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Tuesday, 5 November, 2024
होमदेशअलग मटका नहीं, कान में पहले से संक्रमण': सवाल जो जालोर टीचर पर दलित परिवार के आरोपों से मेल नहीं खाते

अलग मटका नहीं, कान में पहले से संक्रमण’: सवाल जो जालोर टीचर पर दलित परिवार के आरोपों से मेल नहीं खाते

जालौर जिले के 9 साल के दलित लड़के इंदर मेघवाल की 13 अगस्त को मौत हो गई थी. स्कूल के प्रिंसिपल ने कथित तौर पर हफ्तों पहले उनके बर्तन से पानी पीने के लिए उसे पीटा था.

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जालोर: राजस्थान के जालोर जिले के नौ साल के दलित लड़के की ‘उच्च जाति’ के स्कूल प्रिंसिपल की कथित तौर पर उनके मटके से पानी पीने के लिए पीटने के बाद मौत हो गई. इसके कुछ समय बाद ही इन आरोपों पर कि जातिगत भेदभाव की वजह से ये दुखद घटना घटी है, सवाल उठाए जा रहे हैं और इन्हें लेकर संदेह व्यक्त किया जा रहा है.

यह घटना कथित तौर पर 20 जुलाई को सुराणा गांव के एक निजी स्कूल सरस्वती विद्या मंदिर में हुई थी. छात्र इंदर मेघवाल की 13 अगस्त को, जब वो अहमदाबाद के एक अस्पताल में आईसीयू में था, मौत हो गई. इसके बाद प्रधानाध्यापक चैल सिंह को हत्या के आरोप के साथ-साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण), 1989 की धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस की जांच जारी है.

बच्चे के परिवार ने पुलिस पर मामले को छिपाने का प्रयास करने का आरोप लगाया है. लेकिन जैसा कि दिप्रिंट ने पहले भी रिपोर्ट की थी कि जाति के एंगल और इस दावे पर संदेह जताया जा रहा है कि चैल सिंह ने अपने लिए पानी पीने का एक अलग बर्तन रखा हुआ था.

Mother Pavni Devi and family members mourning 9-year-old's death | Praveen Jain | ThePrint
9 साल के बच्चे की मौत पर मां पावनी देवी और परिवार के लोग रोते हुए | प्रवीण स्वामी | दिप्रिंट टीम

इंदर की क्लास में पढ़ने वाले राजेश कुमार के मुताबिक, हम दोनों आपस में एक कॉमिक ‘चित्रकथा’ को लेकर झगड़ रहे थे. चैल सिंह ने उन्हें इसके लिए डांटा और बेकाबू होते देख उन दोनों को थप्पड़ मार दिया.

उसने दिप्रिंट को बताया, ‘उन्होंने हम दोनों को एक टपली (हल्का थप्पड़) लगाई और चित्रकथा को फाड़ दिया’

राजेश ने कहा कि इंदर उस दिन स्कूल के बाद घर चला गया था और फिर वह तब से स्कूल नहीं आया.


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पीने के लिए कोई अलग बर्तन नहीं

स्कूल परिसर में इकट्ठा हुए कई बच्चों ने यह भी कहा कि सभी- अलग-अलग जाति के होने के बावजूद शिक्षक और छात्र- एक ही पानी की टंकी से पानी पीते हैं.

स्कूल में पांच दलित शिक्षक हैं. जब दिप्रिंट सुराणा पहुंचा तो इन सभी को पूछताछ के लिए ले जाया गया था. शिक्षकों में से एक अशोक कुमार झिंगर ने दिप्रिंट से फोन पर बात की.

उन्होंने बताया, ‘मुझे नहीं पता कि चैल सिंह ने बच्चे को क्यों मारा. लेकिन मैं जानता हूं कि उन्होंने कभी भी पीने के पानी के लिए स्कूल में अलग से मटका (मिट्टी का घड़ा) नहीं रखा है. हम सभी एक ही पानी की टंकी से पानी पीते हैं.’

इधर मेघवाल परिवार के आरोपों का खंडन करने के लिए गांव के कई जातियों के लोग एक साथ आए हैं.

सुखराज झिंगर पिछले छह सालों से पास में एक निजी स्कूल भी चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि चैल सिंह का 18 साल यहां स्कूल है. लेकिन अभी तक ऐसी कोई घटना नहीं हुई.

उन्होंने बताया, ‘मैं चैल सिंह को अच्छी तरह जानता हूं. हमारे स्कूल एक दूसरे के ठीक बगल में हैं, इसलिए वह हमसे मिलने आते रहते हैं. हम भाइयों की तरह रहते हैं’ झिंगर खुद एक दलित समुदाय से हैं. उन्होंने कहा, ‘सिंह उनके साथ खाते-पीते हैं और वह उसी टैंक से पानी पीते हैं.’

