प्रयागराज, 17 मार्च (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि यदि राजनीतिक दल चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादे पूरे करने में विफल रहते हैं तो उन्हें दंडित करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।
न्यायमूर्ति दिनेश पाठक ने खुर्शीदुर्रहमान एस रहमान द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
अदालत ने कहा, “किसी भी राजनीतिक दल का चुनावी घोषणा पत्र, उसकी नीति, विचार, वादे का एक वक्तव्य होता है जोकि बाध्यकारी नहीं है और इसे कानून के जरिए लागू नहीं कराया जा सकता।”
अदालत ने कहा, “यदि राजनीतिक दल अपने चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करने में विफल रहते हैं तो उन्हें दंडित करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।”
याचिका में आरोप लगाया गया था कि भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह की अगुवाई में भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए कई वादे किए थे, लेकिन पार्टी अपने वादों को पूरा करने में विफल रही। इसलिए उसने धोखाधड़ी, विश्वासघात, बेईमानी का अपराध किया।
इससे पूर्व निचली अदालतों ने याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
राजेंद्र भाषा जोहेब
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