नयी दिल्ली, पांच मई (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को निचली अदालत द्वारा दी गई जमानत को इस समय रद्द करने का अनुरोध नहीं कर रहा है।
ईडी के वकील ने न्यायमूर्ति रवीन्द्र डुडेजा से कहा कि चूंकि पूर्व मुख्यमंत्री कुछ कानूनी प्रश्नों को बड़ी पीठ को भेजे जाने के बाद उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई अंतरिम जमानत पर हैं, इसलिए जमानत के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली एजेंसी की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी जानी चाहिए।
न्यायमूर्ति डुडेजा ने कहा कि पक्षों के अधिकारों और तर्कों की रक्षा करते हुए मामले को बंद किया जा सकता है। उन्होंने ईडी के वकील से 30 जुलाई को अगली सुनवाई से पहले निर्देश लेने को कहा।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने ईडी की याचिका पर सुनवाई के लिए दबाव डाला और तर्क दिया कि निचली अदालत का आदेश ‘‘विकृत’’ है और शीर्ष अदालत की बड़ी पीठ, जिसे अभी अधिसूचित किया जाना है, केजरीवाल को दी गई अंतरिम जमानत को भी वापस ले सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस मामले में सुनवाई के लिए दबाव डाल रहा हूं। आदेश को रद्द किया जाना आवश्यक है… मैं इसका विरोध नहीं कर रहा हूं या यह नहीं कह रहा हूं कि उनकी जमानत रद्द कर दी जाए। मैं कह रहा हूं कि निचली अदालत का आदेश गलत है। हमें अवसर नहीं दिया गया।’’
दूसरी ओर, यह तर्क देते हुए कि मामले में कुछ भी नहीं बचा है, केजरीवाल के वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा दी गई अंतरिम जमानत नियमित जमानत के समान ही अच्छी है और इस कार्यवाही में किसी भी कवायद पर न्यायिक समय बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए।
केजरीवाल के वकील ने कहा कि मामले में अन्य सभी आरोपियों को पहले ही जमानत दे दी गई है और निचली अदालत के फैसले में हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है।
भाषा नेत्रपाल माधव
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