चंडीगढ़, 24 मई (भाषा) पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार की 2019 की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया है, जिसमें सरकारी नौकरियों की भर्ती में ‘‘सामाजिक-आर्थिक मानदंड’’ के तहत अभ्यर्थियों को 10 बोनस अंक दिए गए थे।
न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायमूर्ति मीनाक्षी आई मेहता की खंडपीठ ने राज्य सरकार की 11 जून, 2019 की अधिसूचना को संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 का उल्लंघन माना।
यह फैसला सरकारी नौकरी के इच्छुक अभ्यर्थियों द्वारा दायर कई याचिकाओं पर आया।
राज्य सरकार की 2019 की अधिसूचना के अनुसार, सामाजिक-आर्थिक मानदंड के तहत अभ्यर्थियों को 10 अंक तक आवंटित किए जाने थे।
ऐसे अभ्यर्थी को अधिकतम पांच अंक दिए जाते, जिनके परिवार का कोई सदस्य सरकारी नौकरी में नहीं है और यदि आवेदक विधवा है या खानाबदोश जनजातियों से संबंधित है तो उसे पांच अतिरिक्त अंक दिए जाते।
खंडपीठ ने कहा, ‘‘हमने पाया है कि बोनस अंक देने के कारण चयन प्रक्रिया गड़बड़ हो गई है। यदि चयन प्रक्रिया से बोनस अंक हटा दिए जाते तो मेधावी अभ्यर्थियों का चयन हो जाता।’’
अदालत ने कहा, ‘‘ऐसा चयन जो केवल बोनस अंक प्राप्त करने पर आधारित है, भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन होगा।’’
भाषा देवेंद्र आशीष
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