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Thursday, 21 November, 2024
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सिर्फ चेन्नई की झीलें ही नहीं, भारत के अन्य राज्यों की झीलें भी सूखे के चपेट में

भोपाल से लेकर बेंगलुरु और चेन्नई से लेकर जलाभाव से निरंतर जूझते मराठवाड़ा तक, वर्षा आश्रित झीलें तेज़ी से सूख रही हैं.

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नई दिल्ली: पिछली सदी के दौरान भारत सूखे के अनेक संकटों और उनके कारण आई सामाजिक-आर्थिक मुश्किलों का गवाह रहा है. देश के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में कुछेक कठिनाइयों को कम करना संभव हो सका था, पर पिछले कुछ वर्षों में भारत के एक बड़े भूभाग को पानी, खास कर पेयजल की किल्लत से जूझना पड़ रहा है. इसका सबसे बड़ा और ताज़ा उदाहरण दक्षिण भारत का महानगर चेन्नई है, जो महीनों से पानी के संकट से जूझ रहा है.

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार इस साल मई और जून में गर्म हवाओं से लू जैसी स्थिति बनने के कारण, जब 10 जून पूरे भारत में सर्वाधिक गर्म दिन रहा, सूखे की स्थिति और खराब हो गई. मानसून के आगमन में इस साल हुई देरी ने स्थिति को बद से बदतर करने का काम किया है. इसलिए, निकट भविष्य में राहत मिलने की उम्मीद भी नहीं है.

दिप्रिंट ने मुसीबत में घिरे उन चार प्रमुख शहरों का अवलोकन किया है, जहां बारिश पर आश्रित जलस्रोत सूख गए हैं.

चेन्नई

तमिलनाडु की राजधानी और देश के छठे सबसे बड़े शहर चेन्नई में 2020 तक पर्याप्त जल उपलब्ध नहीं रह जाने की आशंका है. नीति आयोग के एक अध्ययन में इस बात की पुष्टि की गई है कि चेन्नई को गहरे जल संकट का सामना है.

ठीक एक वर्ष के अंतराल पर 15 जून 2018 और 15 जून 2019 उपग्रह से ली गई तस्वीरें संकटपूर्ण स्थिति की पुष्टि करती हैं. चेन्नई को पेयजल आपूर्ति करने वाले प्रमुख स्रोतों में से एक, वर्षा आश्रित पुझल झील में जल के स्तर में भारी अंतर देखा जा सकता है.

पुजहल झील चेन्नई/ फोटो साभार : कर्नल विनायक भट्ट

इसे रेड हिल्स लेक के नाम से जाना जाता है. ये झील चेन्नई के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में करीब 1,800 एकड़ क्षेत्र में फैली है. औसत 20 मीटर के जलस्तर के साथ झील में लगभग 360 अरब लीटर जल संग्रहित रह सकता है. पर इस साल, इसके 360 हेक्टेयर इलाके में ही पानी है और वो भी बहुत कम गहरा.


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भोपाल

मध्य भारत का शहर भोपाल तेज़ गर्मी वाले इलाकों में आता है और यहां का जलस्तर संभवत: अनुचित जल-प्रबंधन के कारण असामान्य तेज़ी से नीचे गिरा है.

भोजताल, जो पहले अपर लेक कहलाता था. शहर में जलापूर्ति का एक प्रमुख स्रोत है. यह जलस्रोत 2,400 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है. जो कि औसत 15 मीटर के जलस्तर पर 360 अरब लीटर से अधिक पानी संग्रहित रख सकता है.

भोजतल झील /फोटो साभार : कर्नल विनायक भट्ट

मई 2017 और जून 2019 के उपग्रह चित्रों में भोजताल के जलस्तर में भारी अंतर दिखता है. इस समय, यहां बमुश्किल 700 हेक्टेयर में पानी है.

लातूर

लातूर महाराष्ट्र के मराठवाड़ा इलाके में पड़ता है. जो कि हर साल भारत के सर्वाधिक जलाभाव वाले इलाकों में शामिल रहता है.

इसके बावजदू, वर्षा आश्रित कवा झील के जून 2018 और जून 2019 के उपग्रह चित्रों को देखने इस बात का अंदाजा लग जाता है कि गलत जल-प्रबंधन और संरक्षण ने स्थिति को कितना अधिक बिगड़ने दिया.

लातूर झील /फोटो साभार : कर्नल विनायक भट्ट

80 हेक्टेयर में फैली झील पूरी तरह सूख चुकी है और इलाके के लोगों की प्यास बुझाने का एकमात्र तरीका है. उन तक रेल से पानी पहुंचाना.


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बेंगलुरु

इस रिपोर्ट में शामिल अन्य झीलों के विपरीत, बेंगलुरु की सबसे बड़ी बेलंदूर झील, शहर की जल निकासी प्रणाली का हिस्सा है. पर साथ ही, यह बाकी झीलों के मुकाबले अधिक बदनाम भी है. उल्लेखनीय है कि 2015 और 2018 में इसमें आग लगी थी.

बेलंदूर झील /फोटो साभार : कर्नल विनायक भट्ट

उपग्रह से लिए गए 2001 और उसके आगे के चित्रों से स्पष्ट है कि अतिक्रमण के कारण साल-दर-साल बेलंदूर झील का आकार घटता गया है. कभी 1,000 हेक्टेयर में फैली ये झील अब मात्र 40 हेक्टेयर में सिमट कर रह गई है.

(इस खबर को अंग्रेजी को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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