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Wednesday, 26 June, 2024
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अदालतों के निर्णय लेने की प्रक्रिया में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इस्तेमाल की कोई योजना नहीं : बोबडे

प्रधान न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि ऐसा नहीं होने जा रहा है कि तीन कंप्यूटरों की पीठ फैसला देगी.

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नागपुर: भारत के प्रधान न्यायाधीश शरद बोबडे ने शनिवार को कहा कि अदालतों में निर्णय लेने की प्रक्रिया में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) तकनीक का उपयोग करने की कोई योजना नहीं है.

न्यायमूर्ति बोबड़े को यहां उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में सम्मानित किया गया. वह इसी कार्यक्रम में पूर्व प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढ़ा द्वारा एआई तकनीक के इस्तेमाल को लेकर चिंता जताने के बाद सफाई दे रहे थे.

न्यायमूर्ति लोढ़ा ने अपने भाषण में कहा था, ‘यह विचार अच्छा है और इससे अदालतों में मुकदमों के प्रबंधन तथा न्यायिक कार्यों के निर्वहन में महत्वपूर्ण मदद मिल सकती है. लेकिन, अन्य प्रौद्योगिकीय नवोन्मेष की तरह इसके नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं.’

उन्होंने वर्तमान प्रधान न्यायाधीश को सलाह दी कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के फायदे नुकसान को पूरी तरह ध्यान में रखकर ही इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए.

उनकी चिंताओं का जवाब देते हुए न्यायमूर्ति बोबडे ने अपने भाषण में कहा, ‘मैं यह बताना चाहता हूं कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इस्तेमाल की कोशिश नहीं की जा रही है.’

उन्होंने कहा, ‘हम ऐसी प्रणाली पर विचार कर रहे हैं जिसकी पढ़ने की गति करीब दस लाख शब्द प्रति सेंकेंड है. इसका अर्थ है कि आप इसके जरिए कुछ पढ़ सकते हैं और इससे कोई भी सवाल पूछ सकते हैं, ये आपको उत्तर देगा.’

उन्होंने आश्वस्त करते हुए कहा, ‘अयोध्या मामले में हजारों दस्तावेज थे, हजारों पेज के दस्तावेज और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल करने से काम बेहद आसान हो गया. मानव मस्तिष्क की न्यायिक निर्णय प्रक्रिया को बदलने का कोई विचार नहीं है.’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि ऐसा नहीं होने जा रहा है कि तीन कंप्यूटरों की पीठ फैसला देगी.

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