कृपाचारी पब्लिक स्कूल नाम से एक निजी स्कूल चलाने वाले महेंद्र कुमार झिंगर ने यह भी कहा कि वह चैल सिंह को कई सालों से जानते हैं और जातिगत भेदभाव की घटना कभी नहीं हुई.

उन्होंने कहा, इंदर तीन साल से स्कूल में पढ़ रहा था. पहले तो कभी उसके साथ ऐसा नहीं हुआ था.

दिप्रिंट से पहले की गई बातचीत में जालोर जिले में निजी स्कूल मालिकों के एक संघ के सदस्यों ने दावा किया था कि यह संभव है कि चैल सिंह ने बच्चे को मारा हो. लेकिन जातिगत एंगल गढ़ा गया था.

Caste no bar as children play in compound of Saraswati Vidya Mandir in Surana village | Praveen Jain | ThePrint
सुरांणा गांव के सरस्वती विद्या मंदिर के कंपाउंड में खेलते हुए बच्चे | प्रवीण जैन | दिप्रिंट

एसोसिएशन के सदस्य सुखराम खोखर ने कहा, ‘अगर कोई निजी स्कूल जाति के आधार पर भेदभाव करता है, तो वे स्कूल नहीं चला पाएंगे.’

दिप्रिंट ने सुराणा गांव में चैल सिंह के चचेरे भाई मंगल सिंह से भी मुलाकात की. उन्होंने कहा कि चैल सिंह परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य है.

मंगल सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘उनकी पत्नी बिजली के झटके से हुई दुर्घटना के कारण अस्पताल में भर्ती है. उनके पिता का मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं है. उनका इलाज चल रहा है और उनकी मां कैंसर की मरीज हैं. वह रोजाना बस से लगभग 50 किमी का सफर तय करते थे.’

उन्होंने आगे कहा, ‘वह यहां 18 साल से काम कर रहे हैं. उन्होंने कभी भी जाति के आधार पर भेदभाव नहीं किया.’


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कान के एक पुराने संक्रमण का होना

इस बीच कई सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि इंदर लंबे समय से लगातार कान के संक्रमण से पीड़ित था.

बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के ‘पारंपरिक चिकित्सा’ से इलाज करने वाली स्थानीय डाक्टर देवी कुमारी ने दिप्रिंट को बताया कि माता-पिता डेढ़ महीने पहले – रिपोर्ट की गई घटना से बहुत पहले – कान में दर्द के लिए बच्चे को उसके पास लाए थे. लेकिन कुमारी को बच्चे का इलाज कर पाना मुश्किल लगा तो उन्होंने उसके माता-पिता को उसे अस्पताल ले जाने की सलाह दी.

घटना के बाद बच्चे को इलाज के लिए कई अस्पतालों में ले जाया गया. उनका इलाज करने वाले डॉक्टरों में से एक ने कहा कि कान के संक्रमण के लिए इंदर के इलाज से जुड़ा मेडिकल रिकॉर्ड 2017 का है.

डॉक्टर ने समझाया कि आमतौर पर सिर पर घातक चोट लगने और परिणामस्वरूप आंतरिक रक्तस्राव होने के कारण मौत हो सकती है. ऐसे मामलों में एक बच्चे के जीवित रहने की संभावना नहीं होती, जैसा कि इंदर के साथ हुआ.

डॉक्टर ने कहा, ‘ डायग्नोज में सेप्टीसीमिया निकला था. उनकी श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या बहुत ज्यादा थी.’

सेप्टिसीमिया या सेप्सिस, बैक्टीरिया के कारण होने वाले ब्लड पॉइजनिंग का क्लीनिकल नाम है. यह संक्रमण की शरीर पर सबसे चरम प्रतिक्रिया है.

सिविल अस्पताल, अहमदाबाद में उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, वह क्रॉनिक सपुरेटिव ओटिटिस मीडिया (CSOM) से पीड़ित था. COSM बचपन में होने वाली एक सामान्य संक्रामक बीमारी है और सही समय पर सही इलाज न होने पर सुनने की क्षमता पर असर डाल सकती है या बहरा कर सकती है. इंदर अपने आखिरी पलों में उसी अस्पताल में भर्ती था.

इसमें कान बहता रहता है. स्थानीय लोगों ने पहले दिप्रिंट को बताया था कि बच्चा अपने दाहिने कान में रुई का फाहा लगाकर स्कूल जाता था.

सूत्र ने कहा, इसके अलावा जब इंदर को अस्पताल लाया गया, तो शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं थे जिससे यह साबित हो सके कि उसे पीटा गया था.

