शिमला: यह रील्स, वीडियो और सोशल मीडिया स्टोरीज़ का दौर हो सकता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश पुलिस को कम से कम वर्दी में रहते हुए ऐसा कंटेंट बनाने से दूर रहने के लिए कहा गया है.
हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अतुल वर्मा ने सोमवार को एक सर्कुलर जारी कर कहा कि कुछ पुलिसकर्मी वर्दी में बनाए गए कंटेंट को सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं, जबकि पुलिस के काम से इसका कोई लेना-देना नहीं है.
सर्कुलर में लिखा है, “यह आचरण पुलिस विभाग के नियमों और मानदंडों के विरुद्ध है और पुलिस के काम से असंबद्ध सामग्री विभाग की प्रतिष्ठा को प्रभावित कर सकती है.”
सर्कुलर जिला पुलिस अधीक्षकों, कमांडेंटों, यूनिट प्रभारियों और पर्यवेक्षी अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश देता है कि उनके कर्मी वर्दी में रहते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पुलिस कर्तव्यों से संबंधित तस्वीरें, वीडियो, रील या स्टोरीज़ अपलोड करने से सख्ती से बचें.
दिप्रिंट से बात करते हुए डीजीपी वर्मा ने स्पष्ट किया कि उन्हें व्यक्तिगत अभिव्यक्ति के खिलाफ कोई परेशानी नहीं है, लेकिन पुलिस कर्मियों को अपनी ऑफ-ड्यूटी गतिविधियों और पेशेवर व्यक्तित्व के बीच अंतर तय करना चाहिए.
उन्होंने कहा, “पुलिस की वर्दी जनता के प्रति प्रतिबद्धता, समर्पण और जवाबदेही का प्रतीक है. किसी भी प्रकार का टैलेंट रखने वाला कोई भी व्यक्ति ड्यूटी की टाइमिंग के बाद इसे अपना सकता है. मैं उन्हें हतोत्साहित नहीं कर रहा हूं, लेकिन मैं पुलिस की वर्दी, ड्यूटी या विभाग से संबंधित किसी भी चीज़ का उपयोग करने के खिलाफ हूं.”
27 मई का सर्कुलर सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक गोस्वामी द्वारा कुछ पुलिस कर्मियों के ऑनलाइन आचरण के बारे में डीजीपी को लिखे जाने के एक हफ्ते बाद आया है.
गोस्वामी ने दिप्रिंट को बताया, “कुछ पुलिसकर्मी वर्दी में मॉडलिंग कर रहे हैं और व्यक्तिगत लाभ के लिए सोशल मीडिया पर अपने आधिकारिक वाहनों और कार्यालय का दिखावा कर रहे हैं. मैंने इस संबंध में मुख्य सचिव, गृह सचिव और डीजीपी को लिखा है.”
सर्कुलर ‘सोशल मीडिया पॉलिसी’ की ओर एक कदम
सर्कुलर में पर्यवेक्षकों को पुलिस को संवेदनशील बनाने का निर्देश दिया गया है ताकि वे अपने निजी सोशल मीडिया अकाउंट पर पुलिस के काम या आधिकारिक कर्तव्यों के बारे में जानकारी साझा करना बंद कर दें.
इसमें केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 के नियम 11 का भी हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि “एक सरकारी कर्मचारी अन्य सरकारी कर्मचारियों, गैर-आधिकारिक व्यक्तियों, या प्रेस को किसी भी दस्तावेज़ या जानकारी को सीधे शेयर नहीं कर सकता है जो उसके सार्वजनिक कर्तव्यों के दौरान उसके पास आया हो”.
इसमें कहा गया है कि केवल अधिकृत कर्मी ही आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल्स के जरिए से पुलिस से संबंधित जानकारी साझा कर सकते हैं.
इस बीच, दिप्रिंट को पता चला है कि हिमाचल प्रदेश पुलिस भी अपने अधिकारियों के लिए एक व्यापक सोशल मीडिया पॉलिसी तैयार कर रही है.
मामले से जुड़े पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने पहले ही एक सोशल मीडिया पॉलिसी स्थापित कर दी है, लेकिन हिमाचल पुलिस विभाग अब कर्मियों के पालन के लिए विशिष्ट दिशानिर्देश स्थापित कर रहा है.
उन्होंने कहा, “हम पुलिस के लिए एक सोशल मीडिया पॉलिसी पर काम कर रहे हैं. अब तक, डीजीपी ने कुछ मुद्दों के लिए सर्कुलर जारी किया है.”
अधिकारी ने कहा कि सोशल मीडिया पर गैर-आधिकारिक उद्देश्यों के लिए वर्दी और आधिकारिक वाहनों का “दुरुपयोग” करने वाले अधिकारियों की बढ़ती संख्या के कारण सर्कुलर की ज़रूरत पड़ी.
एक अन्य रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ने कहा कि सोशल मीडिया पॉलिसी पर लंबे समय से चर्चा चल रही है और जब भी इसकी समीक्षा की गई, नए मुद्दे सामने आते दिखे.
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