरीजों के परिजन परेशान होते दिखाई दिए वहीं कुछ डॉक्टरों ने भी सोशल मीडिया पर नर्स स्टाफ के हड़ताल पर जाने से हो रही परेशानी की जानकारी दी.
हड़ताल पहले 16 दिसंबर से शुरू होने वाली थी.
गुलेरिया ने कहा कि नर्स संघ ने 23 मांगें रखी थीं और एम्स प्रशासन तथा सरकार ने उनमें से लगभग सभी मांगें मान ली हैं.
उन्होंने कहा कि एक मांग मूल रूप से छठे वेतन आयोग के मुताबिक शुरुआती वेतन तय करने की असंगतता से जुड़ी हुई है.
एम्स निदेशक ने कहा कि नर्स संघ के साथ कई बैठकें न केवल एम्स प्रशासन की हुई हैं बल्कि स्वास्थ्य मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार, व्यय विभाग के प्रतिनिधियों के साथ भी हुई हैं और जिस व्यक्ति ने छठे सीपीसी का मसौदा तैयार किया वह भी बैठक में मौजूद था. उन्हें बताया गया है कि उसकी व्याख्या सही नहीं है.
छठे सीपीसी की मांग के अलावा नर्स भर्ती में लैंगिक आरक्षण को खत्म करने और अनुबंध पर नियुक्तियां बंद करने आदि की भी मांग कर रहे हैं.
निदेशक को लिखे पत्र में संघ ने कहा कि एम्स प्रशासन ने ठोस उपाय नहीं किए और छठे केंद्रीय वेतन आयोग से जुड़ी उनकी मांगों को खारिज कर दिया गया.