बच्चे की दाहिनी आंख में दिखाई देने वाली सूजन भी एक प्रकार की बीमारी थी, जिसे रेट्रोबुलबार ब्लॉक के रूप में जाना जाता है, या फिर कहें कि एक फोड़ा होने की वजह से आंख के पिछले हिस्से में एक आंतरिक रुकावट है. फोड़ा यानी एक दर्दनाक, सूजी हुई गांठ जो मवाद से भर जाती है.

Father Deva Ram (wearing scarf) in conversation with police at his home in Surana village | Praveen Jain | ThePrint
अपने घर पर पुलिस से बात करते हुए इंदर के पिता देवराम मेघवाल (स्कार्फ पहने हुए) | प्रवीण जैन | दिप्रिंट टीम

दिप्रिंट ने 31 जुलाई से 5 अगस्त के बीच कई अस्पतालों और इमेजिंग केंद्रों से इंदर की एमआरआई रिपोर्ट हासिल की, जहां इंदर को ले जाया गया था.

इनमें मेहसाणा में सर्वोदय इमेजिंग सेंटर, दीसा में श्रीजी इमेजिंग सेंटर- दोनों गुजरात में- और राजस्थान के उदयपुर में गीतांजलि मेडिकल कॉलेज और अस्पताल शामिल हैं.

किसी भी रिपोर्ट में ब्रेन हैमरेज नहीं पाया गया है. इसके बजाय उन्होंने अपनी रिपोर्ट में ‘ एक्यूट इनफार्कटस’ का उल्लेख किया है. यह समस्या आमतौर पर थ्रोम्बोम्बोलिज़्म की वजह या ब्लड वेसल में रुकावट के कारण होती है.

क्या बाहरी आघात – जैसे कि परिवार द्वारा रिपोर्ट किया गया एक थप्पड़ – एक CSOM स्थिति को बढ़ा सकता है और मृत्यु का कारण बन सकता है? मामले को देखने वाले डॉक्टरों के अनुसार, संभावना है कि ये एक संयोग हो और वैसे भी बच्चे की हालत सालों से इलाज न कराने की वजह से बिगड़ती जा रही थी.


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स्थानीय जाति की राजनीति

अलग-अलग जातियों से संबंध रखने वाले ग्रामीण इस मुद्दे पर इकट्ठा हुए और आरोप लगाया कि भीम सेना, एक अम्बेडकरवादी संगठन, पिछले पांच महीनों से उनके गांव में तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहा है.

13 अगस्त को कथित तौर पर पीड़िता के पिता देवरम मेघवाल और भीम सेना के एक नेता के बीच हुई बातचीत की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग में त्रासदी को एक राजनीतिक मोड़ देने का उल्लेख है. दिप्रिंट ने रिकॉर्डिंग को एक्सेस कर लिया है लेकिन इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं कर सका है. क्लिप के व्हाट्सएप ग्रुप पर फैलने के कुछ ही समय बाद, क्षेत्र में इंटरनेट सेवाओं को कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया था.

Crowds from surrounding villages try to listen in as boy's family argues with police officials | Praveen Jain | ThePrint
अगल-बगल के गांवों से जमा भीड़ जो पुलिस अधिकारियों से बहस करते परिवार वालों को सुनने की कोशिश कर रही है | प्रवीण जैन | दिप्रिंट टीम

14 अगस्त को जब इंदर का पार्थिव शरीर अहमदाबाद से उनके घर लाया गया तो आसपास के गांवों से कार्यकर्ताओं की भीड़ जमा हो गई. दिप्रिंट मौके पर था और मेघवाल के घर पर आस-पास के गांवों से भीम सेना के बैनरों के साथ लोगों का वहां जमावड़ा देखा था.

दोपहर तक घर में इंदर की लाश पड़ी रही. बच्चे के पिता और उसके मामा किशोर कुमार मेघवाल के नेतृत्व में भीड़ जालौर की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनुकृति उज्जैनिया सहित मौजूद पुलिसकर्मियों से 50 लाख रुपये मुआवजे और परिवार के एक सदस्य के लिए सरकारी नौकरी के लिए मोलभाव करने में लगी थी. उन्होंने अपनी मांग पूरी नहीं होने तक बच्चे का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया.

जब दिप्रिंट ने इंदर के चाचा खेमाराम से नारे लगाने, भाषण देने और इस तरह की मांग करने वाले लोगों की पहचान करने के लिए कहा, तो वह उन्हें पहचानने में असमर्थ थे. उन्होंने कहा कि वे सभी अपने दम पर अलग-अलग मांग कर रहे थे.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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