नई दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को निर्देश दिया कि राष्ट्रीय राजधानी के प्रत्येक निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूल को ईडब्ल्यूएस या वंचित समूह (डीजी) श्रेणी के तहत छात्रों की प्रवेश प्रक्रिया की देखरेख के लिए एक विशेष नोडल अधिकारी नियुक्त करना चाहिए।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के छात्रों के कई अभिभावकों के सामने आने वाली भाषा संबंधी बाधाओं को मानते हुए अदालत ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि ईडब्ल्यूएस और डीजी श्रेणी के तहत प्रवेश से संबंधित परिपत्र, नोटिस और निर्देश अंग्रेजी और हिंदी दोनों में उपलब्ध कराए जाएं।
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने सभी हितधारकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि स्कूलों में ईडब्ल्यूएस और गैर-ईडब्ल्यूएस छात्रों का निर्बाध तरीके से मेलजोल हो, जो कि शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम की मूल भावना के अनुरूप है।
ईडब्ल्यूएस श्रेणी के छात्रों का सम्मानजनक और सुलभ प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए, उच्च न्यायालय ने कई निर्देश पारित किए, जिनमें यह भी शामिल है कि दिल्ली के सभी निजी गैर-सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त स्कूलों को कम्प्यूटरीकृत लॉटरी के माध्यम से शिक्षा निदेशालय (डीओई) द्वारा छात्रों के आवंटन के बाद एक स्पष्ट प्रवेश कार्यक्रम तैयार करना चाहिए।
अदालत ने कहा, ‘ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के छात्रों की प्रवेश प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए स्कूलों को एक कार्यक्रम बनाना होगा, जिसमें प्रत्येक छात्र को प्रवेश के लिए रिपोर्ट करने की तिथि और समय निर्दिष्ट करना होगा तथा उपरोक्त सात दिवसीय अवधि के भीतर निर्धारित अवधि में छात्रों की कुल संख्या को समान रूप से वितरित करना होगा।’
अदालत ने 10 याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया, जिन्हें ईडब्ल्यूएस/डीजी श्रेणी के तहत प्रवेश पाने में तकनीकी मुद्दों के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था, जो कि आरटीई अधिनियम के तहत उनका अधिकार है।
भाषा योगेश वैभव
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