परमाणु क्षमता से लैस पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत ने सफलतापूर्वक अपना परमाणु त्रिकोण पूरा कर लिया. प्रधानमंत्री मोदी ने दी शुभकामनाएं.
नई दिल्ली: परमाणु क्षमता से लैस पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत ने सफलतापूर्वक अपना निवारक गश्त पूरा कर लिया है. इसके साथ ही भारत ने सोमवार को अपना परमाणु त्रिकोण पूरा कर लिया. भारत अब आसमान, जमीन और समुद्र तीनों जगहों से परमाणु हमला करने में सक्षम देश बन गया है.
स्ट्रेटजिक स्ट्राइक न्यूक्लियर सबमरीन (एसएसबीएन) आईएनएस अरिहंत के चालक दल के सदस्यों को शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘आज ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि हम परमाणु त्रिकोण के सफलतापूर्वक स्थापित होने पर खुशी मना रहे हैं. भारत का परमाणु त्रिकोण वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ होगा.’
उन्होंने कहा, ‘आईएनएस अरिहंत की सफलता भारत की सुरक्षा जरूरतों को पूरा करेगी. यह पूरे देश के लिए बड़ी उपलब्धि है. इस तरह के युग में, एक विश्वसनीय परमाणु निवारक समय की मांग है.’
6000 टन वजनी अरिहंत को एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल(एटीवी) परियोजना के तहत विशाखापत्तनम में शिप बिल्डिंग सेंटर में बनाया गया था.
परमाणु हथियार की बदौलत ब्लैकमेल करने वालों को जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, इसके निवारक गश्त के सफलतापूर्वक पूरा हो जाने से ‘उन लोगों को करारा जवाब मिला है, जो परमाणु हथियार की बदौलत ब्लैकमेल करते रहे हैं.’
मोदी ने कहा कि आईएनएस अरिहंत शांति के वातावरण में अपना ‘योगदान’ देगा.
मोदी ने कहा, ‘भारत शांति की भूमि है. घनिष्ठता का मूल्य हमारी संस्कृति में सन्निहित है. शांति हमारी ताकत है, न कि कमजोरी. हमारे परमाणु कार्यक्रम को निश्चित ही भारत के विश्व शांति और स्थिरता के प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए.’
सशस्त्र सेना को बधाई देते हुए रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘भारतीय सशस्त्र सेना, पूरे वैज्ञानिक समुदाय और प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस शानदार उपलब्धि को हासिल करने में संलिप्त सभी लोगों को बधाई.’
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि नई अधिग्रहित क्षमता हमारी रणनीतिक और सुरक्षा हितों को पूरा करने में एक लंबा रास्ता तय करेगी.
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत ने एक बार फिर शांति और हमारी रणनीतिक व सुरक्षा हितों के लिए प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है.
क्या है परमाणु त्रिकोण
परमाणु त्रिकोण एक परमाणु मिसाइल है जो जमीन, आसमान और समुद्र तीनों जगहों से हमला कर सकती है.
भारत का यह त्रिकोण जमीन, आसमान और समुद्री मिसाइलों का मिश्रण है. जमीन से अग्नि 2, अग्नि 4 और अग्नि 5, हवा से सुखोई एसयू 30एमकेआईएस, मिराज 2000एस और जगुआर परमाणु मिसाइलें छोड़ने में सक्षम हैं. अब इसमें 6000 टन वजन का अरिहंत भी शामिल हो गया है.
कुछ ही समय में अरिहंत सागरिका बी-05 मिसाइल से भी लैस होगा. अरिहंत परियोजना करीब 30 साल पहले शुरू हुई थी. इसमें भारतीय रक्षा शोध संस्थान को रूस का भी सहयोग हासिल है.
(समाचार एजेंसी आईएएनएस से इनपुट के साथ)