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Tuesday, 5 November, 2024
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एमपी कांग्रेस ने सिंधिया पर लगाया अब जमीन हथियाने का आरोप, सीएम से मांग- उनके खेमे को न दें राजस्व विभाग

ज्योतिरादित्य सिंधिया पर 2014 में ज़मीन हथियाने का आरोप लगाया गया था लेकिन मार्च में बीजेपी में शामिल होने के कुछ दिनों बाद ही ‘सबूत न होने’ की बिना पर केस बंद कर दिया गया.

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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोविंद सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से आग्रह किया है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ‘कैम्प’ के किसी आदमी को राजस्व विभाग न दिया जाए क्योंकि इससे पूर्व कांग्रेस नेता को उस सरकारी ज़मीन का गबन करने में सहायता मिलेगी, जो उनके ट्रस्ट को आवंटित है.

ये एक साफ संकेत है कि मार्च में सिंधिया और उनके समर्थकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद से किस तरह स्थिति बिल्कुल उलट गई है.

सिंह ने कहा, ‘कलेक्टर ऑफिसर ने ग्वालियर हाईकोर्ट के सरकारी वकीलों के साथ मिलकर, सरकारी ज़मीन के सिंधिया के नाम पर होने की बात कही थी. राजस्व मंत्री की मदद से वो सरकारी ज़मीन अपने ट्रस्ट के नाम करा लेते हैं, इसलिए मैंने सीएम से अनुरोध किया है कि सिंधिया कैम्प से किसी को राजस्व मंत्री न बनाएं’.

लेकिन एमपी कैबिनेट में नव-निर्वाचित मंत्री, बीजेपी के विश्वास सारंग ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि पार्टी को ये सुझाव तब देना चाहिए था, जब कमलनाथ सत्ता में थे.

सारंग ने कहा, ‘अगर यही सुझाव पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को दिया जाता तो बेहतर होता. सिंधिया इंसाफ के लिए लड़े हैं. उन्होंने कांग्रेस इसलिए छोड़ी क्योंकि किसानों के कर्ज़ माफ नहीं किए जा रहे थे और कांग्रेस ने राज्य में अव्यवस्था फैला दी थी. वो अपने निजी फायदे के लिए अलग नहीं हुए हैं’.

पिछले बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश के मंत्री परिषद में विस्तार करके, इसकी संख्या पांच से बढ़ाकर 33 कर दी गई, जिनमें 14 मंत्री पूर्व कांग्रेस नेता थे, जो सिंधिया के साथ बीजेपी में आ गए थे. लेकिन सीएम शिवराज चौहान ने अभी तक विभाग आवंटित नहीं किए हैं.

दिप्रिंट ने कॉल्स और मैसेज के ज़रिए, सिंधिया से संपर्क करने की कोशिश की, जो अब राज्य सभा सांसद हैं लेकिन इस रिपोर्ट के पब्लिश होने तक कोई जवाब नहीं मिला.


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मामला जिसकी जांच बंद हो गई है

पार्टी बदलने से पहले, मार्च 2014 में सिंधिया पर पहली बार ज़मीन की धोखाधड़ी के आरोप लगने के बाद से बीजेपी उन पर लगातार हमले करती आ रही थी. सिंधिया और उनके परिवार द्वारा चलाए जा रहे दो चैरिटेबल ट्रस्टों के सदस्यों पर आरोप था कि उन्होंने एक प्रमुख सरकारी ज़मीन गैर-कानूनी तरीके से ग्वालियर के एक रिएल्टर को बेच दी. इसके बाद एक व्यवसायी ने मध्य प्रदेश की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में शिकायत दर्ज करके, इस मामले की जांच की मांग की थी.

सिंधिया के पाला बदलने के सिर्फ दो महीने पहले ही बीजेपी के राज्य सभा सांसद प्रभात झा ने ‘सरकारी ज़मीन हथियाने’ के लिए उनकी आलोचना की थी और तत्कालीन सीएम कमलनाथ से, उनके खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध भी किया था.

झा ने जनवरी में कहा था, ‘उन्होंने ट्रस्ट के नाम पर सरकारी ज़मीन हथिया ली है. माफिया के खिलाफ जारी कार्रवाई के दौरान, मैं चीफ कमलनाथ से सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण के लिए, उनके (सिंधिया) खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध करता हूं’.

लेकिन मार्च में सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के कुछ दिन बाद ही, ईओडब्ल्यू ने सबूत न होने का हवाला देते हुए धोखाधड़ी का केस बंद कर दिया. सिंधिया 22 विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए जिन्होंने विधान सभा से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद कमल नाथ सरकार गिर गई.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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