नयी दिल्ली, 16 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से आतंकवादी गतिविधियों के आरोपी कुछ लोगों की कथित तौर पर मदद करने के आरोप में गिरफ्तार एक व्यक्ति की याचिका पर जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने एजेंसी को नोटिस जारी कर, सात साल से जेल में बंद अल्लारक्खा अबू बकर मनूरी की उस याचिका पर जवाब मांगा जिसमें उसने लंबी कैद के आधार पर जमानत मांगी थी।
बंबई उच्च न्यायालय ने 28 मार्च को मनूरी को जमानत देने से इनकार कर दिया था। अदालत ने इस बात का संज्ञान लिया था कि उस पर गंभीर अपराध के आरोप हैं।
अभियोजन पक्ष ने उच्च न्यायालय को बताया था कि मनूरी कथित तौर पर कुछ ऐसे लोगों को वाहन उपलब्ध कराने की योजना बना रहा था जिन्हें बम विस्फोटों सहित आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान में प्रशिक्षित किया गया था। उसने कथित तौर पर कुछ अन्य आरोपियों को हथियार भी उपलब्ध कराए थे।
उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि अगर मनूरी दोषी पाया जाता है, तो उसे अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि मामला काफी गंभीर है और आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।
न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘आरोप ऐसे कृत्यों से संबंधित हैं जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। अपराध की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।’’
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मुकदमा काफी आगे बढ़ चुका है और अभियोजन पक्ष इसे साल के अंत तक पूरा करना चाहता है।
भाषा वैभव मनीषा
मनीषा
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