कोहिमा, 15 मार्च (भाषा) एनएससीएन (आईएम) ने कहा है कि वह दशकों पुरानी समस्या का समाधान खोजने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए नगा समुदाय के लिए अलग ‘येहजाबो’ (संविधान) और झंडे की मांग को नहीं छोड़ेगा और इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की दबाव वाली कोई रणनीति काम नहीं करेगी।
नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम (एनएससीएन-आईएम) के इसाक-मुइवा गुट, जो दो दशकों से अधिक समय से सरकार के साथ शांति वार्ता कर रहा है, ने केंद्र से संवेदनशील होने और ‘‘नगाओं पर राजनीतिक दबाव’’ का सहारा नहीं लेने को कहा।
एनएससीएन (आईएम) ने अपने मासिक समाचार बुलेटिन ‘‘नगालिम वॉयस’’ के संपादकीय में कहा, ‘‘हमने देशभक्ति और राष्ट्रीय पहचान से जुड़े नगा राष्ट्रीय ध्वज को फहराने और लहराने का एक लंबा सफर तय किया है।’’
केंद्र सरकार 1997 से एनएससीएन (आईएम) और 2017 से सात संगठनों वाले नगा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप्स (एनएनपीजी) के साथ अलग-अलग बातचीत कर रही है।
केंद्र ने तीन अगस्त, 2015 को एनएससीएन (आईएम) के साथ एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए, और दिसंबर 2017 में पीजी के साथ एक सहमति भी कायम की थी।
संपादकीय में कहा गया है, ‘‘एनएससीएन (आईएम) का रुख स्पष्ट है कि हम अपनी पहचान से छल करके और भारत सरकार के सामने आत्मसमर्पण करके इस महत्वपूर्ण चरण में अपने इतिहास को नष्ट नहीं करने जा रहे हैं।’’
भाषा देवेंद्र पारुल
पारुल
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