नयी दिल्ली, दो मार्च (भाषा) वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं ने अमेरिकी मौसम एजेंसी ‘नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन’ (एनओएए) में छंटनी को लेकर चिंता व्यक्त की है और उनका कहना है कि विश्लेषणात्मक आंकड़ों की कमी भारत में मानसून के पूर्वानुमान और चक्रवात की निगरानी को प्रभावित कर सकती है।
सैकड़ों मौसम वैज्ञानी और एनओएए के अन्य कर्मचारियों को पिछले सप्ताह निकाल दिया गया। ये मौसम विज्ञानी राष्ट्रीय मौसम सेवा कार्यालयों में मौसम के पूर्वानुमान को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने ‘पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हम चिंतित हैं। अगर एनओएए विश्लेषण कम कर देता है तो मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी पर असर पड़ेगा। जब महासागर की निगरानी कम हो जाते हैं तो आत्मसात करने के लिए विश्लेषणात्मक आंकड़ा भी कम हो जाता है। इसलिए पूर्वानुमान प्रभावित हो जाएगा।’’
भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान के जलवायु वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल ने एनओएए की छंटनी को वैश्विक संकट बताया जो मौसम विज्ञान को प्रभावित कर सकता है।
एनओएए दुनियाभर में मौसम-जलवायु निगरानी, पूर्वानुमान और आपदा तैयारियों के लिए मदद करने वाला आंकड़ा और मॉडल प्रदान करता है।
जलवायु परिवर्तन को अंतर-सरकारी समिति की रिपोर्ट के लेखकों में से एक कोल ने कहा, ‘‘भारत के लिए मानसून पूर्वानुमान, चक्रवात निगरानी और मौसम अनुमान एनओएए के मॉडल पर निर्भर करते हैं।’’
उन्होंने कहा कि एनओएए की छंटनी केवल अमेरिका का मुद्दा नहीं है, बल्कि दुनियाभर में मौसम विज्ञान के लिए एक झटका है।
भाषा
खारी रंजन
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