नयी दिल्ली, 17 जून (भाषा) सरकार ने शुक्रवार को चार अधिसूचनाएं जारी कर मतदाता सूची के आंकड़े को ‘आधार’ से जोड़ने, ‘सर्विस वोटर’ के लिए चुनाव संबंधी कानून को लैंगिक रूप से तटस्थ (न्यूट्रल) बनाने और युवाओं को साल में मौजूदा एक बार के बजाय चार बार मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने की अनुमति दे दी।
ये अधिसूचनाएं, पिछले साल के अंत में संसद द्वारा पारित चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम ,2021 का हिस्सा हैं।
दूर-दराज के इलाकों में तैनात सैनिकों या विदेश में स्थित भारतीय मिशन के सदस्यों को ‘सर्विस वोटर’ माना जाता है।
कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने ट्विटर के जरिये यह घोषणा की कि इस सिलसिले में चुनाव आयोग के परामर्श से चार अधिसूचनाएं जारी की गई हैं।
सरकार ने साथ ही कहा कि आधार का ब्योरा साझा करना स्वैच्छिक होगा।
चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों को उन लोगों का आधार नंबर मांगने की अनुमति देता है जो पहचान सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मतदाता के तौर पर पंजीकरण कराना चाहते हैं।
यह इसकी भी अनुमति देता है कि मतदाता पंजीकरण अधिकारी मतदाता सूची में पहले से शामिल व्यक्तियों से आधार नंबर मतदाता सूची में प्रविष्टि के सत्यापन, और एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में या उसी निर्वाचन क्षेत्र में एक से अधिक जगह एक ही व्यक्ति के नाम के पंजीकरण का पता लगाने इस उद्देश्य को लेकर मांग सकते हैं।
साथ ही, संसद द्वारा पारित विधेयक में यह स्पष्ट कर दिया गया था कि आधार नंबर उपलब्ध कराने में किसी व्यक्ति के अक्षम रहने पर मतदाता सूची में उसका नाम शामिल करने से इनकार नहीं किया जाएगा और मतदाता सूची से कोई प्रविष्टि नहीं हटायी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि 14 मई को ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा था कि आधार का ब्योरा साझा करना मतदाताओं के लिए स्वैच्छिक होगा, लेकिन ऐसा नहीं करने वालों को ‘‘पर्याप्त कारण’’ बताना होगा।
केंद्रीय मंत्री ने यह बताने के लिए एक चार्ट साझा किया कि अधिसूचनाएं मतदाता सूची के डेटा को आधार से जोड़े जाने में सक्षम बनाएंगी ताकि एक ही व्यक्ति के कई स्थानों पर मतदाता सूची में नाम होने की समस्या दूर की जा सके।
उन्होंने यह भी कहा कि अब किसी भी वर्ष एक जनवरी या एक अप्रैल या एक जुलाई या एक अक्टूबर को 18 साल की आयु पूरी करने वाला नागरिक फौरन मतदाता के तौर पर पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘ये चार तारीखें मतदाता सूची में मतदाताओं की संख्या बढ़ाएंगी।’’
अभी, एक जनवरी को 18 साल की आयु पूरी करने पर ही कोई नागरिक मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन कर सकता है। एक जनवरी के बाद 18 वर्ष की आयु पूरी करने वालों को पूरे एक साल इंतजार करना पड़ता है।
चुनाव संबंधी कानून को लैंगिक रूप से ‘न्यूट्रल’ बनाये जाने पर उन्होंने कहा कि ‘पत्नी’ शब्द को हटा कर ‘जीवनसाथी’ शब्द शामिल किया जाएगा, जो ‘सर्विस वोटर’ मतदाता की पत्नी या पति को मतदान के लिए उपलब्ध सुविधा प्राप्त करने की अनुमति देगा।
चुनाव कानून के प्रावधानों के मुताबिक, थल सेना कर्मी की पत्नी सर्विस वोटर माने जाने की हकदार हैं लेकिन एक महिला सैन्य कर्मी के पति सर्विस वोटर नहीं माने जा सकते। लेकिन अब यह बदल जाएगा।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग अब चुनाव संबंधी सामग्री रखने और सुरक्षा बलों तथा मतदान कर्मियों को ठहराने के लिए किसी भी परिसर की मांग कर सकता है।
भाषा सुभाष प्रशांत
प्रशांत
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
