(जीवन प्रकाश शर्मा)
नयी दिल्ली, 14 जून (भाषा) पटरी में खामी का समय से पता न लग पाने के कारण 11 अक्टूबर 2023 को पूर्व मध्य रेलवे के दानापुर मंडल के अंतर्गत आने वाले रघुनाथपुर स्टेशन के पास नॉर्थ-ईस्ट एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी। अंतिम जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
बिहार के बक्सर जिले में हुए हादसे में कम से कम चार लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। यह रिपोर्ट तत्कालीन रेलवे सुरक्षा आयुक्त (पूर्वी सर्किल) सुवोमॉय मित्रा द्वारा प्रस्तुत की गई थी।
रेलवे बोर्ड को हाल में सौंपी की गई रिपोर्ट में, ‘‘रेलवे (पटरी) के निर्माण में शामिल विभिन्न प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने के लिए कड़ी निगरानी करने और रेल पटरियों की स्थिति की वास्तविक समय निगरानी की संभावनाओं पर विचार करने’’ की सिफारिश की गई है।
अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में रेलवे ने कहा है कि इस्पात निर्माण और रेल रोलिंग की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए रेलवे एवं स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल)/भिलाई के रेल विनिर्माण संयंत्र द्वारा निरंतर सुधार और उन्नयन किया जा रहा है।
इसमें रेल के रासायनिक और धातुकर्म गुणों में सुधार के लिए उठाए गए कई कदमों का भी उल्लेख किया गया है। कार्रवाई रिपोर्ट में पटरी की स्थिति की उचित निगरानी के संबंध में कहा गया कि पटरी प्रबंधन प्रणाली (टीएमएस) में विभिन्न मॉड्यूल क्रियान्वित किए जा रहे हैं।
रेलवे ने कहा, ‘‘इसमें रेल और वेल्ड के यूएसएफडी (अल्ट्रासोनिक फ्लॉ डिटेक्शन) परीक्षण की निगरानी शामिल है। यूएसएफडी ऑपरेटर नियमित रूप से टीएमएस पर दैनिक यूएसएफडी परीक्षण के दौरान रेल और वेल्ड के यूएसएफडी परीक्षण डेटा को फीड करते हैं।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘आवश्यक रखरखाव के लिए इन यूएसएफडी परीक्षण आंकड़ों की सभी संबंधित स्तरों पर नियमित रूप से निगरानी की जाती है।’’
पटरियों की स्थिति की वास्तविक समय पर निगरानी के लिए रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की चिंता का समाधान करते हुए रेलवे ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रीय रेलवे में टूटी हुई पटरियों का पता लगाने वाली प्रणालियों के लिए तीन प्रौद्योगिकियों का परीक्षण चल रहा है।
कार्रवाई रिपोर्ट के मुताबिक, ये हैं कंटीन्यूअस ब्रोकन रेल डिटेक्शन सिस्टम (एनजीआरटी), जिसका पूर्वोत्तर रेलवे में परीक्षण चल रहा है, एकॉस्टिक डोमेन टेक्नोलॉजी रेल एकॉस्टिक, जिसका उत्तर मध्य रेलवे में परीक्षण चल रहा है तथा वाइब्रेशन ऊर्जा आधारित ब्रोकन रेल डिटेक्शन सिस्टम, जिसका उत्तर मध्य रेलवे में परीक्षण चल रहा है।
सीआरएस ने यह भी सिफारिश की है कि पटरी में दबाव की वजह से उत्पन्न दरारों की पहचान के लिए रेलवे के पास उचित तंत्र उपलब्ध होना चाहिए।
रेलवे ने कहा है कि उसने ‘फेज्ड ऐरे अल्ट्रासोनिक सिंगल रेल टेस्टर’ (पीएयूटी एसआरटी) नामक एक नयी तकनीक विकसित की है और जोनल रेलवे/सार्वजनिक उपक्रम को रेल परीक्षण के लिए इस नयी पद्धति को अपनाने की सलाह दी गई है।
इंजन और कोच की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए सीआरएस ने कहा कि सभी चलती रेलगाड़ियों के इंजन और डिब्बों की बारीकी से जांच की जानी चाहिए तथा दोषपूर्ण रैक को परिचालन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, विशेषकर उच्च गति वाली मेल एक्सप्रेस रेलगाड़ियों के मामले में।
सीआरएस ने कहा, ‘‘डिब्बों और इंजन के रखरखाव के रिकॉर्ड को कम्प्यूटरीकृत किया जा सकता है, जैसा कि पटरी निगरानी प्रणाली (टीएमएस) के लिए किया गया है, ताकि विश्लेषण और जांच के लिए आंकड़े आसानी से उपलब्ध हो सकें।’’
इसके जवाब में रेलवे ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में कहा कि उसके पास सभी डिब्बों की नियमित जांच करने के लिए पहले से ही एक निर्धारित प्रक्रिया है।
सीआरएस ने रेलवे को यह भी सलाह दी कि वह इंजन में ‘कैब वॉयस रिकॉर्डर’ लगाने पर विचार करे ताकि किसी दुर्घटना के दौरान या उससे ठीक पहले चालक दल के सदस्यों के बीच होने वाली बातचीत को रिकॉर्ड किया जा सके।
रेल मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा, ‘‘क्रू वॉयस और वीडियो रिकॉर्डिंग सिस्टम (सीवीवीआरएस) 479 इंजन में स्थापित किया गया है और सभी इंजन में सीआरआईएस द्वारा इसका कार्यान्वयन किया जा रहा है।’’
सीआरएस ने दुर्घटना स्थल की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के लिए औपचारिक प्रशिक्षण या दिशा-निर्देशों की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें इंजन, डिब्बे और पटरी की ड्रोन कैमरे से फोटोग्राफी भी शामिल है।
भाषा धीरज नेत्रपाल
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